क्यों खास हैं मलूटी के मंदिर


झारखंड और बंगाल के बॉर्डर स्थित झारखंड के दुमका डिस्ट्रिक्ट से 55 किलोमीटर दूर एक गांव है, जिसे मलूटी के नाम से जाना जाता है। यहां पर मध्यकालीन स्थापत्य कला के अनूठे नमूने मौजूद हैं। यह हैं यहां के मंदिर। जो गांव में एक सिरे से दूसरे सिरे तक दिखाई देते हैं। यहां पर भगवान शंकर को समर्पित 69 मंदिर हैं। हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच स्थित मलूटी के मंदिर वल्र्ड फेमस हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर टेराकोटा की कलाकृतियां बनाई गर्ईं है। छोटे-छोट लाल सुर्ख ईटों से इन मंदिरों को बनाया गया है। जीर्ण-शीर्ण हालत में होते हुए भी गजब की सुंदरता इन मंदिरों से झांकती है। मंदिर की दीवारों पर राम और कृष्ण की आकृति भी दिखाई गई है। माना जाता है कि इन मंदिरों को मलूटी के प्रथम राजा बसंत राय और उनके पूर्वजों ने 1720 से लेकर 1740 के बीच बनवाया था। मलूटी ग्रुप्स ऑफ मंदिर को वल्र्ड हेरिटेज में शामिल करने का प्रपोजल है। इन्हीं मंदिरों और यहां की टेराकोटा आर्ट को थीम बनाकर इस बार रिपŽिलक डे की परेड में शामिल किया जा रहा है।