- सभी विभागों से मांगा गया रोजगार परक कोर्स के लिए प्रपोजल

- यूनिवर्सिटी के अलावा बाहरी स्टूडेंट्स को भी मिलेगा डायरेक्ट एडमिशन का मौका

- कई साल से कोर्स हैं बंद, सिर्फ स्टूडेंट्स को ही मिलता था मौका

GORAKHPUR डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अब रोजगार पाने के मौके भी मिलेंगे। इसके लिए उन्हें बस सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या एडवांस डिप्लोमा जैसे कोर्सेज में एडमिशन लेना पड़ेगा। नए कोर्स को चलाने के लिए यूनिवर्सिटी में कवायद शुरू हो चुकी है। रजिस्ट्रार शत्रोहन वैश्य ने पहल करते हुए इस मामले में सभी डिपार्टमेंट के हेड को इस सिलसिले में एक लेटर भेजा है और उनसे पूछा है कि वह किस तरह के रोजगार परक कोर्स चलाना चाहते हैं या चला सकते हैं। इसका प्रपोजल बनाकर अपनी कमेटियों से पास करा लें, ताकि इसे एडकेमिक और एग्जिक्युटिव काउंसिल में पास कराया जा सके और स्टूडेंट्स के लिए रोजगार की राह आसान की जा सके।

बाहरी स्टूडेंट्स को भी मौका

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पहले डेढ़ दर्जन से अधिक रोजगार परक कोर्स चलते थे। लेकिन 2007 में चाबुक चला और वीसी अरुण कुमार के बाद यूनिवर्सिटी में ज्वॉइन करने वाले एके मित्तल ने सभी रोजगार परक कोर्सेज को रीव्यू में डाल दिया, जिसकी वजह से सभी में फॉर्म तो भरे गए, लेकिन एडमिशन नहीं हो सके। इसके बाद कोर्स चलने के लिए किसी ने कोशिश भी नहीं की, जिसकी वजह से ज्यादातर रोजगार परक कोर्स बंद हो गए। इन कोर्स को करने के लिए सिर्फ यूनिवर्सिटी के इंटरनल स्टूडेंट्स को मौका मिलता था, लेकिन इस बार यह पहल की जा रही है कि बाहरी स्टूडेंट्स भी अगर इन कोर्सेज में एडमिशन लेना चाहें, तो उनके अप्लीकेशन पर विचार किया जाए और उन्हें एडमिशन दे दिया जाए, जिससे यूनिवर्सिटी की आय में भी इजाफा हो सके।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने उठाया था मुद्दा

रोजगार परक कोर्सेज को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मुद्दा उठाया था। तीन जुलाई के एडिशन में 'डीडीयू ने बंद कर दी रोजगार की राह' हेडिंग से खबर पब्लिश कर यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर दिलाया। इसके बाद यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों ने इस पर मंथन किया, लेकिन शिक्षक भर्ती चलने की वजह से इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। मगर शिक्षक भर्ती प्रॉसेस पर ब्रेक लगने के बाद जिम्मेदारों ने इसको लेकर फिर पहल की और अब इन कोर्सेज को दोबारा शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है। उम्मीद है कि इस सेशन के लास्ट या नेक्स्ट सेशन से यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को रेग्युलर के साथ ही रोजगार परक कोर्सेज में एडमिशन लेने का मौका मिलेगा और उनकी बेरोजगारी दूर हो सकेगी।

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यूनिवर्सिटी को होती थी अच्छी आमदनी

इन रोजगार परक कोर्स के जरिए यूनिवर्सिटी को काफी आमदनी होती थी, जिससे पढ़ाने वाले टीचर्स की सैलरी और कोर्स कंडक्शन के लिए जरूरी खर्च निकालने के बाद यूनिवर्सिटी को काफी पैसे भी बचते थे। इससे यूनिवर्सिटी में दूसरे डिपार्टमेंट, जिनमें स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट कम था, उनको चलाने में भी मदद मिलती थी। लेकिन इन कोर्स के बंद होने के बाद यूनिवर्सिटी में न सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए रोजगार के द्वार बंद हुए, बल्कि यूनिवर्सिटी की लाखों की आमदनी का जरिया भी बंद हो गया। मगर इस पहल के बाद एक बार फिर यूनिवर्सिटी में कोर्स चलने की उम्मीदें जगी हैं और इससे यूनिवर्सिटी की आमदनी भी बढ़ने की उम्मीद है।

चलते थे यह कोर्स जो हो गए बंद

पीजी डिप्लोमा इन पेस्ट मैनेजमेंट

बीएससी-एमएससी इन फूड एंड न्यूट्रिशन

रिसोर्स मैनेजमेंट

एचआरडी

क्लॉथिंग एंड टेक्सटाइल

एक्सटेंशन एजुकेशन

बी-लिब

एम-लिब

रूरल डेवलपमेंट

टूरिज्म एंड ट्रैवेल मैनेजमेंट

रिमोट सेंसिंग

वॉटर शेड मैनेजमेंट

पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन

पीजी डिप्लोमा इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन

पीजी डिप्लोमा इन कम्युनिकेटिव इंग्लिश

पीजी डिप्लोमा इन टेक्सटाइल एंड क्लॉथ डिजाइनिंग

पीजी डिप्लोमा इन विजुअल कम्युनिकेशन एंड डिजाइन

पीजी डिप्लोमा इन आर्किटेक्चरल, लैंडस्केप एंड डेकोरेशन

पीजी डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल क्राफ्ट एंड डिजाइनिंग

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कुछ मॉडिफाई तो कुछ होंगे बंद

यूनिवर्सिटी में फिर से शुरू होने वाले सभी कोर्सेज शुरू हो जाएंगे, ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार इन कोर्सेज के रीव्यू की तैयारी में हैं, जिसके बाद यह तय हो सकेगा कि किन कोर्सेज को चलाया जाए और कौन से कोर्स काम के नहीं है। इसके अलावा जिन कोर्सेज में संभावनाएं हैं, उन्हें करंट जनरेशन को ध्यान में रखते हुए मॉडिफाई किया जाएगा, जिससे कि इन कोर्सेज के करने के बाद स्टूडेंट्स कहीं सैटल हो सकें या अपना खुद का बिजनेस डेवलप कर सकें।

वर्जन

रोजगार परक कोर्सेज को शुरू करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को लेटर भेजा जा रहा है। सभी पहले कोर्स की लिस्ट तैयार करेंगे। इसके बाद गैर जरूरी कोर्सेज को हटाया जाएगा और जिनमें मॉडिफिकेशन की जरूरत होगी, उन्हें मॉडिफाई कराने के बाद यूनिवर्सिटी में इसे शुरू कराया जाएगा। ऐसी कोशिश है कि इसका फायदा सभी को मिले, चाहे वह यूनिवर्सिटी के छात्र हों या न हों।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू