'पलटन' में दिखेंगे भारत-चीन युद्ध में इस्तेमाल हुए असली हथियार
मुंबई(ब्यूरो)। जेपी दत्ता युद्ध आधारित फिल्म 'बॉर्डर', 'एलओसी कारगिल' का निर्माण कर चुके हैं। उन फिल्मों को काफी पसंद किया गया था। उनकी अगली फिल्म 'पलटन' 1967 में सिक्किम सीमा पर भारत-चीन के बीच हुए युद्ध पर आधारित है। यह संघर्ष तब शुरू हुआ, जब हमारे सैनिकों ने चीनी समकक्षों की मांग के अनुसार, बॉर्डर समझे जाने वाले नाथूला से सेबू ला पर फेंसिंग न बिछाने की डिमांड को मानने से इनकार कर दिया था।
असली हथियार का किया इस्तेमाल
फिल्म को विश्वसनीय बनाने में जेपी दत्ता ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म में 1967 के युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुए हथियारों का प्रयोग किया गया है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इन शस्त्रों को अभिलेखागार में रखा था। जेपी दत्ता के मुताबिक, '1962 के भारत-चीन युद्ध में चीन ने छल-कपट किया था। उसने दो बार भारतीय बटालियन पर तब हमला किया था, जब वे सोए हुए थे। 1967 में हमारा सामना फिर नाथूला में हुआ। तब हमारे सैनिकों ने अपना बदला लिया था। लिहाजा उस दौर को रीक्रिएट करने के लिए बहुत सारी रिसर्च की जरूरत थी। उस वक्त सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियार और अस्त्र-शस्त्र वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले सैन्य हथियारों से काफी अलग हैं।
सात सितंबर को रिलीज होगी फिल्म
युद्ध के दृश्यों को वास्तविक दिखाने के लिए सेना ने हमारी मदद की। उन्हें हम एमएमजी राइफल, एलएमजी राइफल, रॉकेट लांचर इत्यादि उपलब्ध कराए। इनका उपयोग हमारी सेना ने 1967 के युद्ध के दौरान किया था।' उल्लेखनीय है कि फिल्म में अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, हर्षवर्धन राणे और गुरमीत चौधरी फिल्म में प्रमुख भूमिका में हैं। फिल्म सात सितंबर को रिलीज होगी।
मुंबई(ब्यूरो)। जेपी दत्ता युद्ध आधारित फिल्म 'बॉर्डर', 'एलओसी कारगिल' का निर्माण कर चुके हैं। उन फिल्मों को काफी पसंद किया गया था। उनकी अगली फिल्म 'पलटन' 1967 में सिक्किम सीमा पर भारत-चीन के बीच हुए युद्ध पर आधारित है। यह संघर्ष तब शुरू हुआ, जब हमारे सैनिकों ने चीनी समकक्षों की मांग के अनुसार, बॉर्डर समझे जाने वाले नाथूला से सेबू ला पर फेंसिंग न बिछाने की डिमांड को मानने से इनकार कर दिया था।
फिल्म को विश्वसनीय बनाने में जेपी दत्ता ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म में 1967 के युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुए हथियारों का प्रयोग किया गया है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इन शस्त्रों को अभिलेखागार में रखा था। जेपी दत्ता के मुताबिक, '1962 के भारत-चीन युद्ध में चीन ने छल-कपट किया था। उसने दो बार भारतीय बटालियन पर तब हमला किया था, जब वे सोए हुए थे। 1967 में हमारा सामना फिर नाथूला में हुआ। तब हमारे सैनिकों ने अपना बदला लिया था। लिहाजा उस दौर को रीक्रिएट करने के लिए बहुत सारी रिसर्च की जरूरत थी। उस वक्त सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियार और अस्त्र-शस्त्र वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले सैन्य हथियारों से काफी अलग हैं।
युद्ध के दृश्यों को वास्तविक दिखाने के लिए सेना ने हमारी मदद की। उन्हें हम एमएमजी राइफल, एलएमजी राइफल, रॉकेट लांचर इत्यादि उपलब्ध कराए। इनका उपयोग हमारी सेना ने 1967 के युद्ध के दौरान किया था।' उल्लेखनीय है कि फिल्म में अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, हर्षवर्धन राणे और गुरमीत चौधरी फिल्म में प्रमुख भूमिका में हैं। फिल्म सात सितंबर को रिलीज होगी।
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