RANCHI : झारखंड में कला व कलाकारों के प्रमोशन के लिए सरकार द्वारा बनाई गई फिल्म पॉलिसी पर 'डॉ डैंग' यानी अनुपर खेर की खामोशी भारी पड़ रही है। बॉलीवुड के इस दिग्गज एक्टर को झारखंड फिल्म विकास एवं सलाहकार समिति का चेयरपर्सन बनाया गया है, पर उनकी एक्टिविटीज पूरी तरह डेड है। हालात यह है कि दिसम्बर 2017 के बाद से इस समिति की कोई बैठक नहीं हुई है। इस वजह से राज्य में बनने वाली 1000 से ज्यादा फिल्में अधर में लटकी हुई हैं। ऐसे में समिति के कुछ सदस्य दबी जुबां से अनुपम खेर को चेयरपर्सन के पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। इस बाबत समिति जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है।

दायित्व निभाने में फेल

बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर को झारखंड फिल्म विकास एवं सलाहकार समिति का चेयरपर्सन इसलिए बनाया गया था कि उनके अनुभवों का न सिर्फ झारखंड फिल्म जगत को फायदा मिले, बल्कि यहां के कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा फिल्मों के जरिए दिखाने का मौका मिले। लेकिन, वे अपनी रिस्पांसबिलिटी निभाने में फेल साबित हो रहे हैं। झारखंड के फिल्म पॉलिसी के प्रति उनकी दिलचस्पी दिख्राई नहीं दे रही है। वे न तो झारखंड में फिल्म से जुड़े किसी कार्यक्रम में शामिल होते हैं और न ही फिल्म डेवलपमेंट को लेकर कोई पॉलिसी पर निर्णय लेते हैं। इस वजह से लोकल आर्टिस्ट समेत फिल्म जगत से जुड़े कई लोगों का काम ठप्प है।

रांची डायरीज को 1.40 की दी थी सब्सिडी

अनुपम खेर की फिल्म रांची डायरीज को 1.40 करोड़ की सब्सिडी मिली है। उनकी फिल्म में काम करने वाली कलाकार सौंदर्या शर्मा को झारखंड अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेसटिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया है.परदे के पीछे चर्चा तेज है कि इसके लिए अनुपम खेर का प्रभाव मुख्य कारण रहा है।

क्या कहते हैं समिति के सदस्य

झारखंड के कलाकारों को झारखंड से बाहर किसी भी राज्य की फिल्म समिति में पद नहीं दिया जाता फिर यहां क्यों इसे लागू किया जा रहा है। राज्य हमारा है और यहां पद सर्वोच्च पद पर वही रहे जो यहां का स्थानीय निवासी है और फिल्म जगत की बेहतर जानकारी रखता है।

पदमश्री मुकुंद नायक

अनुपम खेर का बैठकों में नहीं होना कहीं न कहीं फिल्म पॉलिसी और स्टेट में फिल्मों के विकास को प्रभावित तो करता ही है, लेकिन अन्य सदस्यों को भी एकजुट होकर विचार और निर्णय करने चाहिए। परेशानियां कई रुप में सामने आएंगी और इसके निदान के लिए मजबूत नियमावली बनाने में समिति काफी पिछड़ रही है।

डॉ नेहा तिवारी

समिति का चेयरमैन यहां का लोकल व्यक्ति हो जिसे यहां के थिएटर की समझ हो। लोकल व्यक्ति होगा तो स्टेट की बेहतर समझ होगी और यहां विकास को तरजीह देगा केवल ग्लैमर को सामने रखकर फैसला नहीं होना चाहिए। फिल्म पॉलिसी अच्छी बनी है और इसके तहत डेवलपमेंट जरुरी है।

अजय मलकानी

अनुपम खेर से समिति या झारखंड फिल्म जगत को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। फिल्म पॉलिसी के तहत स्टेट में अगर कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के साथ साथ डेवलपमेंट चाहिए तो अनुपम खेर को तत्काल हटाना होगा.उनके जगह पर स्थानीय और जानकार को लाया जाना चाहिए।

ऋषि प्रकाश ंिमश्रा