RANCHI : हाईकोर्ट ने आधुनिक जेल मैनुअल बनाने का निर्देश दिया है। बुधवार को हाईकोर्ट ने यह जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य में 1925 का जेल मैनुअल ही चल रहा है। जबकि बिहार सहित लगभग सभी राज्य आधुनिक जेल मैनुअल बनाकर उसे लागू कर चुके हैं। राज्य की जेलों की खराब हालत को ठीक करने के मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायाधीश वीरेंदर सिंह और न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान एमीकस क्यूरी मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि यहां अब भी पुरानी परंपरा ही चल रही है जबकि देश के अन्य राज्यों में नई व्यवस्था लागू हो चुकी है। अदालत ने तत्काल गृह विभाग के प्रधान सचिव को चार सप्ताह में आधुनिक जेल मैनुअल का प्रारूप तैयार कर पेश करने को कहा।

सरकार ने रखा पक्ष

मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि एक माह के अंदर राज्य में एक हजार से अधिक वार्डन की नियुक्ति कर ली जाएगी। जेलों में अधीक्षक के पांच पदों को प्रोन्नति से भरा गया है और नौ पदों को जेपीएससी के माध्यम से भरने का निर्णय लिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि पिछले दिनों अखबार में खबर छपी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर बीस हजार रुपये का जुर्माना सिर्फ इसलिए लगाया था कि समय पर जवाब दायर नहीं किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में भी जेल सुधारों को लेकर ही सुनवाई चल रही है। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य में काफी काम किया गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जवाब क्यों नहीं दायर किया गया, यह समझ से परे है। अदालत ने प्रतिवादियों को प्रगति रिपोर्ट दायर करने को कहा और चार सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्देश दिया।