- जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धयोग, सिद्धियोग और कन्या में शुक्र की होगी युति

- रोहिणी नक्षत्र से मुक्त और बुधवार को अष्टमी का योग से बन रहा 'जयंती' संयोग

BAREILLY:

जन्माष्टमी का पावन उत्सव इस बार लोगों के लिए शुभ फलदायी होने जा रहा है। जो खासतौर पर व्रतियों के लिए विशेष होगा। ऐसी संभावना ज्योतिषाचार्य जता रहे हैं। क्योंकि इस वर्ष जन्माष्टमी पर दो खास योग समेत कन्या राशि में इसी शुभ मुहूर्त में शुक्र की युति हो रही है। जिसमें पहले से ही गुरू का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में गुरू, बुद्ध और शुक्र ग्रहों का कन्या राशि से युति होगी। जिसका प्रभाव शत्रु और मित्र राशियों पर तय है। ग्रहों की बदलती चाल और राशियों का मेल इस जन्माष्टमी को ज्योतिषाचार्य 'जयंती योग' मान रहे हैं।

यूं बन रहा है जयंती संयोग

बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा के मुताबिक जन्माष्टमी की अर्धरात्रि में जब अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र से मुक्त हो तो उसे 'केवला कहते हैं। वहीं जब यह नक्षत्र वेडनसडे की अष्टमी तिथि से संयुक्त हो तो वह जयंती कहलाती है। ज्योतिष गणना के मुताबिक इस उपवास का जिक्र ब्रह्मावर्त पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, पदम्पुराण व अन्य पुराणों में किया गया है। यह व्रत अष्टमी तिथि से प्रारंभ हो नवमी तिथि में परायण का विधान है। इस विशेष संयोग में पूजन और उपवास करना अनिवार्य माना गया है।

क्या है पूजन विधि

ज्योतिषाचार्य डॉ। प्रदीप द्विवेदी के मुताबिक अष्टमी तिथि में केले, आम या अशोक के पत्तों से घर सजाएं। दरवाजे पर मंगल कलश, मूसल स्थापित करें। रात में कृष्ण के शिशु रूप का पूजन 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' का मंत्रोच्चार से करें। फिर पंचामृत और वस्त्रादि से अलंकृत कर मूर्ति को झूले में रखें। अन्न रहित नैवेद्य, दूध, घी, दीप, फल-फूल, मेवे, खीरा का प्रसाद बाल गोपाल को अर्पित करें। कृष्ण जन्म के प्रतीक स्वरूप खीरा फाड़कर कृष्ण जन्म कराएं और फिर जन्मोत्सव मनाएं। इसके बाद कृष्ण प्रतिमा पर कपूर, हल्दी, दही, घी, जल, तेल चढ़ाएं।

जन्माष्टमी मुहूर्त

- वेडनसडे को निशीथ व्यापिनी अष्टमी रात 10.17 बजे जन्माष्टमी लगेगी।

- महानिशीथ काल वेडनसडे रात 11.38 से वेडनसडे रात 12.12 बजे तक।

- थर्सडे उदय व्यापिनी अष्टमी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत।

- थर्सडे रात 8.08 बजे तक उदय व्यापिनी अष्टमी का प्रभाव।

याेग मुहूर्त

- वेडनसडे दोपहर 1.34 से थर्सडे सुबह 5.34 बजे तक सर्वार्थ सिद्धयोग।

- थर्सडे सुबह 5.55 से देर रात 10.17 बजे तक सिद्धियोग का मुहूर्त।

- थर्सडे को भोर में गुरू, बुद्ध विराजित कन्या राशि में शुक्र युति।