-जिला जेल में तैनात रहे डिप्टी जेलर की हुई थी हत्या

-माफिया पर जेल में लगाम कसने से नाराज शूटरों ने गोलियों से किया था छलनी

-जिला जेल में माफिया से हुआ था विवाद, मोबाइल फोन पर बात करने से रोका था

VARANASI

जिला जेल में बंदियों पर नकेल कसने की कीमत डिप्टी जेलर अनिल त्यागी को जान देकर चुकानी पड़ी। सुबह जिम के बाहर बदमाशों ने उनके बदन को गोलियों से छलनी कर दिया था। इस घटना के पीछे जेल में बंद कुख्यात रमेश सिंह काका का था। डिप्टी जेलर ने उसपर लगाम कसा था। जेल में मोबाइल नहीं यूज करने देने पर रमेश काका ने डिप्टी जेलर को धमकी दी थी। अनिल त्यागी की हत्या से जेल प्रशासन दहशत में आ गया। जेल में बंद अपराधियों का हौसला बढ़ा। उनके दुस्साहस के पीछे राजनीतिक गठजोड़ भी अहम भूमिका निभाता है। सत्ता से जुड़े लोगों को उन्हें सीधे सपोर्ट मिलता है। यही कारण है कि जब चाहते है अपराधी जेल में बैठकर अपनी मांग पूरी करा लेते है। जेलर चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाते। बंदी रक्षकों को अपने इशारे पर नचाने वाले बड़े अपराधी पहले पैसे का लालच देते हैं, यदि कोई बिकने को तैयार नहीं हुआ तो उसे त्यागी जैसे अंजाम भुगतने तक की धमकी देते हैं।

बंदी रक्षकों को देते हैं धमकी

जेल सूत्रों की माने तो एक माननीय के करीबी ने खाने की क्वालिटी को लेकर बंदी रक्षक से नोकझोंक किया था। एक माह पूर्व हुए इस घटना का मामला डिप्टी जेलर तक भी पहुंचा था। करीबी ने यह तक धमकी दे डाली थी कि हिसाब से रहो, जेल के बाहर आदमियों की कमी नहीं है। इसके अलावा भी अन्य सामानों को लेकर अपराधी बंदीरक्षकों से भिड़ने से बाज नहीं आते। मगर, अनिल त्यागी हत्याकाण्ड का मन में ख्याल आते ही जेल के स्टाफ अपराधियों से बचने लगते हैं। चौकाघाट स्थित जिला जेल में दो हजार बंदियों में लगभग ढाई सौ से अधिक कुख्यात अपराधी हैं। हार्डकोर नक्सली से लेकर रंगदारी वसूलने, लूट की नीयत से हत्या करने वाले अपराधी इनमें शामिल हैं।