अभियान: ओलंपिक और हम

-कई वेटलिफ्टरों ने देश-दुनिया में जीता गोल्ड मेडल

-15 साल में भी खेल नीति नहीं, सरकार का नहीं है कोई ध्यान

-दूसरे राज्य से खेलने को विवश हैं झारखंड के खिलाड़ी

RANCHI: सुजाता भगत, बेला घोष ये ऐसी वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने नेशनल, इंटरनेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर झारखंड का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया। लेकिन, 15 साल बाद भी राज्य में खेल नीति नहीं बन पाने के कारण झारखंड में आज वेटलिफ्टिंग बीमार हो गई है। मैदान में घंटों पसीना बहाने वाले जिन खिलाडि़यों ने एक अच्छे वेटलिफ्टर का सपना देखा था, उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। पैसा, शोहरत और सम्मान मिलने की आस में इनकी जिंदगियां तबाह हो गई हैं। सरकारी सहयोग नहीं मिलने से इनके हौसले पस्त हो रहे हैं। खेल नीति नहीं बनने के कारण कई होनहार वेटलिफ्टर दूसरे राज्य से खेलने को विवश हैं। सरकारी उदासीनता की वजह से हमारे खिलाड़ी कभी बिहार, कभी हिमाचल प्रदेश तो कभी अन्य राज्यों से खेल रहे हैं। ये खिलाड़ी दूसरे राज्यों में सेवा दे रहे हैं।

पुलिस विभाग में कई खिलाड़ी

झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच में कार्यरत सुजाता भगत व बेला घोष अमेरिका में खेले गए व‌र्ल्ड पुलिस गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपनी-अपनी ड्यूटी पर लग गई हैं। सुजाता ने दो और बेला ने एक गोल्ड जीता था। वीमेंस रॉ पुश पुल ओपेन चैंपियनशिप कैरोलिना में 11-12 जून को हुई थी, जिसमें पिछले साल व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी शामिल हुए। सुजाता ने स्कूल नेशनल, सीनियर नेशनल, ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में 100-200 मीटर दौड़ में पदक जीता है। रांची विवि में उनका 200 मीटर दौड़ का रिकॉर्ड अभी भी नहीं टूटा है।

पहले भी जीत चुकी हैं मेडल

सुजाता ने पावरलिफ्टिंग में करियर 2010 में शुरू किया। उन्होंने एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 2011, 12 व 13 में गोल्ड मेडल जीता। 2014 में स्ट्रांगेस्ट वीमेन ऑफ इंडिया का अवॉर्ड भी जीता। उसी साल दिल्ली में इंटरनेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था।

बेला के नाम भी कई रिकार्ड

रातू रोड के एक जिम में प्रैक्टिस करनेवाली 47 वर्षीया बेला घोष असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की वेटलिफ्टिंग में शादी के बाद रुझान पैदा हुआ। इन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से अमेरिका समेत कई नेशनल-इंटरनेशनल चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट किया।

नहीं थे जूते, कॉम्पटीशन से किया बाहर

जैप-10 में पदस्थापित पुष्पा ने कहा कि कॉस्टयूम नहीं होने के कारण प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका नहीं दिया गया। उनके मुताबिक, वह 2015 में ऑल इंडिया खेलने दिल्ली गई थी, वहां पर कॉस्टयूम और जूता नहीं रहने पर उसे प्रतिस्पद्र्वा में भाग लेने नहीं दिया गया था। दूसरी बार जब वह हरियाणा गई तो आठवें पोजीशन पर आई। पुष्पा का कहना है कि उसे राजधानी में कोई सिखानेवाला नहीं है। सोना जिम में दिलीप भैया सिखाते थे, अब वे भी नहीं है। इधर, पुलिस डिपार्टमेंट कहता है कि खेलो और मेडल लाओ। उसकी व्यथा यह है कि बूटी मोड़ में एक जिम है, जहां पर उनलोगों को प्रैक्टिस करने नहीं दिया जाता है। कहा जाता है कि सामानों को ज्यादा जोर से पटका जाता है। कुछ दिन वह खेलगांव में स्थित वेटलिफ्टिंग में प्रैक्टिस की, पर उसे बंद कर दिया गया। दिसंबर में ऑल इंडिया होनेवाला है, लेकिन इस वक्त उनलोगों से ड्यूटी ली जा रही है। यही दशा गुरवारी देवी का भी है। वह इस बार हरियाण गई थी। बॉडी वेट में अंतर पाए जाने के कारण उसे फॉल्ट करार दिया गया।

न कोच है न प्रैक्टिस ग्राउंड

दिल्ली में आयोजित फेडरेशन कप में हिस्सा लेने के बाद इन खिलाडि़यों का जज्बा काफी बढ़ गया है। यदि इन खिलाडि़यों को प्रोत्साहित किया जाए, तो ओलंपिक में भी मेडल ला सकती हैं। झारखंड में कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जो पदक ला सकते है। लेकिन, वेटलिफ्टिंग का रांची में कोई साधन नहीं हैं। न तो कोच हैं और न ही ट्रेनिंग की बेहतर व्यवस्था। कुछ खिलाडि़यों के मुताबिक, वेटलि़िफ्टंग के सेक्रेटरी टीडी राय जमशेदपुर में बैठते हैं, लेकिन उनका इंटरेस्ट भी कम ही दिखता है।