- वेटिंग में रहे भाजपाई, संगीत सोम को मिली डायरेक्ट एंट्री

-आठ थानों में मुस्लिम एसओ की तैनाती करने की मांग

Meerut : वे बेहद उम्मीद के साथ डीजीपी के जनता दरबार में पहुंची थी। जमकर धक्के खाए। पुलिसकर्मियों की झिड़कियां मिली, गर नहीं मिले तो डीजीपी। 'जनता दरबार' तो बस नाम था, अगर कुछ था तो सिर्फ 'नेता दरबार'। यहां भी कमाल का भेदभाव। सपाई धड़ल्ले से मिले तो भाजपाई वेटिंग में रहे। 'काम' के कागज हाथ में थामे सपाइयों ने लोकल अफसरों की जमकर शिकायत की, काम नहीं हो रहे हमारे, यह कहते हुए थमा दिए सिफारिश के पुलिंदे।

आई थी उम्मीद लेकर

पति के उत्पीड़न की शिकार शालिनी को 'दरबार' में भी राहत नहीं मिली। कंकरखेड़ा थाने में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज है, मगर आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो रही। दर-दर ठोकर अलग। होटल व्यवसायी उमेश गर्ग की पत्‍‌नी रीना भी अपनी शिकायत लेकर पहुंची। रीना के पति ने होटलकर्मी से दूसरी शादी कर उसे घर से बाहर कर दिया है। मुजफ्फरनगर की दयावती दबंगों के परेशान है, यहां राहत की उम्मीद में आई। साहब, नहीं मिले। मिली तो बस आफत।

सपाइयों का लगा जमघट

आईजी ऑफिस में प्रस्तावित जनता दरबार को सपाइयों ने हाईजैक कर लिया। डीजीपी की रुखसती तक कुर्सी पर जमे रहे। हाथ में सिफारिशों का पुलिंदा सरधना से प्रत्याशी अतुल प्रधान और पत्‍‌नी सीमा प्रधान (जिला पंचायत अध्यक्ष) ने भाजपा विधायक संगीत सोम पर निशाना साधते हुए कहा कि अपराधियों की वकालत करते हैं तो वहीं संगीत ने शिकायत की थानों में सपा के गुंडे बैठे रहते हैं, गौकशी की घटनाएं हो रही हैं। राज्यमंत्री रफीक अंसारी, आकिल मुर्तजा, मोहम्मद अब्बास, किरन जाटव, विधायक प्रभूदयाल वाल्मीकी, गुलाम मोहम्मद, नवाजिश शाहिद आदि सपाइयों ने डीजीपी को घेर लिया। इस दौरान फरियादी दफ्तर के बाहर पैर पटकते रहे।

सोम को ही मिली एंट्री

भाजपाई अपने नंबर की प्रतीक्षा में ही रहे जबकि फायर ब्रांड संगीत सोम को सीधी एंट्री मिल गई। भाजपा विधायक रविंद्र भड़ाना, जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा आदि भाजपाइयों की मुलाकात नहीं हो सकी। रालोद के जिलाध्यक्ष यशवीर सिंह भी मुलाकात न होने पर खरी-खोटी कहते हुए समर्थकों के साथ निकल गए। संयुक्त व्यापार मंडल के पदाधिकारी भी अपना ज्ञापन हाथ में ही पकड़े रहे। इस दौरान मुलाकात न होने पर फरियादियों ने जमकर हंगामा और धक्का-मुक्की की।

इनसेट

'मुस्लिम थानाध्यक्ष बनाओ'

एक अजीबोगरीब मांग ने डीजीपी को भी अचरज में डाल दिया। हंगामा कर रहे पेश नवाज ने कहा कि वे डीजीपी के रिश्तेदार हैं। अफसर मिलने नहीं दे रहे जबकि मैं अगर फोन करूं तो वे (डीजीपी) खुद मिलने आएंगे। खैर, हंगामे को शांत कर नवाज की डीजीपी से मुलाकात कराई गई। नवाज ने डीजीपी से मांग की कि मेरठ के एक भी थाने में मुस्लिम एसओ (थानाध्यक्ष) नहीं है। कम से कम शहर के आठ थानों में मुस्लिम एसओ तैनात करो, जिससे मुस्लिमों की शिकायतें सुनी जाएं।