राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू की याचिका पर सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई थी लेकिन न्यायालय ने फ़ैसला सुरक्षित रखा था.

उच्च न्यायालय ने इससे पहले शुक्रवार को इस मामले में जेल भेजे गए बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को प्रोवीज़नल (औपबंधिक) ज़मानत दे दी थी.

इससे पहले उच्च न्यायालय ने लालू की ज़मानत याचिका पर बहस के लिए सीबीआई को और वक़्त दे दिया था. ज़मानत याचिका पर सुनवाई 30 अक्तूबर तक के लिए टाल दी गई थी.

सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेज़री से 37.7 करोड़ रुपए निकालने के मामले में 30 सितंबर को लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और आरके राना समेत 43 अभियुक्तों को दोषी क़रार दिया था.

मामला

लालू प्रसाद यादव को पाँच साल की  सज़ा हुई है. लालू ने इसके ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में अपील दायर की है. लालू को लोकसभा की सदस्यता से भी अयोग्य क़रार दे दिया गया था.

चाइबासा कोषागार से कथित फ़र्ज़ी बिल देकर 37.7 करोड़ रुपए निकालने का ये मामला जब सामने आया, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ध्रुव भगत और जगदीश शर्मा की सदस्यता वाली विधानसभा समिति से इसकी जांच कराने के आदेश दिए थे.

इस मामले में शिवानंद तिवारी, सरयू रॉय, राजीव रंजन सिंह और रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को 950 करोड़ रुपए के कथित चारा घोटाले के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था.

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