42 दिन बाद खुली ज्वैलरी शॉप, मार्केट में रौनक

ALLAHABAD: केंद्र सरकार से आश्वासन मिलने के बाद सर्राफा कारोबारियों ने 42 दिनों से चली आ रही स्ट्राइक को वापस ले लिया है। देश स्तर पर हुए फैसले के बाद बुधवार को सर्राफा मार्केट में रौनक आ गई। दुकानें खुलीं तो लगन के की खरीदारी भी शुरू हो गई। आल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन की तरफ से बताया गया है कि आंदोलन 24 अप्रैल तक के लिए वापस लिया गया है। इस दौरान सरकार ने उनकी मांगें मान ली तो ठीक अन्यथा कारोबारी फिर स्ट्राइक पर जा सकते हैं।

काली पट्टी बांध कर किया काम

एक्साइज ड्यूटी के विरोध में सर्राफा कारोबारियों व कारीगरों का आंदोलन स्थगित जरूर हुआ है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। बुधवार को दुकानें खुलने और पहले की तरह काम करने के बाद भी सर्राफा कारोबारियों ने बांह पर काली पट्टी बांध कर अपना विरोध दर्ज कराया। बुधवार को ज्यादातर कारीगरों व व्यापारियों ने काली पट्टी बांध कर काम किया। एक्साइज ड्यूटी रोल बैक की मांग को लेकर सर्राफा व्यापारियों का आंदोलन जरूर चल रहा था, लेकिन कारोबार ठप होने की वजह से वे टूट गए थे। दुकानें बंद होने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ। कारीगरों का धंधा भी चौपट हो गया था। परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल हो गया था। अब चूंकि दुकानें खुल गई हैं, इसलिए धंधे को रफ्तार मिलना तय है।

मीरगंज व चौक की रौनक लौटी

आंदोलन खत्म होने के बाद बुधवार को चौक और मीरगंज सर्राफा मंडी की रौनक लौट आई है। दुकानें खुल गई। ग्राहक भी दुकानों पर पहुंचने लगे। मार्केट के आसपास चाय-पान की दुकानें लगाने वालों ने भी डेरा जमा दिया है। लोगों की भीड़ बढ़ने से कारोबारियों ने भी राहत की सांस ली है। सर्राफा व्यवसाय से जुड़ी कारपोरेट कंपनियों के शो रूम्स में भी काम शुरू हो जाने से यहां इंवेस्ट करने वाली पब्लिक ने भी राहत की सांस ली। यहां भी रौनक लौटती दिखी।

वित्त मंत्री द्वारा दस दिन का समय मांगे जाने और नियमावली में संशोधन के आश्वासन पर आंदोलन 25 अप्रैल तक के लिए स्थगित किया है। सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतरी तो दुबारा आंदोलन शुरू होगा।

कुलदीप सोनी

अध्यक्ष, प्रयाग सर्राफा मंडल

Fact file

42 दिन तक चला सर्राफा कारोबारियों का आंदोलन

दो हजार से अधिक सर्राफा की दुकानें रही बंद

20 हजार से अधिक कारीगरों ने पूरी तरह ठप रखा काम

42 दिनों में इलाहाबाद के सर्राफा कारोबार को हुआ करीब 600 करोड़ का घाटा

पर डे करीब 15 से 20 करोड़ का है सर्राफा बाजार का टर्न ओवर

क्यों हुई थी हड़ताल

सरकारी ने चालू सत्र के बजट में एक फीसदी एग्जाइट ड्यूटी लगाने का फैसला लिया था। इसका पूरा हिसाब भी सर्राफा व्यापारियों को ही रखना था। पूरे देश में सर्राफा व्यापारियों की स्ट्राइक इसी के विरोध में थी। उनका कहना था कि इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी हो जाएगी और काम करना मुश्किल हो जाएगा।

कब तक झेलते नुकसान

सर्राफा व्यापारियों के इस आंदोलन में छोटे-बड़े सभी कारोबारी जुड़े थे। कारपोरेट लेवल पर काम करने वाली कंपनियों के आउटलेट्स पर भी काम बंद पड़ा था। इससे उन्हें बड़ा नुकसान किराए और वर्कर्स की सैलरी के रूप में हो रहा था। 42 दिनों तक चली हड़ताल से बड़े कारोबारियों को सिर्फ इसके चलते करोड़ों का नुकसान होना बताया जा रहा है।

पब्लिक भी थी परेशान

लग्न के समय में स्ट्राइक लम्बी खिंचने से शादी-विवाह के लिए ज्वैलरी खरीदने वाली पब्लिक भी परेशान थी। येन-केन-प्रकारेण वह किसी तरह से ज्वैलरी खरीद भी रही थी तो बिल मिलना मुश्किल था। इससे वेराइटी सेलेक्ट करने का आप्शन भी बेहद लिमिटेड हो गया था। अक्षय तृतीया भी आने वाले दिनों में है। इन मौके पर भी सोना खरीदने की परंपरा है। प्री बुकिंग कराने वाले भी बंदी से परेशान थे क्योंकि यह काम भी आलमोस्ट ठप पड़ गया था।

कमेटी के फैसले पर टिकी निगाहें

बुधवार को केन्द्रीय स्तर पर आए फैसले की जो जानकारी स्थानीय सर्राफा व्यापारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई उसके मुताबिक कारोबारियों की तरफ से 11 मांगें रखी गई थीं। इसमें से नौ को मान लिया गया है। बाकी दोनों पर विचार के लिए कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

हड़ताल को अस्थायी तौर पर 24 अप्रैल तक के लिए रोका गया है।

सुरिंदर कुमार

उपाध्यक्ष, ऑल इंडिया सराफा एसोसिएशन