RANCHI: राजधानी में मकान मालिकों ने बिजली बिल को कमाई का जरिया बना लिया है। एक मई से बिजली बिल का नया रेट लागू हो गया है। इसके साथ ही मकान मालिक अपने किरायेदारों से छह से आठ रुपए प्रति यूनिट तक वसूल रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा तय रेट सब्सिडी के साथ तीन रुपए प्रति यूनिट से शुरू होता है। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता अजीत कुमार ने बताया कि यदि मकान मालिक इस तरह बिल वसूली करते हैं, तो यह बिजली बेचने के अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें पूरे मकान का कनेक्शन तक कट सकता है।

ऐसे कर रहे अवैध कमाई

बिजली विभाग के नियमों के मुताबिक, हर स्लैब के हिसाब से अलग-अलग यूनिट चार्ज है। लेकिन मकान मालिक पूरी यूनिट जोड़कर पांच से छह रुपए के हिसाब से बिल वसूलकर कमाई कर रहे हैं। यानी अगर 140 यूनिट रीडिंग है, तो 200 यूनिट तक के लिए तीन रुपए ही पे करना है। ऐसे में 200 यूनिट से कम खपत पर तीन रुपए के हिसाब से बिल लेना चाहिए। लेकिन मकान मालिक सभी 140 यूनिट को पांच से छह रुपए से गुना कर बिल से कमाई कर रहे हैं। इसमें वैसे उपभोक्ताओं को भी ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं, जिन्होंने सबसे कम बिजली की खपत की है।

सब मीटर लगाकर वसूली

मकान मालिक अगर 500 यूनिट खपत करने की क्षमता के अनुसार मीटर लगाते हैं, तो उनको 5.50 रुपए प्रति यूनिट से बिजली का बिल देना होगा। लेकिन किरायेदार अगर 190 यूनिट बिजली की खपत करते हैं तो उनको सरकार की सब्सिडी के अनुसार तीन रुपए ही बिल देना होगा। इसके उलट मकान मालिक टोटल बिल में जोड़ देते हैं और छह रुपए तक वसूली कर रहे हैं। इसके लिए मकान मालिक हर किरायेदार के लिए अलग से सब मीटर लगाकर रखते हैं।

सरकार को भी चूना लगा रहे हैं मकान मालिक

बिजली वितरण निगम ने हर कैटेगरी के लिए अलग टैरिफ जारी किया है। डोमेस्टिक और कार्मशियल का अलग-अलग रेट है। लेकिन मकान मालिक अपना घर बनाकर डोमेस्टिक कनेक्शन लेते हैं और सरकार की सब्सिडी का लाभ लेते हैं। लेकिन वो अपने घर में किरायेदार रखकर पैसा कमाते हैं, कायदे से उनको कार्मशियल मीटर लेने की जरूरत है, जिसका रेट डोमेस्टिक से अधिक है, लेकिन मकान मालिक कार्मशियल के बजाय डोमेस्टिक रेट से बिजली बिल पे कर रहे हैं और सरकार को भी चूना लगा रहे हैं।

खुद मीटर लगाकर बच सकते हैं किरायेदार

बिजली विभाग के अभियंता अजीत कुमार ने बताया कि मकान मालिक जो मीटर लगाते हैं, उसमें जो बिल आता है वो उनसे वसूला जाता है। विभाग द्वारा मीटर और कंजम्प्शन पर ही बिल लिया जाता है। हालांकि, अगर किरायेदार चाहें तो मकान मालिक से कंसेंट लेकर अलग से मीटर भी लगा सकते हैं। इस तरह वो जितनी बिजली खर्च करेंगे उतने का ही बिल उनको देना होगा। इससे उन्हें सब्सिडी का लाभ भी मिलेगा।

वर्जन

बिजली वितरण निगम द्वारा हर कंज्यूमर को उसके बिजली खपत के अनुसार मीटर लगाया जाता है। जितनी बिजली खर्च होती है उतना बिल लिया जाता है। एक प्वाइंट जहां पर मीटर लगा है, उसी अनुसार हमलोग बिल लेते हैं। यदि मकान मालिक इस तरह बिल वसूली कर रहे हैं, तो यह बिजली बेचने के अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें पूरे मकान का कनेक्शन तक कट सकता है।

-अजीत कुमार, अधीक्षण अभियंता, रांची सर्किल