RANCHI: इस साल श्राद्ध पक्ष के समापन पर सर्व पितृ अमावस्या के साथ सोमवती अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। क्ख् अक्टूबर को यह संयोग बना है। इसमें पितरों की शांति के लिए पिंडदान-तर्पण के साथ देवकार्य, सरोवर में स्नान और दान-पुण्य होगा। रविवार रात ख्.भ्8 बजे से अमावस्या लगेगा, जो मंगलवार सुबह भ्.फ्म् तक रहेगा। ख्ब् घंटे से अधिक समय अमावस्या का लाभ रहेगा। इसके पहले पितृ पक्ष में ख्0क्ख् में सर्व पितृ अमावस्या के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग आया था। अब क्फ् साल बाद ख्0ख्8 में यह संयोग आएगा।

पितृकार्य के लिए श्रेष्ठ है सोमवती अमावस्या

पंडित रामदेव बताते हैं कि जिन लोगों को पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उन्हें सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्धकर्म करना चाहिए। अमावस्या के दिन सूर्य चंद्रमा दोनों एक सीध में रहेंगे। अमावस्या पितृ कार्य के लिए श्रेष्ठ है तो सोमवार का योग पितरों के साथ देवताओं की कृपा भी प्रदान करने वाला रहेगा।

श्राद्ध में कब-कब आई सर्व पितृ-सोमवती

श्राद्ध पक्ष के दौरान पिछले फ्0 सालों में सर्व पितृ अमावस्या का संयोग 7 बार बना है। सबसे पहले क्988, इसके बाद क्99क् फिर ख्00क्, ख्00भ्, ख्008 व ख्0क्ख् के बाद अब ख्0क्भ् में संयोग आया है।

अमावस्या पर होंगे सभी धार्मिक आयोजन

हिन्दू कैलेण्डर में नए चन्द्रमा के दिन को अमावस्या कहते हैं। यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है, क्योंकि कई धार्मिक कृत्य केवल अमावस्या तिथि के दिन ही किए जाते हैं।

कालसर्प दोष निवारण का सर्वश्रेष्ठ मौका

अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है, तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं और अमावस्या जब शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनि अमावस्या कहते हैं। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं। कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है।

इस साल के अमावस्या

क्ख् अक्टूबर (सोमवार)अश्रि्वन अमावस्या

क्क् नवंबर (बुधवार) कार्तिक अमावस्या

क्क् दिसंबर (शुक्त्रवार) मार्गशीर्ष अमावस्या