-मंडलीय हॉस्पिटल के जेरियाट्रिक वॉर्ड में दो माह से एक बुजुर्ग नहीं हुआ एडमिट
-ओपीडी में आने वाले बुजुर्ग मरीजों को सिर्फ दवा देकर लौटा दे रहे डॉक्टर
मौसम की मार हो या वायरल इंफेक्शन, इसका सबसे पहला असर बुजुर्गो पर ही होता है। ऐसी आम सोच है लेकिन बनारस के मामल में ये सही नहीं है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यहां बच्चों और युवाओं से ज्यादा स्वस्थ्य बुजुर्ग हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मंडलीय हॉस्पिटल में बुजुर्गो के लिए जेरियाट्रिक ओपीडी और वॉर्ड भी बनाया गया है। जहां बीते दो माह में एक भी बुजुर्ग को एडमिट नहीं किया गया, जबकि जेरियाट्रिक ओपीडी में रोजाना अलग-अलग बीमारियों से पीडि़त दर्जनों बुजुर्ग जांच के लिए आते हैं। सच यह है कि यहां बुजुर्गो का स्वस्थ्य ठीक नहीं है। सूत्रों की माने तो चिकित्सक बुजुर्गो से पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें भर्ती करने की बजाय दवा देकर भेज देते हैं। जबकि वॉर्ड में चार कर्मचारी तैनात हैं।
हर महीने 1500
हॉस्पिटल के आंकड़ों की मानें तो हॉस्पिटल के जेरियाट्रिक ओपीडी में हर माह करीब 1500 बुजुर्ग मरीजों की जांच की जाती है। पिछले दो महीनों से इनमें से एक भी मरीज को जेरियाट्रिक वॉर्ड में एडमिट नहीं किया गया। चिकित्सकों की मानें तो जेरियाट्रिक वॉर्ड तो तैयार कर दिया गया, लेकिन चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में जेरियाट्रिक ओपीडी में तैनात सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे इस वॉर्ड को संचालित करना संभव नहीं है। एक डॉक्टर से ओपीडी और वॉर्ड दोनो की सुविधा नहीं ली जा सकती है।
मरीज का रहता है इंतजार
हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि जेरियाट्रिक यूनिट हेल्थ डिपार्टमेंट के अधीन है, लिहाजा प्रबंधन स्तर पर इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता। जो कुछ भी करना है वह सीएमओ लेवल पर ही होगा। वहीं जेरियाट्रिक वॉर्ड के कर्मचारियों का कहना हैं कि वह मरीज के भर्ती होने का इंतजार करते रहते हैं वे तो हर रोज यही सोचकर आते हैं कि मरीज आएगा, लेकिन जब कोई एडमिट हो तभी तो कुछ किया जाए।
विभाग इस वॉर्ड को लेकर गंभीर है। एक डॉक्टर होने की वजह से समस्या आ रही है। अगले सप्ताह तक एक डॉक्टर नियुक्त कर मरीज एडमिट किए जाएंगे। इनके साथ ही यह जिम्मेदारी इमरजेंसी को भी दी जाएगी।
डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ
एक नजर
06
बेड का है जेरियाट्रिक वार्ड
02
माह में एक भी मरीज नहीं किए गए एडमिट
45 से 50
मरीज आते हैं रोजाना जेरियाट्रिक ओपीडी में
1500
मरीज एक माह में जेरियाट्रिक ओपीडी में