RANCHI:कहते हैं सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है। बस मेहनत और लगन ही इसकी सीढ़ी है। लेकिन, पांचवीं जेपीएससी की सिविल सेवा के फ‌र्स्ट टॉपर रहे अभिषेक भूषण का कहना है कि स्मार्ट स्टडी भी आपको आपके मंजिल तक पहुंचा सकती है। मूल रूप से नालंदा के रहने वाले अभिषेक की पूरी फैमिली कुजू में रहती है। जेपीएससी में टॉपर रहे अभिषेक का सेलेक्शन प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ है, जबकि यूपीएससी में फारेस्ट सेवा में भी इनका सेलेक्शन हो चुका है। इसमें ऑल इंडिया फ्भ्वां रैंक मिला था। तीसरे बार में अभिषेक को मिली थी सफलता। अभिषेक भूषण बचपन से ही टैलेंटेड रहे हैं। दसवीं तक की तक इनकी पढ़ाई डीएवी मुनिडीह धनबाद से हुई है। इसके बाद बारहवीं इन्होनें चिनारा विद्यालय से किया है। जिसके बाद एनआईटी वारंगल से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद इन्हें एक कंपनी में जॉब मिला, जहां इन्हें क्भ् लाख रुपए का पैकेज मिलता था। लेकिन मन में अभिषेक ने कुछ और ही ठान रखा था। ख्0क्फ् से इन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और पहली कोशिश में ही टॉप कर गए।

दुकान चलाकर की पढ़ाई, मिली सफलता

-शैलेंद्र कुमार, प्रशासनिक सेवा के लिए सेलेक्ट

-बोकारो निवासी शैलेंद्र भ्वीं बार में हुए सफल

बोकारो के रहने वाले शैलेंद्र कुमार पांचवी जेपीएससी से प्रशासनिक सेवा के लिए सेलेक्ट हुए हैं। इनका ये सफर आसान नहीं था। माता की मौत पहले ही कैंसर से हो चुकी थी और बाद में पिता भी चल बसे। छोटे भाई को लेकर खुद की एक छोटी सा दुकान चलाई। इसके साथ ही पढ़ाई में इस मुकाम तक पहुंचे। पांचवी बार में शैलेंद्र को सफलता मिली है।

किसान का बेटा सुनिल बना जेल सुपरीटेंडेंट

-लोहरदगा के सुनिल कुमार का कारा सेवा के लिए सेलेक्शन

-कड़ी मेहनत की बदौलत पाया मुकाम

पढ़ाई में कभी तेज नहीं रहे। लेकिन अपने बुलंद इरादे और कड़ी मेहनत के बल पर जेल सुपरीटेंडेंट बने। लोहरदगा निवासी सुनिल कुमार ने जेपीएससी भ्वीं सिविल सेवा परीक्षा में बाजी मारी है। सुनील कुमार का कहना है कि यहां तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। पिता सुरेंद्र महतो खेती-बारी करते हैं। पढ़ाई-लिखाई से संबंधित कोई सलाह देने वाला नहीं था। लेकिन कोशिश रंग लाई और इस मुकाम तक पहुंच पाया।

हजारीबाग का मनोज राज्य को करेगा नक्सल मुक्त

-सीआईडी दारोगा का बेटा बना डीएसपी

-सफलता का श्रेय माता-पिता को

हजारीबाग के रहने वाले मनोज कुमार डीएसपी बने हैं। जेपीएससी की सिविल सेवा के जारी रिजल्ट देखने पहुंचे मनोज को फोन पर खूब बधाइयां मिल रही थी। इनके पिता रामेश्वर महतो सीआईडी में दरोगा हैं। मां शांति देवी गृहिणी हैं। ये अपनी सफलता का श्रेय खुद की मेहनत व माता-पिता के आर्शीवाद को देते हैं। इनका कहना है कि वे नक्सल मुक्त झारखंड बनाएंगे।

खुद से पढ़ाई कर पांचवीं बार में पाया मुकाम

-चतरा के बम बैजु रह चुके हैं टीआरएल डिपार्टमेंट में जेआरएफ

-विभावि से पूरी की है पढ़ाई

चतरा के रहने वाले बम बैजु टीआरएल डिपार्टमेंट में जेआरएफ रह चुके हैं। वहीं, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पिता रत्नेश्वर प्रसाद वर्मा का देहांत हो चुका है। वहीं, पांचवी बार में इन्हें सफलता मिली है। इनका कहना है कि मेरी मेहनत रंग लाई और आज मुझे ये मुकाम हासिल हुआ है।

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