चलता-फिरता एडवरटाइजमेंट
एसी बस में सिर्फ फ्रंट ग्लास को छोड़ कर हर ग्लास पर एडवरटाइजमेंट कंपनियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा रखी है। डिपार्टमेंट भी मुनाफा कमाने के चक्कर में इन कंपनियों के एडवरटाइजमेंट को तरजीह दे रहे हैं। हाल तो यह है कि ग्लासेज के साथ पूरी बस को एडवरटाइजमेंट से पाट दिया गया है। जब ये बसें सड़कों पर दौड़ती हैं तो यह एक चलता-फिरता एडवरटाइजमेंट लगती हैं।
पैसेंजर्स की परेशानी
जहां एक तरफ बसेज के विंडो ग्लासेज पर एडवरटाइजमेंट फिल्में डिपार्टमेंट के लिए मुनाफा कमाने का जरिया बन गई हैं वहीं यह पैसेंजर्स के लिए सिरदर्द हैं। दरअसल, विडोंज पर एडवरटाइजमेंट फिल्में चढ़ी होने की वजह से ट्रैवलिंग के दौरान पैसेंजर्स को सड़क पर कुछ दिखाई नहीं देता। इस दौरान उनका स्टॉपेज भी कई बार निकल जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता।
लाइट पर भी फिल्म
पैसेंजर्स की प्रॉब्लम को न देखते हुए एडवरटाइजेंट कंपनियां बस की लाइट को भी फिल्म से थोप देती हैं। जिसकी वजह से रात में बस की लाइट हाइवे पर हल्की नजर आती है। कंपनियों की मनमानी पर ब्रेक लगाने के लिए आरटीओ ने कई दफा जेनर्म ऑफिसर्स को लेटर लिखा। लेकिन, इस दिशा में कोई बात नहीं बनी।
नॉर्मल का भी हाल ऐसा ही
एसी बस के अलावा सिटी की रोड पर चलने वाली नॉर्मल बस की विंडो ग्लास का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहां पर भी एडवरटाइजेंट कंपनियों का दबदबा नियम कानून से ऊपर है। पूरी की पूरी बस को एडवरटाइजेंट से रंग दिया गया है। इसके अलावा उन्हें फ्रंट एरिया तो दूर इनर साइड को भी फिल्मों से ढक दिया है।
एक्सीडेंट नजर न आने पर
एडवरटाइजेंट कंपनियों की मनमानी बस के विंडों पर उस वक्त भारी पड़ती है जब पीछे चल रही बस बैक साइड के ग्लास पर चढ़ी फिल्म की वजह से नजर नहीं आती। हालांकि, फिल्म को लेकर बस स्टाफ ने विरोध किया था। साथ ही संबंधित ऑफिसर को इसे हटवाने को कहा लेकिन हुआ कुछ नहीं।
नोटिस दिया कार्रवाई नहीं
बस में चढ़ी एडवरटाइजमेंट फिल्म को लेकर डीएम ने भी रोडवेज और जेनर्म डिपार्टमेंट को फटकार लगाई थी। साथ ही इसे हटाने के दिशा निर्देश और नियम कानून से बस चलाने की बात कही थी। इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे।
जेनर्म बस
नंबर ऑफ एसी   - 10
नंबर ऑफ नॉर्मल - 130
रोडवेज बस की संख्या - 543
रूट हैं यह
दयालबाग टू आगरा कैंट
भगवान टॉकीज टू रामबाग
वाटर वक्र्स टू बिजली घर
बिजली घर टू सैंया, खेरागढ़, एत्मादपुर, फतेहाबाद, रोहता आदि
- पीछे साइड से आती बस भी नजर नहीं आती है, वहीं स्टॉपेज का भी पता नहीं चलता।
अनिल
- एडवरटाइजमेंट की वजह से कौन सी बस कहां की है। यह पता नहीं चलता, क्योंकि बस पैक रहती है।
अशीष चौबे
- एडमिनिस्ट्रेशन को यह नजर नहीं आता। इस फिल्म को ग्लास से हटा देना चाहिए।
प्रतीक तिवारी
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बस से फिल्म हटाने के लिए एडवरटाइजमेंट कंपनियों को नोटिस दिया जा चुका है। इस दिशा में काम शुरू भी हो चुका है।
अनिल कुमार, आरएम
जेनर्म बस