-वैकेंसी निकलने से पहले ही चयनित होने वालों का तय हो जाता है नाम

-आई नेक्स्ट को पास ऐसी ही एक मीटिंग का ऑडियो

-वीसी से लेकर बड़े जिम्मेदार ऐसी ही फिक्सिंग में शामिल

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: बीते कुछ दिनों से धरती पर भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टरों के कई कारनामों से परदा उठ रहा है। चाहे इनकी 'हड़ताल' से दर्जनों मरीजों की मौत का मामला हो या फिर अदालती डंडा चलने के बाद स्ट्राइक को ही झुठलाने की कोशिश हो, यही नहीं प्रमोशन पाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र लगाने का खेल भी खुल चुका है। धरती के इन भगवानों की नई कारस्तानी तो आपके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसका देगी। आलम यह कि केजीएमयू में सीनियर रेजीडेंट समेत कई पदों के लिए वैकेंसी निकलने के पहले ही नौकरी पाने वाले का नाम फिक्स कर लिया जाता है। बाद में विज्ञापन निकालने और इंटरव्यू जैसे काम तो सिर्फ दिखावाभर होते हैं। बीते कुछ समय पहले चयन को लेकर वीसी और केजीएमयू के बड़े अधिकारियों की हुई मीटिंग का पूरा वीडियो आई नेक्स्ट के हाथ लगा है, इसमें जॉब फिक्सिंग का पूरा खेल रिकॉर्ड है।

अप्वाइंटमेंट के बाद जमकर झगड़ा

असल में वीडियो करीब साल भर पहले का है। जिसमें केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारी एक कैंडीडेट की भर्ती को लेकर आपस में बहस कर रहे हैं। वीसी ऑफिस में हुई मीटिंग में डेंटल में सीनियर रेजीडेंट के पदों पर भर्ती की चर्चा तब हुई, जब सेलेक्शन हो चुके थे। दो कैंडीडेट्स को नियुक्तिपत्र भी जारी हो चुका था, लेकिन टॉपर को पत्र ही नहीं भेजा गया। यही नहीं तत्कालीन रजिस्ट्रार के कैंडीडेट का भी सेलेक्शन नहीं हुआ। जिसके कारण सीनियर डॉक्टर्स ने आपत्ति कर दी। इस बैठक में वीसी प्रो। रविकांत, डेंटल की तत्कालीन डीन प्रो। जया दीक्षित, वर्तमान डीन प्रो। एपी टिक्कू, प्रो। विनीत शर्मा और प्रो। एससी तिवारी भी मौजूद थे। वीडियो में सीनियर प्रोफेसर साफ कह रहे हैं कि रजिस्ट्रार के कैंडीडेट का सेलेक्शन नहीं हुआ। डेंटल की प्रोफेसर ने कहा कि आज तक मैंने गलत नहीं किया और जो पहली रैंक पर है, उसे बाहर कैसे कर सकते हैं। उसे अप्वाइंटमेंट लेटर ही नहीं भेजा गया। इस मीटिंग में तय किया गया कि जिन्हें लेटर गया है उन्हें कह दिया जाए कि लेटर में वेटिंग लिखना रह गया है और उन्हें बाद में कहीं और 'एडजस्ट' किया जाएगा।

तीन पदों पर होनी थी ज्वाइनिंग

दरअसल, डेंटल में सीनियर रेजीडेंट के पद के लिए तीन सीटों पर भर्ती की जानी थी। जिसमें एक पर तत्कालीन रजिस्ट्रार के कैंडीडेट का चयन ही नहीं हो सका। जिसके बाद सबने तय किया कि सबका ख्याल रखा जाएगा और सभी को ज्वाइनिंग दी जाएगी ताकि बाद में कोर्ट केस का मामला न फंसे। जिस सेलेक्टेड कैंडीडेट का चयन हो चुका है, उसे दूसरी जगह एडजस्ट भी किया जाएगा।

'जब सब तय था कि रजिस्ट्रार साहब के कैंडीडेट को रखना है तो अब कंट्रोवर्सी क्यों'

अपने कैंडीडेट के सेलेक्शन को लेकर जिस तरह की बातचीत सीनियर्स के बीच हुई, वो महाभारत से कम नहीं। पूरी बातचीत में 'पार्थ' का जिक्र है, 'अभिमन्यु' का जिक्र है। सेलेक्शन ना करने की गलती को सुधारने के लिए चली गई 'चाल' का जिक्र है ताकि 'चक्रव्यूह' में फंसने से बचा जा सके। मीटिंग में हुई बातचीत के खास अंश पढ़कर आपको ये सारी महाभारत समझ में आ जाएगी।

बातचीत के कुछ अहम हिस्से

प्रो। जया: प्रो। एससी तिवारी आए और कहा कि उनका कोई कैंडीडेट था, उसका क्या हुआ? मैंने कहा कि वेटिंग लिस्ट तो वो बोल रहे हैं कि दूसरा कंडीडेट क्यों नहीं? तो मैंने कहा कि इंटरनल। बाद में कहा गया कि वेटिंग में से एक अंदर जाएगा और मैंने कहा कि मैं तीनों इंटरनल स्टूडेंट चाहती हूं और एक्सीलेंस के साथ कोई कंप्रोमाइज नहीं। नहीं तो सब बाहर के लोग आ जाएंगे।

वीसी: किसी की चिट्ठी चली गई, लेकिन हमें ध्यान रखना है कि करना वही है, जो संस्थान के लिए ठीक है।

जया: जो पहले नंबर पर था पार्थ, उसे लेटर नहीं गया और सबको चला गया।

प्रो। टिक्कू: जब बात हुई थी कि रजिस्ट्रार साहब के कैंडीडेट को रखना है तो अब ये कंट्रोवर्सी क्यों?

प्रो। जया: कंट्रोवर्सी 2, 3 के कारण है और नंबर 1 को अप्वाइंटमेंट लेटर ही नहीं गया।

प्रो। विनीत: आपने डॉक्टर साहब से रिजल्ट चेंज कराया?

वीसी: एक पार्थ और एक लड़की को लेना है।

प्रो। टिक्कू: रजिस्ट्रार साहब ने एक ही के लिए कहा और इन्होंने पहले ओके कहा था।

वीसी: ऐसा न हो कि अभिमन्यु की तरह हम इतने फ्रंट न खोल लें कि संभाल न पाएं।

पार्थ को भी लेना है और उस रजिस्ट्रार साहब वाली उस लड़की को भी लेना है। जिसे लेटर चला गया है। हम कह देंगे टाइपोग्राफिक मिस्टेक से वेटिंग लिखना रह गया। 15 दिन में हम दूसरे कैंडीडेट को भी किसी अन्य पोस्ट में रख देंगे।

प्रो। एसी तिवारी: लखीमपुर के विधायक से, मेरे फादर से और दो तीन लोगों से कहलवा कर बिल्कुल।

वीसी: पार्थ को ऑनरेरी दे दिया जाए।

प्रो। जया: नहीं वह नंबर 1 है और डिपार्टमेंट के लिए अच्छा है।

वीसी: मिश्रा को एडजस्ट कैसे करें यह बड़ी दिक्कत है।

प्रो। एससी तिवारी: उसे जीरियाट्रिक डेंटिस्ट्री दे दिया जाए। काम इन्हीं के यहां करेगा और तैनात मेरे यहां होगी।

वीसी: लेकिन क्या उसको एक्स्पीरिएंस सर्टिफिकेट दे पाएंगे?

नोट:: पूरी रिकॉडिंग करीब 45 मिनट की है और आई नेक्स्ट के पास सुरक्षित है।

कहीं किसी प्रकार का रिजल्ट बदला नहीं गया। प्रेशर रहता है, हमें सबको सुनना पड़ता है। लेकिन, करते वही हैं, जो सही है। कोई इंडीविजुअल संस्थान से बड़ा नहीं हो सकता।

प्रो। रविकांत, वीसी केजीएमयू