- चार साल की पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए भटक रहे स्टूडेंट

- यूनिवर्सिटी तक को नहीं दे पाए प्लेसमेंट से जुड़े डॉक्यूमेंट

LUCKNOW:

इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के समय तो प्लेसमेंट के नाम पर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन जब कोर्स पूरा हो जाता है तो कई कॉलेजों के स्टूडेंट्स को नौकरी के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। कॉलेज से उनका प्लेसमेंट नहीं किया जाता है। अगर हम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों की बात करें तो इससे जुड़े छह सौ कॉलेजों में से केवल 50 का ही प्लेसमेंट रिकॉर्ड अच्छा है। बाकि कॉलेजों का रिकार्ड जीरो है। एकेटीयू की ओर से इन कॉलेजों से कई बार प्लेसमेंट का रिकार्ड मांगा गया है पर अभी तक चार सौ से अधिक कॉलेजों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है।

प्लेसमेंट के लिए सामने नहीं आ रही कंपनियां

एकेटीयू से एफिलिएटेड लगभग सभी कॉलेज एडमिशन के समय सौ प्रतिशत प्लेसमेंट का दावा कर एडमिशन ले लेते है। पर कोर्स पूरा होने के बाद कॉलेज कम्पनियां न आने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते है। आलम यह है कि एकेटीयू के एफिलिएटेड कॉलेजों में ए ग्रेड कैटेगरी के कॉलेजों को प्लेसमेंट कम्पनियां मिल रही हैं। पर बी और सी ग्रेड वाल कॉलेजों से कम्पनियां प्लेसमेंट के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। जब यूनिवर्सिटी ने इन इसके पीछे के कारण जाने की कोशिश की इसमें भी कॉलेजों की लापरवाही सामने आई है।

एक सी पढ़ाई फिर भी यह आलम

दरअसल एकेटीयू के सभी एफिलिएटेड इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में सालों से एक सी पढ़ाई और इनोवोशन के नाम पर स्टूडेंट्स को कुछ भी नया नहीं सीखाया जा रहा है। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में नाम मात्र के स्थाई शिक्षक हैं, ऐसे में गेस्ट प्रोफेसर या फिर कामचलाऊ प्रोफेसर के सहारे पढ़ाई कराई जा रही है। जिस कारण से इन कॉलेजों से प्लेसमेंट कम्पनियों ने मुंह मोड़ लिया है।

राजधानी के कॉलेजों का ग्राफ खराब

राजधानी में एकेटीयू से एफिलिएटेड कॉलेजों की संख्या करीब 70 है। इसमें से करीब 20 से 25 कॉलेजों ऐसे है, जहां पर प्लसेमेंट के लिए कम्पनियां आ रही हैं। राजधानी के कुछ चुनिंदा कॉलेजों में कम्पनियां सौ-सौ स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट लेने के लिए आ रही हैं। पर शेष कॉलेजों में वह जाना भी पसंद नहीं करती है। इसी का असर है एकेटीयू से कई कॉलेजों ने अपनी मान्यता समाप्त करने या फिर कुछ इंजीनियरिंग के कुछ ट्रेंड बंद करने तक की सिफारिश करते है।

गर्वमेंट कॉलेजों का भी हाल बुरा

आईईटी, केएनआईटी जैसे बड़े गर्वनमेंट कॉलेजों में भी प्लेसमेंट का रिकार्ड सही नहीं है। इन कॉलेजों में मानकों के अनुरुप कम्पनियां नहीं आ रही है। जो कम्पनियां प्लेसमेंट के लिए आ रही है, वह स्टूडेंट्स को एक लाख 80 हजार से लेकर दो लाख या फिर ढ़ाई लाख रुपए से अधिक का पैकेज नहीं दे रही हैं। प्लेसमेंट कंपनियां पिछले कई सालों से कॉलों को स्टूडेंट्स की गु़णवत्ता और कम्युनिकेशन स्किल को सुधारने की बात कह रही है। पर इस ओर न तो यूनिवर्सिटी ध्यान दे रही है और न ही कॉलेज।

कोट

पिछले कई साल से कंपनियां कॉलेजों की गुणवत्ता और कम्युनिकेशन को बेहतर करने के लिए कह रही है। इसी को लेकर हमने स्टूडेंट्स के लिए कई योजनाएं शुरू किए है। जिसे वह नए इनोवोशन और कम्युनिकेशन स्किल को सुधार सके।

प्रो। विनय कुमार पाठक, वीसी, एकेटीयू