-शासन से रिजेक्ट हुआ मैकेनाइज्ड लांड्री का प्रस्ताव

-अब पारंपरिक तरीके से हाथ से धुलेंगी मरीजों की चादरें

Meerut । शासन की प्राथमिकताओं में एक बार फिर मेरठ न केवल निचले पायदान रह गया है। बल्कि उसको योजना से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है। यहां हम बात कर रहे हैं जनपद के स्वास्थ्य विभाग की। इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें या पैरवी की कमी से जिला अस्पताल में मैकेनाइज्ड लांड्री निर्माण की दौड़ से बाहर हो गया है। शासन ने जिला अस्पताल में प्रस्तावित मैकेनाइज्ड पार्किंग के प्रस्ताव को ड्रॉप कर दिया है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन की ओर से किए जा रहे सारे दावे धरे के धरे रह गए हैं।

क्या थी योजना

उ.प्र। हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग परियोजना (यूपीएचएसएसपी) के अंतर्गत मेरठ समेत प्रदेश के 51 जिला अस्पतालों को शामिल किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय से हुए यूपीएचएसएसपी के इस कांट्रेक्ट में लखनऊ की एजेंसी जेनरेटर प्राइवेट लिमिटेड को सर्विस प्रोवाइडर बनाया गया है। जिला अस्पतालों में होने वाले इस बदलाव के बजट का जिम्मा विश्व बैंक ने उठाया है, जबकि 15 प्रतिशत बजट एरेंज करने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकारी के जिम्मे थी।

मैकेनाइज्ड पार्किंग

यूपीएचएसएसपी के अंतर्गत जिला अस्पताल में एक मैकेनाइज्ड लॉंड्री बनने जा रही है। हाईटेक प्रणाली पर बनाई जाने वाले इस लॉंड्री को विदेशी तर्ज पर शुरू किया जाएगा। विदेश से आनी वाली यह लॉंड्री मशीन में 500 से अधिक बेडशीट एक साथ धुल सकेंगी। जबकि ड्रायर के माध्यम से उनकों केवल पांच मिनट के भीतर सुखाया भी जा सकेगा। प्रोजेक्ट मैनेजर नुपूर सिंह ने बताया कि इस मैकेनाइज्ड लॉंड्री को स्पेशली हॉस्पिटल्स के लिए ही डिजाइन किया गया है।

सब पास, हम फेल

चौंकाने वाली बात तो यह है कि शासन द्वारा प्रदेश भर से चयनित सभी हॉस्पिटल्स में से महज मेरठ ऐसा हॉस्पिटल हैं, जहां मैकेनाइज्ड लांड्री को तवज्जो नहीं मिली है। हालांकि अस्पताल प्रशासन इसको शासन का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहा है। लेकिन कुछ अफसर इसे शासन में पैरवी की कमी बताकर हेल्थ विभाग के आला अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

शासन द्वारा चिह्नित संस्था ने मेरठ जिला अस्पताल में मैकेनाइज्ड पार्किंग का प्रस्ताव ड्रॉप कर दिया है। हालांकि मेरठ को छोड़ अन्य सभी जिला अस्पताल योजना में शामिल किए हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से पूरा प्रयास किया गया था।

-डॉ। पीके बंसल, एसआईसी मेरठ