पीडीपी एनसी के सामने मुश्किलें

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के परिणाम बड़े ही रोचक आए हैं. वहां पर किसी पार्टी को बहुमत नहीं प्राप्त हुआ है. हालांकि वहां  पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. दूसरे नंबर पर बीजेपी रही, जिसे 25 सीटें मिली लेकिन बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत थी. वहीं उमर अब्दुल्ला की पार्टी नैशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटें मिली हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पीडीपी और एनसी, दोनों के लिए ही बीजेपी के साथ आना बहुत मुश्किल हैं. धारा 370 को लेकर दोनों ही पार्टियों का मत बीजेपी के खिलाफ है. हालांकि उमर अब्दुल्ला वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री रहे चुके हैं.

जब नीतीश लालू साथ्ा हो सकते हैं

इस मामले जम्मू कश्मीर के निवर्तमान सीएम उमर अब्दुल्ला का कहना है कि हम बीजेपी के पास खुद चलकर नहीं जाएंगे लेकिन अगर बीजेपी चाहेगी तो हमे कोई प्रॉब्लम नहीं है. उन्होंने ने कहा कि जब पीडीपी जैसी पार्टी के लिए बीजेपी अछूत नहीं है तो हमारे बीजेपी से हाथ मिलाने में क्या हर्ज है. अगर बीजेपी आगे बढ़कर आए और तब हम बात न करे तो यह ठीक नहीं होगा. इसके साथ ही वह पीडीपी के लिए भी कहते हैं कि मुफ्ती उनसे बात करने आते हैं तो' वह पीडीपी के साथ बातचीत करने को तैयार हैं. उनका कहना है कि अगर नीतीश और लालू साथ आ सकते हैं तो पीडीपी और एनसी क्यों नहीं.

पीडीपी नहीं करेगी जल्दबाजी

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उनकी पार्टी अभी गठजोड़ पर कोई फैसला नहीं ले पायी है. उन्हें किसी से गठजोड़ करने की जल्दबाजी नहीं है. वह कहती हैं कि बीजेपी से सरकार बनाने के लिए समर्थन पर कुछ निर्णय नहीं लिया गया . उनका मानना है कि पीडीपी और बीजेपी की विचारधारा बिल्कुल अलग है. ऐसे में बीजेपी से समर्थन को लेकर गहराई से मंथन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा. महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद पीडीपी की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार हैं. हालांकि महबूबा ने उमर के समर्थन के बारे में भी अभी कोई स्िथति स्पष्ट नहीं की है.

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