RANCHI : माननीयों के उड़नखटोले से होनेवाले दौरे पर हर महीने डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होते हैं, फिर भी उनकी जान जोखिम में रहती है। अब देखिए ना। शनिवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास उस समय बाल-बल बच गए जब उनका हेलीकॉप्टर उड़ान भरने के समय पेड़ से टकराते-टकराते बच गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। झारखंड में हेलीकॉप्टर के पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। ऐसे हादसों से सरकार ने अभी तक सबक नहीं ली है।

अपना हेलीकॉप्टर नहीं

झारखंड के अलग राज्य बने 14 साल से ज्यादा हो चुके हैं, फिर भी इसका अपना एक भी हेलीकॉप्टर नहीं है। प्राइवेट कंपनी से हेलीकॉप्टर को किराए पर लेकर सरकार काम चला रही है। अभी आर्यन कंपनी के फाइव सीटेड अगस्टा-109 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल सरकार कर रही है। मुख्मंयत्री और मंत्री समेत आलाधिकारी इसी हेलीकॉप्टर से दौरा कर रहे हैं। वैसे, कई बार हेलीकॉप्टर खरीदने पर बात हुई, लेकिन खरीदा नहीं जा सका। दूसरी तरह प्राइवेट कंपनी से हायर हेलीकॉप्टर कई बार धोखा दे चुकी है, फिर भी सरकार नहीं चेती है।

जितना किराया दे दिया, उतने में आ जाते कई हेलीकॉप्टर

अभी 3 लाख रुपए प्रति घंटे फ्लाइंग की दर से हेलीकॉप्टर के किराए का भुगतान सरकार कर रही है। आर्यन एविएशन के हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हर महीने कम से कम 50 घंटे हो रहा है। इसके एवज में कंपनी को हर महीने डेढ़ करोड़ का भुगतान हो रहा है, यानि एक साल में कम से कम 18 करोड़ सिर्फ किराया देने में चला जा रहा है। अगर पिछले 15 सालों में सरकार ने हेलीकॉप्टर के किराए पर जितने रुपए फूंक दिए, उतने में कई हेलीकॉप्टर खरीदे जा सकते थे।

उड़ना चाहिए 30 घंटे, उड़ रहा 50 घंटे

नगर विमानन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आर्यन कंपनी का जो अगस्टा हेलीकॉप्टर इस्तेमाल हो रहा है, उसके हर महीने की औसत उड़ान 25 से 30 घंटा होनी चाहिए, पर यह 50 घंटे से ज्यादा की उड़ान भर रहा है । ऐसे में हेलीकॉप्टर में तकनीकी समस्या आ जाती है। हालांकि, प्राइवेट कंपनी का हेलीकॉप्टर होने के कारण सरकारी अधिकारी ऑन द रिकॉर्ड इस मामले पर कुछ बोलना नहीं चाहते, लेकिन दबी जुबान से इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं।