दुश्मनी अधिक, सिक्योरिटी कम

एक शातिर अपराधी आए दिन वारदातें कर पूरे जिले की पुलिस फोर्स को परेशान कर देता है, ऐसे ही कई शातिर अपराधी गोरखपुर जेल में बंद है। जिनसे निपटने के लिए जेल में महज एक सीनियर सुपरिटेंडेंट, जेलर, डिप्टी जेलर और कांस्टेबल तैनात रहते है। कई बार शांति बनाए रखने के साथ जेल रूल्स फॉलो कराने के लिए क्रिमिनल्स और जेल अफसर के बीच तीखी नोकझोंक के साथ विवाद भी हो जाता है। जिस घटना को शायद अफसर तो ड्यूटी समझ कर भूल जाते हैं, मगर क्रिमिनल्स उसका बदला लेने की योजना बनाने लगते है। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। एक्स जेलर नवमी लाल और विकास सिंह के बीच जेल रूल्स को लेकर कहासुनी हुई थी। जिसके बाद विकास सिंह ने जेलर को जान से मारने की धमकी तक दे डाली थी। जेलर ने अपनी सुरक्षा की रिक्वेस्ट कर विकास सिंह का दूसरी जेल ट्रांसफर करा दिया था। हालांकि बाद में विकास सिंह का मऊ में एनकाउंटर हो गया। इसी तरह डिप्टी जेलर कमलेश को भी एक अपराधी ने जान से मारने की धमकी दी थी। साथ ही अपराधी पूरी साजिश जेल में ही बना रहा था। ऐसी की घटनाएं गोरखपुर जेल में हो चुकी है। मगर जेल के अफसर की कोई सुरक्षा नहीं है। गोरखपुर जेल के अफसर भी वाराणसी कांड के बाद टेंशन में है। जेल के बाहर पिछले कई माह से तैनात पीएसी भी हटा ली गई है। इससे टेंशन और बढ़ गई है।

शासन से मांगी सिक्योरिटी

वाराणसी जेलर हत्याकांड के बाद एक बार फिर जेल अफसर की सिक्योरिटी को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। जेलर एसोसिएशन ने इसको लेकर शासन से सिक्योरिटी की भी मांग की है। हालांकि इसमें अभी कोई फैसला नहीं आया है। जेल सोर्सेज के मुताबिक सिक्योरिटी न होने के साथ जेल अफसरों को अपनी सुरक्षा के लिए लाइसेंसी आम्र्स भी नहीं ले पाते। क्योंकि इसके लिए भी जेल अफसरों को कॉमनमैन की तरह पूरा प्रॉसेस करना पड़ता है। हजारों क्रिमिनल्स के बीच रहकर उनकी दुश्मनी में जीने वाले जेल अफसर के क्वार्टर की भी कोई सिक्योरिटी नहीं है। वे क्वार्टर से जेल तक अकेले ही आते-जाते है।

जेल के अफसर को सिक्योरिटी मिलनी चाहिए। क्योंकि उन पर हमेशा क्रिमिनल्स का खतरा मंडराता रहता है। फिलहाल इस पर फैसला शासन करेगा।

एसके शर्मा, सीनियर सुपरिटेंडेंट जेल