क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: देशभर के इंस्टीट्यूशंस की रैंकिंग के लिए काम करने वाली एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) ने मेडिकल कॉलेज के काम के आधार पर रैंकिंग जारी की है. जिसमें झारखंड के रिम्स और बिहार के पीएमसीएच मेडिकल कॉलेजों का दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे स्टेट में मेडिकल कॉलेजों की परफार्मेस कितनी खराब हो गई है. इतना ही नहीं, इस रैंकिंग में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज का भी नाम नहीं आना बताता है कि झारखंड-बिहार में हेल्थ सिस्टम की क्या स्थिति हो गई है.

बीएचयू मेडिकल कॉलेज को छठी रैंक

एनआईआरएफ की जारी रैंकिंग में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को तीसरी रैंक मिली है. जबकि बीएचयू मेडिकल कॉलेज को देशभर में छठी रैंकिंग मिली है. इससे इतना तो साफ है कि अगर मेडिकल कॉलेज में काम कितना भी अच्छा हो जाए लेकिन सपोर्ट नहीं होगा तो अच्छे-अच्छे मेडिकल कॉलेज रैंकिंग से बाहर हो जाएंगे. वहीं सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बेहतर फैसिलिटी और हर चीज के मामले में क्वालिटी देने वाले प्राइवेट हॉस्पिटल्स भी इसमें पिछड़ गए हैं. इसलिए नेशनल रैंकिंग में वे भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं.

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ये है झारखंड-बिहार के कुछ गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज

रिम्स, रांची

एमजीएम, जमशेदपुर

पीएमसीएच, धनबाद

पीएमसीएच, पटना

दरभंगा मेडिकल कॉलेज, दरभंगा

भागलपुर मेडिकल कॉलेज, भागलपुर

वर्जन

एनआईआरएफ सरकार की एजेंसी है. पहले प्राइवेट एजेंसी सर्वे कर रैंकिंग जारी करती थी तो ऐसा कहा जाता था कि प्राइवेट हॉस्पिटलों ने एजेंसी को अप्रोच किया होगा. इसलिए सरकारी हॉस्पिटलों को अच्छी रैंकिंग ही नहीं मिलती. चूंकि सरकारी हॉस्पिटलों की स्थिति किसी से छिपी नहीं होती थी. लेकिन इसबार तो एनआईआरएफ ने सभी का भ्रम तोड़ दिया. झारखंड-बिहार के मेडिकल कॉलेज का रैंकिंग में नाम ही नहीं है. इसलिए हमारे डॉक्टर-स्टाफ्स बस नियमों को फॉलो करते हुए काम करें तो रिम्स भी रैंकिंग में दिखेगा.

डॉ. डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स