- सोशल साइट्स पर सबसे हॉट सब्जेक्ट बना जाटों का आंदोलन

- अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आपत्तिजनक फोटो व कमेंट भी किए जा रहे पोस्ट

- जेएनयू प्रकरण भी ठंडा नहीं पड़ा, निकाली जा रही भड़ास

ashutosh.srivastava @inext.co.in

ALLAHABAD:

जेएनयू में राष्ट्र विरोधी प्रोग्राम को लेकर सोशल साइट्स पर घमासान तो मचा ही हुआ था, जाटों के आंदोलन के बाद आरक्षण पर भी 'रण' शुरू हो गया। फेसबुक, ट्विटर व वाट्सएप पर जेएनयू के साथ-साथ लोग आरक्षण के मसले पर भी तीखे वार कर रहे हैं। आरक्षण जरूरी है कि नहीं? जाटों को आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं? हरियाणा को बंधक बनाने जैसे हालात में सरकार खामोश क्यों? अपनी बात मनवाने का यह सड़क पर अराजकता जायज है क्या? अब यह आग कहां-कहां फैलेगी? जैसे सवाल लोग उठा रहे हैं और इस पर कमेंट भी खूब आ रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आपत्तिजनक फोटो व कमेंट भी शेयर किए जा रहे हैं।

पवन कुमार भी छाए

कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन पवन कुमार के आखिरी वक्त फेसबुक पर शेयर किए गए विचार इस वक्त सोशल मीडिया में छाए हुए हैं। 23 साल के कैप्टन ने शहीद होने के एक दिन पहले फेसबुक पर लिखा था कि 'किसी को रिजर्वेशन चाहिए तो किसी को आजादी। भाई हमें तो बस अपनी रजाई चाहिए'। कैप्टन के विचारों को लोग आखिरी सलाम बताकर पोस्ट कर रहे हैं। कैप्टन की बातें इसलिए भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं क्योंकि वे जाट थे और जेएनयू के स्टूडेंट भी। यही दोनों मसले आजकल छाए हुए हैं।

मैं जाट हूं, मुझे आरक्षण नहीं चाहिए

फेसबुक पर आजकल एक फोटो छाया हुआ है। एक युवक हाथ में तख्ती लेकर बैठा है, जिसमें लिखा है मैं जाट हूं, मुझे आरक्षण नहीं चाहिए। यह फोटो कब और कहां लिया गया, इसका जिक्र नहीं किया गया है। आरक्षण के विरोधी इस फोटो को जमकर शेयर कर रहे हैं।

क्यों न मिले आरक्षण

आरक्षण जाटों को क्यों मिलना चाहिए, इस बात को लेकर लोगों के अपने-अपने तर्क हैं। कहा कि मंडल कमीशन में जिन जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया, उसके पीछे राजनीति थी। वह जातियां तेजी से आगे बढ़ीं लेकिन जाट पिछड़ते गए। जाटों का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व न के बराबर रह गया है। उनको भी आगे आने का मौका मिलना चाहिए।

ये हैं कुछ पोस्ट

- आरक्षण की आग में हरियाणा जल रहा है। अब इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का वक्त आ गया है। आरक्षण केवल चार श्रेणियों में हो। गरीब को, दिव्यांग को, अनाथ को व शहीदों के बच्चों को

- आजादी के वक्त आरक्षण की व्यवस्था तो 10 साल के लिए की गई थी। खत्म करना तो दूर की बात है, अब तो हर किसी को हिस्सा चाहिए

- कन्हैया की अरेस्टिंग पर छाती पीटने वाले सेक्युलर तब क्या करेंगे जब अफजल के समर्थन में नारे लगाने वाला उमर खालिद अरेस्ट होगा

- देश को असली चुनौती किससे है। अफजल के समर्थन में नारे लगाने वालों से या आरक्षण के लिए रोज नया बखेड़ा करने वालों से

- आजादी की कीमत शहादतें चुका रही हैं। शहीदों को गम होगा कि आज कोई 'आजादी' के लिए लड़ रहा है तो कोई आतंकी को 'शहीद' बताने के लिए

कॉमेडी भी खूब हो रही

- आरक्षण दिलाने में रेल पटरियों का भी खूब योगदान रहा है। लोग कोटा के लिए लोटा लेकर बैठ जाते हैं

- आरक्षण क्यों चाहिए। जाट - मन्ने नहीं पता। भैंस की पूछ। बोल दिया चाहिए तो चाहिए।

- जेएनयू में चिल्लाते हैं पाकिस्तान जिंदाबाद। अगर पाकिस्तान भेज दिया जाए तो बोलेंगे पाकिस्तान से जिंदा भाग।

- ताऊ आरक्षण तो सरकार देने को राजी हो गई है। रुक ट्रैक्टर तो मैं गाव छोड़ आया। आरक्षण को लेके काहे में जाऊंगा।

- मैं पटरी पर किसी और वजह से बैठा था। मुझे आरक्षण नहीं शौचालय चाहिए।