-ज्वैलर्स पिछले एक माह से एक्साइज ड्यूटी खत्म करने के लिए कर रहे हड़ताल

- ज्वैलरी के कारोबार से जुड़े लोगों पर आर्थिक संकट गहराया, कारीगरों की होली हुई बदरंग

LUCKNOW: देशभर में चल रही ज्वैलर्स की हड़ताल का असर अब उससे जुड़े दूसरे कारोबारियों पर भी दिखने लगा है। ज्वैलरी के कारीगरों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। लगभग एक महीने से ज्वैलरी कारीगरों के पास कोई काम नहीं है। होली का त्यौहार तो बर्बाद हुआ ही अब रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। हड़ताल कब तक चलेगी, इसका पता नहीं। ज्वैलर्स की डिमांड एक्साइज ड्यूटी खत्म करने की है जिसे बजट में केंद्र सरकार ने लागू किया है। वहीं, केंद्र सरकार इस मामले में किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है।

रोजी रोटी का बना संकट

चौक में कारीगर विनोद बताते हैं कि इस बार उनके परिवार में बस नाम मात्र की होली मनायी गयी क्योंकि पिछले लगभग एक माह से ज्वैलर्स हड़ताल पर हैं और ज्वैलरी से जुड़े सारे कारोबार ठप हैं। हड़ताल कब खत्म होगी इसके आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं। जो जमा पूंजी थी, वह खत्म हो रही है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा।

बदरंग हो गई होली

चौक में एक ज्वैलरी शॉप के मालिक पारस का कहना है कि केंद्र सरकार ने सोनारों की होली बदरंग कर दी है। पिछले एक महीने से दुकानें बंद हैं। इससे न सिर्फ सोनारों का नुकसान हो रहा है बल्कि उससे जुड़े तमाम कारोबार करने वाले भी परेशान हैं। पारस का कहना है कि पहले हम लोग हफ्ते में एक दिन मूवी देखने या आउटिंग के लिए जरूर जाते थे, लेकिन जब से हड़ताल चल रही है कारोबार पूरी तरह से ठप है। आउटिंग की बात दूर हम लोग ढंग से होली भी इस बार नहीं मना पाये।

सड़क पर आ जाएंगे हम लोग

कारीगर ओम प्रकाश कहते हैं कि पहले जहां डेली 100-200 रुपये की कमाई हो जाती थी। वह भी पिछले एक महीने से बंद है। घर में रोटी का संकट हो बन गया है। इक्का-दुक्का ग्राहक डायरेक्ट उनके पास आ जाते हैं जिससे थोड़ी बहुत राहत मिलती है। लेकिन, यही हाल रहा तो हम लोग सड़क पर आ जाएंगे। इस संबंध में समय रहते उचित कदम उठाना चाहिये।

आने वाला समय और कठिन होगा

चौक में ही ज्वैलरी के कारीगर मोहम्मद सुफियान बताते हैं कि उनकी फैमिली में 14 लोग हैं। वे और उनके दो बेटे इस फील्ड से जुड़े हैं। मगर पिछले एक महीने से धंधा चौपट हो गया है। जमा पूंजी भी खत्म होने की कगार पर है। मालिक उधार नहीं दे रहा क्योंकि उसका भी कारोबार ठप है। ऐसे में आने वाले दिन और भी कठिन होने जा रहे हैं।

तलाश रहे दूसरा कारोबार

कारीगर सुल्तान कहते हैं कि वह डेली 500 से 700 रुपये तक का कारोबार कर लेते थे लेकिन जब से हड़ताल शुरू हुई है, काम ही नहीं है। कमाई पूरी तरह से ठप हो गई है। दूसरी नौकरी की तलाश कर रहा हूं। नौकरी भी नहीं मिल रही है। टेंशन इस बात की है कि यही हाल रहा तो घर का खर्च कैसे चलेगा।

मालिक ने बंद किया उधार देना

वहीं, मोहम्मद अयाज का कहना है कि दो बार मालिक से कर्ज ले चुका हूं। अब मालिक कर्ज भी नहीं दे रहा है। बस किसी तरह से खर्च चल रहा है। हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द हड़ताल खत्म हो और हम लोगों का खर्च पहले की तरह चल सके।

शहर में ही 15 हजार हो गए बेरोजगार

ज्वैलरी का कारखाना चलाने वाले शकील कहते हैं कि उनके पास पांच कारीगर हैं जिनकी एक दिन की कमाई 500 रुपये से लेकर हजार रुपये तक हो जाती थी। लेकिन, कारोबार ठप होने की वजह से सभी के सामने दिक्कतों का पहाड़ लग गया है। जो बाहर के कारीगर थे वह छुट्टी पर चले गये हैं। जो लखनऊ के हैं उनके पास कोई काम नहीं है। इस हड़ताल से सिर्फ लखनऊ में कम से कम 12 से 15 हजार लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।

सरकार जल्द वापस ले डिसीजन

चौक में ज्वैलरी का कारोबार करने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन कहते हैं कि पिछले एक महीने से चल रही हड़ताल से अब तक इंडस्ट्री को सिर्फ लखनऊ में एक अरब से अधिक का नुकसान हो चुका है। केंद्र सरकार को ज्वैलरी पर बढ़ाई एक्साइस ड्यूटी वापस लेनी चाहिए। केंद्र सरकार के एक डिसीजन से देशभर में लाखों कारीगरों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है।