RANCHI : झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन का विवादों से रिश्ता पुराना रहा है। कुछ ऐसा ही रिश्ता शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के साथ आयोग का जुड़ा है। आयोग ने अपग्रेड हाईस्कूलों में शिक्षकों के 2513 पदों पर नियुक्ति के लिए 2009 में प्रक्रिया शुरु की थी। इसी परीक्षा के लिए 2010 में दोबारा उम्मीदवारों से आमंत्रित किए गए। दूसरी बार करीब 40 हजार उम्मीदवारों ने आवेदन किए। लेकिन, आयोग शिक्षक नियुक्ति परीक्षा लेने में विफल रही। इतना ही नहीं, छह साल गुजर जाने के बाद भी आयोग उम्मीदवारों को परीक्षा शुल्क वापस नहीं कर पाई है। एक सामान्य उम्मीदवार से परीक्षा शुल्क के रुप में 250 रुपए लिए गए थे। इस तरह 40 हजार उम्मीदवारों के करीब एक करोड़ रुपए जेपीएससी के बैंक खाते जमा हैं।

जैक को मिल गया जिम्मा

जेपीएससी के शिक्षक नियुक्ति परीक्षा लेने में विफल होने पर 2011 में नए सिरे से परीक्षा आयोजन की जिम्मेवारी झारखंड एकेडमिक कौंसिल को सौंप दी गई। दरअसल इसके पीछे की वजह उम्मीदवारों के बीएड डिग्री की अनिवार्यता को लेकर थी। आयोग ने 2009 में जब पहली बार विज्ञापन निकाला तो शिक्षक नियुक्ति के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता जरूरी नहीं थी। बाद में सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए इस परीक्षा के लिए बीएड डिग्री कंपल्सरी कर दी। ऐसे में आयोग की ओर से 2010 में दुबारा शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए। करीब 40 हजार आवेदक फॉर्म भरे, फिर भी आयोग परीक्षा नहीं ले सकी। बाद में जैक की ओर से इस परीक्षा की प्रक्रिया पूरी की गई।

हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला

जेपीएससी द्वारा 2009 में शिक्षक नियुक्ति के लिए शुरु की गई प्रक्रिया पर विवाद तो हुआ ही, यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। पहली बार वैसे उम्मीदवार हाईकोर्ट की शरण में गए, जिन्होंने 2009 में फॉर्म भरा था, लेकिन दूसरी बार वंचित कर दिए गए। दूसरी दफा भी वैसे उम्मीदवार ने हाईकोर्ट में रिट फाइल की, जिन्होंने 2010 में जेपीएससी के माध्यम से आवेदन भरा था। आयोग की ओर से दोनों ही साल आवेदन करनेवाले उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल किए जाने का फैसला दिया।

जैक ने भी वसूला शुल्क

जेपीएससी से छीने जाने के बाद जैक ने 2011 में शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के लिए आवेदन मांगे। सामान्य उम्मीदवारों के लिए परीक्षा फी 700 रुपए थे, जबकि इससे पहले जेपीएससी ने भी आवेदकों से परीक्षा फी के रुपए में 250 रुपए लिए थे। इस तरह एक ही परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को जेपीएससी और जैक दोनों को परीक्षा फी देनी पड़ी। खास बात है कि परीक्षा नहीं लेने के बाद भी जेपीएससी आवेदकों को उससे लिए गए परीक्षा शुल्क को आजतक वापस नहीं कर सकी है।