JAMSHEDPUR: इटरमीडिएट की परीक्षा के लिए जैक बोर्ड से अब साल भर निबंधन नहीं होगा। निबंधन की प्रक्रिया को काफी सरल बना दिया गया है और निबंधन में चल रही ठेकेदारी को पूर्णत: बंद करा दिया गया है। यह बातें रविवार को झारखंड एकेडमिक काउंसिल के चेयरमैन अरविंद सिंह ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने बताया कि पहले साल भर निबंधन का कार्य होता था लेकिन अब जिलावार निबंधन की तिथियां घोषित कर दी गई हैं। यहीं नहीं जैक ने अपना एकेडमिक कैलेंडर भी घोषित कर दिया है, जिसके अनुसार मैट्रिक का परीक्षा परिणाम इस वर्ष अप्रैल के द्वितीय सप्ताह में प्रकाशित कर दिया जायेगा। सिंह के मुताबिक, इस साल जितने छात्रों का क्क्वीं में निबंधन हुआ था, उतने ही छात्रों का क्ख्वीं में निबंधन हुआ है।

फर्जी स्कूलों पर कार्रवाई

फर्जी स्कूलों के संचालन के सवाल पर जैक चेयरमैन ने कहा कि ऐसे कई फर्जी स्कूलों को चिह्नित किया गया है और उन पर कार्रवाई जारी है। उन्होंने बताया कि ओरमाझी में चल रहे आदिवासी उच्च विद्यालय में हर साल भ्भ्0 विद्यार्थी उत्तीर्ण होते थे। स्थलीय जांच में पता चला कि यहां उच्च विद्यालय फर्जी तरीके से चल रहा है। उसकी मान्यता समाप्त कर दी गई है। फर्जी स्कूलों की जांच के लिए अलग से टीम का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी इस साल मैट्रिक पूरक परीक्षा का परिणाम ब्ख् दिन के अंदर प्रकाशित कर दिया गया। वहीं विभिन्न कॉलेजों को इंटर की सीट का आवंटन प्राचार्यो की सहमति और मांग के अनुसार किया गया है। अब इसमें किसी तरह का कोई फेरबदल नहीं होगा। स्कूलों में शिक्षकों की कमी है लेकिन इसे दूर करना मेरा नहीं, बल्कि सरकार का काम है। जैक चेयरमैन ने यह भी कहा कि क्0वीं के बाद छात्रों को वहीं पर प्लस टू हाईस्कूलों में पढ़ने के लिए रोका नहीं जा सकता। चूंकि, प्लस टू हाईस्कूलों में शिक्षकों की व्यापक कमी है, इस कारण छात्रों को रोकना उचित नहीं है।

कंपनी क्षेत्र के स्कूलों की मान्यता में पेंच

जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग व रामगढ़ जैसे कंपनी क्षेत्रों के स्कूलों को स्थायी मान्यता नहीं मिल सकती। मान्यता के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना होगा। वर्तमान एक्ट के अनुसार स्कूल के नाम पर जमीन नहीं होने से किसी भी स्कूल को स्थायी मान्यता नहीं मिल सकती। इस कारण केएमपीएम समेत तमाम कंपनी क्षेत्र के स्कूलों की मान्यता लटकी है। इसकी मान्यता के लिए सरकार को एक्ट में संशोधन करना होगा। ऐसे लगभग भ्0 स्कूल हैं, जिनको जैक से मान्यता नहीं मिल पायी है।