बीटेक करने वाले सुमित का भी कमोवेश यही हाल है। दरअसल देश की ग्रोथ रेट निगेटिव में चल रही है। कहां सात परसेंट की ग्रोथ रेट के बाद नौ परसेंट का टारगेट रखा जा रहा था। वहीं अब पांच-छह परसेंट पर टिकना भी मुश्किल हो गया है। एसोचैम के लेटेस्ट सर्वे के मुताबिक देश में जॉब जेनरेशन में 14.1 परसेंट की कमी आई है। ये सर्वे रिपोर्ट 2012-13 के सेकेंड हॉफ पर बेस्ड है। सर्वे के मुताबिक एनसीआर में ग्रोथ रेट माइनस 1.6 है।

अहमदाबाद सबसे पीछे

दिल्ली एनसीआर की बात की जाए तो यहां पर जॉब जेनरेशन की ग्रोथ निगेटिव में जा चुकी है। सर्वे के मुताबिक एनसीआर में ग्रोथ रेट माइनस 1.6 है। जबकि अहमदाबाद में माइनस 37.4 परसेंट, पुणे में माइनस 23.2 परसेंट, मुंबई में माइनस 21.6, कोलकाता में माइनस 18 परसेंट की रेट है।

दिल्ली का हाल भी बेहाल

सिर्फ दिल्ली की बात की जाए तो दिल्ली में सिर्फ 35 हजार आईटी में, 5500 जॉब एजुकेशन सेक्टर में, इंजीनियरिंग में 2890, रियल एस्टेट में 2200 और मेन्यूफेक्चरिंग में 1840 जॉब दिए गए।

मेरठ में ग्र्रोथ

टू टीयर सिटीज की बात की जाए तो इनमें जॉब जेनरेशन बढ़ी है। कोचिन में 16.2 परसेंट जॉब जेनरेशन बढ़ी है। जबकि लखनऊ में 4.9 और मेरठ में 3.5 परसेंट की बढोत्तरी हुई है।

साल भर में 5.38 लाख जॉब

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्लगिश इकोनोमिक ग्रोथ रेट के कारण फ्रेश इनवेस्टमेंट नहीं हो रहा है। इसलिए देश भर में जॉब पैदा नहीं हो पा रही है। लास्ट फाइनेंशियल इयर में देश भर में 5.38 लाख जॉब जेनरेट हुई। इनमें से 2.65 साल के फस्र्ट हॉफ में और 2.73 साल के सेकेंड हॉफ में जेनरेट हुई। एसोचैम के इकोनोमिक रिसर्च ब्यूरो ने देश भर में जॉब पोस्ट करने वाले जॉब पोर्टल का डाटा भी इस सर्वे में शुमार किया है। ये जॉब पोर्टल देश के 56 शहरों में और 32 सेक्टर्स में जॉब प्रोवाइड कराते थे।

किस जगह कितनी जॉब

इस दौरान दिल्ली और एनसीआर में 66 हजार जॉब जेनरेट हुई, जबकि बंगलुरु में 40 हजार, मुंबई में 35500, चेन्नई में 21 हजार और हैदराबाद में 20930 जॉब जेनरेट हुई। जबकि ये पांच शहर देश के टॉप जॉब जेनरेटर सिटी में काउंट होते हैं।

किन सेक्टर में मिली जॉब                                                                                                                  इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में 1.2 लाख जॉब दी गई। एकेडमिक्स एंड एजुकेशन में 19500, इंश्योरेंस सेक्टर में 12000, फाइनेंस में 11680, बैंकिंग में 11675, ऑटोमोबाइल में 11290, मैन्यूफेक्चरिंग में 11670, इंजीनियरिंग में 9835 और आईटी हार्डवेयर में सात हजार जॉब जेनरेट हुई हैं।

टॉप ग्र्रोथ वाले सेक्टर

हालांकि जॉब जेनरेशन का ग्राफ स्लो है, लेकिन इसमें भी सबसे ज्यादा तेजी से बढऩे वाला सेक्टर एविएशन है। एविएशन में 72 परसेंट की ग्रोथ है, एचआर में 16.3 परसेंट, एकेडमिक एजुकेशन में आठ परसेंट, रियल एस्टेट में 0.2 परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई।

नहीं हो रहे प्लेसमेंट

हाल ही में सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज में भी प्लेसमेंट फेयर आयोजित किया गया था। लेकिन यहां पर भी बच्चे ठगे गए। बच्चों से रजिस्ट्रेशन फीस लेकर कंपनी फरार हो गई। उसके बाद फिर से प्लेसमेंट फेयर आयोजित करने की बात कही गई थी। लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

मामूली जॉब

कुछ प्राइवेट कॉलेज अपना नाम करने के लिए संबंधों के आधार पर कुछ कंपनियों को प्लेसमेंट फेयर के लिए बुलाते हैं। कंपनियां आती भी है। लेकिन जो नौकरी बच्चों को मिल रही है। उनका सेलरी स्केल बहुत अच्छा नहीं है। सेलरी स्केल छह से दस हजार के आस पास का ही है। वो भी कंपनी में जाने के बाद मिल जाए तो बड़ी बात होगी।

आंकड़े एक नजर में

माइक्रो स्माल इंडस्ट्री मेरठ में - एक हजार से ज्यादा

पास आउट होने वाले बच्चे - तीस हजार

कॉलेजों से मिला प्लेसमेंट - 1200

इनका सैलरी पैकेज - 8 हजार से 20 हजार तक

"कैंपस की तरफ से प्लेसमेंट की कोई सुविधा नहीं मिल रही है। पता नहीं पढ़ाई के बाद क्या होगा."

-लव कसाना, स्टूडेंट सीसीएसयू कैंपस

"पास आउट होने के बाद क्या होगा ये नहीं पता। अगर जॉब नहीं मिली तो अपना ही कुछ बिजनेस करूंगा."

-गगन सोम, बीटेक स्टूडेंट