- जागरण पब्लिक स्कूल में हिंदी पर्व पर अंतरविद्यालयी कार्यक्रमों का आयोजन

- विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने किया प्रतिभाग, निज भाषा को बचाने का लिया गया संकल्प

VARANASI

आज भारत में भाषाओं को बचाने का संकट है। संस्कृति को बचाने के लिए राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी स्थापित तो हो गई मगर अभी इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पित होकर काम होना बाकी है। देश का वजूद बचाये रखने के लिए हिंदी का सर्वग्राह होना जरूरी है। ये बाते भाषा विज्ञान के विद्वान प्रो। श्रद्धानंद ने शनिवार को रोहनिया दरेखू स्थित जागरण पब्लिक स्कूल में कहीं।

निज भाषा की उन्नति जरूरी

हिंदी पर्व पर आयोजित अंतरविद्यालयी प्रतियोगिताओं के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण में अंग्रेजी भाषा के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन ये भी समझना होगा कि बिना निज भाषा के उन्नति के देश का विकास संभव नहीं है। हिंदी के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास बहुत जरूरी है, देश तभी उन्नति की राह पर आगे बढ़ेगा जब लोग बहुभाषी होंगे। उन्होंने भाषा में आक्रामकता को कम करने के लिए नई पीढ़ी को सलाह दी कि जितना मधुर बोलिएगा स्वाभाव में उतनी ही मिठास होगी। विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी वाराणसी के सहायक केंद्र निदेशक राजेश कुमार गौतम ने सरलतम हिंदी के प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि घर-परिवार की तरह स्कूल में भी हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग होना चाहिए।

बच्चों ने दिखाई प्रतिभा

मुख्य आयोजन के तौर पर विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने कबीर के दोहे, वात्सल्य व वीर रस से भरे कविताओं का पाठ किया। बच्चों ने लघु नाटिकाओं के जरिये सामाजिक व्यवस्थाओं पर कटाक्ष किया। निबंध लेखन में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को भी उठाया। यहीं 'मेक इन इंडिया' विषय पर भाषण प्रतियोगिता भी हुई। यूरोपियन संघ का विघटन विषय पर भी बच्चे बेबाकी से बोले। अतिथियों का स्वागत स्कूल के प्रिंसिपल डीवीएस राव व धन्यवाद ज्ञापित जागरण परिवार के विश्वनाथ गोकर्ण ने किया।

इन स्कूलों ने किया प्रतिभाग

माउंट लिट्रा जी स्कूल, जैपुरिया स्कूल, हैप्पी मॉडल स्कूल, सेंट्रल हिंदू ग‌र्ल्स स्कूल, अतुलानंद कान्वेंट स्कूल, वीणा पब्लिक स्कूल, वाराणसी पब्लिक स्कूल, जीवनदीप पब्लिक स्कूल के बच्चों ने हिंदी पर्व पर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया।