RANCHI : जिस सुधाकरण के सरेंडर किये जाने को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं उसे तेलांगना पहुंचाने के लिए झारखंड पुलिस ने पूरी ताकत लगा दी थी। उसे बूढ़ा पहाड़ से गारु (लातेहार) के रास्ते पहले रांची तक सेफ कॉरिडोर दिया गया। इस कॉरिडोर से पुलिस और ऑपरेशन में लगी सारी टीमों के रुट डाइवर्ट किए गए, ताकि किसी तरह का खतरा न रहे। रांची पहुंचने पर सादे लिबास में तैनात तेलांगना पुलिस के जवानों की सुरक्षा में उसे सौंप दिया गया। रांची एयरपोर्ट से फ्लाईट के द्वारा उसे आंध्र प्रदेश पहुंचाया गया। तेलांगना में सरेंडर करने वाले नक्सलियों को जेल नहीं भेजा जाता इसलिए अब वह आराम से पुलिस सुरक्षा के साथ तेलांगना में अपना व्यवसाय संभालेगा।

एक साल से दे रहा था धोखा

शीर्ष नक्सली सुधाकरण को गिरफ्तार करने के लिए राज्य पुलिस के कई ऑपरेशन चलाए जा रहे थे, वह विगत एक साल से राज्य पुलिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों के सम्पर्क में था। संगठन को धोखा देकर कई राज उसने पुलिस तक पहुंचाए। उसके सहयोग से कई मुठभेड़ को अंजाम दिया गया, जिसमें पुलिस को अप्रत्याशित सफलता हाथ लगी।

पुलिस की घेराबंदी ने किया विवश

झारखंड की कमान संभालने के बाद सुधाकरण बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों को ऑपरेट करता रहा। राज्य पुलिस ने आधुनिक संसाधनों, सीआरपीएफ, एसटीएफ समेत कई अन्य टीमों की सहायता से पहाड़ के चारों तरफ घेराबंदी लगाया। इस वजह से पहले इलाज के अभाव में देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी की मौत हो गयी और उसके बाद सुधाकरण के सरेंडर की स्थिति बन गई।

अकूत दौलत को बचाने की मुहिम

पुलिस ने 30 अगस्त 2017 को रांची रेलवे स्टेशन के पास सुधाकरण के भाई बी। नारायण और बिजनेस पार्टनर सत्यनारायण रेड्डी को गिरफ्तार किया था। उनसे 25 लाख रु। नकद व आधा किलो सोना बरामद किया गया था। उसकी अकूत दौलत की जानकारी एनआईए टीम को भी थी। इसी प्रॉपर्टी बचाने की चाह ने सुधाकरण को हथियार छोड़ने पर विवश कर दिया।

वर्ष 2015 से झारखंड को बनाया बेस

तेलंगाना के आदिलाबाद निर्मल के रहने वाले नक्सली सुधाकरण को 2015 में शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ से झारखंड भेजा गया था। उसने झारखंड को अपना बेस बनाया । सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुधाकरण ने बतौर लेवी झारखंड से करोड़ों रुपए वसूल तेलंगाना में कई बिजनेस में लगा रखा है।