पहले पार्किंक में जाती है चोरी की बाइक
- चोरी की बाइक छिपाने के लिए पार्किंग हैं मुफीद
- वाहनों को पार्किंग में कर देते हैं खड़ा चोर
- बाइक चोरी में कम उम्र के शातिर खिलाडिय़ों का खेल
- रोजाना आधा दर्जन से अधिक चोरी हो रही हैं बाइक
- पुलिस बरामद करती है साल में सिर्फ डेढ़ सौ बाइक
आपके वाहनों पर चोरों की नजरें तेज हैं। आप वाहन खड़ा करेंगे और वह पलक झपकते ही साफ हो जाएगा। सूचना पर पुलिस चेकिंग भी कराए तो वाहन नहीं मिल पाता। कहां से जाती है बाइक? कैसे गायब हो जाती है बाइक? दरअसल वाहन चोरों का बड़ा कनेक्शन पब्लिक स्टैैंड से है। चोर आपकी बाइक को किसी न किसी स्टैैंड पर खड़ा कर देते हैं और पुलिस उसे सड़कों पर खोजती है। स्टैैंड पर खड़ी बाइक्स की कोई खबर नहीं लेता। बाद में जब मौका मिलता है तो चोर स्टैैंड से बाइक उठा लेते हैैं।
आए दिन बाइक चोरी
यदु होटल में रविवार को अब्दुल्लापुर के रहने वाले शिव प्रकाश के बेटे का नामकरण था। शिव प्रकाश ने अपनी हीरो होंडा स्पलेंडर बाइक होटल के बाहर खड़ी की थी। बाहर गार्ड भी था। सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए थे। इसके बावजूद चोर बाइक ले उड़े। इसके बाद रंग में जो भंग मिला बस बाइक वाला ही जानता है। सीसीटीवी फुटेज के लिए घंटो कोशिश की गई, मगर होटल वाले आनाकानी करने लगे। इसी दिन दूसरी एक और बाइक कृष्णा प्लाजा से चोरी हो गई। आशीष भटनागर अपनी ग्लैमर बाइक से सामान देने प्लाजा आया था। पंद्रह मिनट के अंदर ही बाइक गायब हो गई।
बाइक चोरियों का कनेक्शन
बाइक चोरी होने के बाद सोतीगंज में कटने की बातें होती हैं। मगर आजकल ये गाडिय़ां सोतीगंज में नहीं बल्कि गली मोहल्लों में कट रही हैं। बाइक चोरी का कनेक्शन सोतीगंज के कमेले के साथ पब्लिक प्लेस के स्टैंड से भी है। पुलिस ने कुछ बाइक रेलवे के बाइक स्टैैंड से बरामद भी की हैैं। वाहन चोरों को पकड़ती है और उनसे गाडिय़ां बरामद करती है। कई बाइक मॉल और बस स्टैंड से भी पकड़ी जा चुकी हैं।
चोरी के बाद के अड्डे
बाइक हो या कार, चोर पास की पब्लिक पार्किंग में खड़ा कर देता है, जिसमें मॉल, बस स्टैंड, सिनेमा घर, हॉस्टल और अपार्टमेंट पार्किंग शामिल हैं। कभी यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों की पार्किंग में भी चोरी की गाडिय़ां मिली थीं। यूनिवर्सिटी हॉस्टल में रहने वाले कई स्टूडेंट्स ने बाइक चोरी से अपने क्राइम कैरियर की शुरूआत की है।
सबसे बड़ी खेप
वाहन चोरी करने वालों में अधिकतर युवा शामिल हैं। जो अपने खर्चे की पूर्ति करने के लिए यह काम करते हैं। गलत कंपनी और लोगों का मेलजोल इनके लिए भारी पड़ रहा है। कम उम्र में बड़े शौक ने कई युवकों को जेल के पीछे पहुंचा दिया। हाल में पकड़ी गई चोरी की गाडिय़ों में सबसे अधिक चोरी करने वाले कम उम्र के ही युवक ही थे, जो बाइक चोरी के साथ लूट की वारदात को भी अंजाम देते थे। टीपी नगर में पकड़ा गया एक युवक बारहवीं का छात्र था और नेशनल शूटर भी था। मगर वह अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए क्रिमिनल बन गया।
चोरी के लिए सुरक्षित थाना क्षेत्र
चोरों की निगाह भीड़भाड़ वाले इलाकों पर रहती है, जहां लोग खरीदारी करने के लिए आते हैैं। ऐसे इलाकों में सदर बाजार मुख्य है। इसके बाद नौचंदी क्षेत्र आता है और फिर मेडिकल थाना क्षेत्र। सदर बाजार से तो आए दिन वाहन चोरी होते हैं। पुलिस रहती है, फिर भी चोर अपने इरादों में कामयाब हो जाते हैैं?
रोजाना पांच से छह वाहन
इस साल औसतन सात गाडिय़ां रोज चोरी हो रही हैं, जबकि पिछले साल रोजाना तीन या चार चोरी होते थे। वाहनों की मंडी सोतीगंज में आए दिन छापेमारी होती है। फिर भी वाहन चोरी होते हैं। अब वाहन तो चोरी हो रहे हैं लेकिन वे सोतीगंज में नहीं बल्कि दूसरे इलाकों में काटे जा रहे हैं। सोतीगंज में सिर्फ सामान बेचा जाता है। यहां हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गाजियाबाद आदि की पुलिस वाहन खोजने बदमाशों के साथ आती है।
हर रोज वाहन चोरी
शहर में कुछ ऐसे थाने भी हैं, जहां रोजाना बाइक चोरी की वारदात होती है। इस बार तो वाहन चोरों ने हद ही कर दी। पिछले वर्ष के वाहन चोरी का रिकार्ड उठाकर देखें तो बहुत कम था। लेकिन इस बार अब तक ये चोरी काफी बढ़ गई है। 2010 में पूरे साल चोरों ने कुल 1239 वाहन चोरी किए। इस बार अगस्त माह तक ही इन चोरों ने रिकार्ड तोड़ दिया। 2011 में वाहन चोरी का आंकड़ा 1300 पार कर गया था। 2012 में यह आंकड़ा पंद्रह सौ पार कर गया था। 2013 में वाहन चोरियों का आंकड़ा अब तक बारह सौ पार कर चुका है। बहुत से वाहनों की तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं होती। पुलिस टरकाती रहती है और पीडि़त थकहार घर बैठ जाता है।
थानेवार आंकड़े 2010 2011 2012 2013
मेडिकल-----250 262 220 225
सदर बाजार---325 331 320 350
नौचंदी------240 253 221 250
सिविल लाइन--270 280 218 250
लालकुर्ती---- 210 235 215 225
कई बार वाहन मिलते हैं। मगर यहां आने वाले की पूरी तरह तहकीकात नहीं की जा सकती। अगर कोई गाड़ी कई दिनों से खड़ी रहती है तो इसके बारे में पुलिस को जानकारी देनी चाहिए। मगर स्टेंड वाले ऐसा नहीं करते। इसके लिए हम चेकिंग भी कराते हैं। स्टेंड वालों को इसके लिए निर्देशित किया जाएगा। ताकि चोरी के वाहन खड़े ना किए जा सकें।
- ओपी सिंह, एसपी सिटी