-सत्तापक्ष बीजेपी से लेकर कांग्रेस, राजद के चुनाव प्रचार में भी स्थानीय नीति पर चर्चा नहीं

-मुख्य विपक्षी पार्टी जेएमएम स्थानीयता मुद्दा के सहारे मैदान मारने की तैयारी में

RANCHI: हाल ही में घोषित झारखंड की स्थानीय नीति गोड्डा व पांकी विधानसभा उपचुनाव में सत्तापक्ष बीजेपी के साथ ही विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए भी गले की हड्डी बन गई है। दोनों सीटों पर 16 मई को मतदान है। चुनाव प्रचार चरम पर है। लेकिन, एक तरफ जहां सत्तापक्ष बीजेपी इस उपचुनाव में स्थानीयता का क्रेडिट लेने से बच रही है, वहीं कांग्रेस, राजद व जदयू भी स्थानीयता पर कुछ बोलने से बच रही हैं। बीजेपी व कांग्रेस को डर है कि अगर इस चुनाव में स्थानीयता मुद्दा बन गया, तो इनकी जीत का समीकरण गड़बड़ा सकता है। जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी जेएमएम इसको अपना प्रमुख मुद्दा बनाकर आदिवासी, मूलवासी व सदान वोटों को एकजुट कर मैदान मारने की तैयारी में है।

स्थानीयता का क्रेडिट नहीं ले रही बीजेपी

पांकी विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार लाल सूरज के चुनाव प्रचार में स्थानीयता को लेकर बीजेपी कोई क्रेडिट नहीं ले रही है। क्योंकि इस सीट पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस भी स्थानीयता को लेकर सीधे कहने से बच रही है। क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी का सहयोग कर रहे राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड का स्थानीय नीति पर अपना अलग स्टैंड है। ये दोनों पार्टियां भी बिहार संचालित होती हैं। गौरतलब है कि पांकी सीट पर मूलवासी कुशवाहा वोट निर्णायक हैं।

स्थानीयता को जेएमएम ने बनाया मुद्दा

ऐसा ही हाल गोड्डा सीट पर भी है। जहां पर बीजेपी उम्मीदवार अमित मंडल और राजद उम्मीदवार संजय यादव के चुनाव प्रचार में स्थानीयता चर्चा का विषय तो है, लेकिन दबी जुबान। वहीं, इस सीट पर जेएमएम के टिकट से चुनाव लड़ रहे संजीव मारिक बीजेपी से लेकर राजद और कांगेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गोड्डा सीट पर यादव वोट किसी को जीताने और हराने की क्षमता रखता है।