रेलवे अधिकारियों ने नगर निगम से मांगी थी मदद, जानवर पकड़ने नहीं पहुंची टीम

BAREILLY:

जंक्शन पर मुसाफिरों की सुविधा, स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था ही दांव पर नहीं लगी है। बल्कि प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों का इंतजार करने के दौरान भी मुसाफिर खुद को सहज नहीं पाते। वजह, जंक्शन पर आवारा जानवरों ने अपना अड्डा बना लिया है। टिकट घर से लेकर प्लेटफार्म तक आवारा कुत्ते मुसाफिरों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए है। जंक्शन में करीब एक दर्जन से ज्यादा आवारा जानवर खासकर कुत्ते दिन-रात मंडराते रहते हैं। प्लेटफॉर्म, टिकट घर, इंक्वायरी हॉल और जीआरपी थाना परिसर ही नहीं, फुटओवर ब्रिज पर भी इन आवारा जानवरों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। आते-जाते मुसाफिरों को बीच रास्ते में लेटे इन आवारा जानवरों से न सिर्फ परेशानी होती है, बल्कि काटे जाने की आशंका भी बनी रहती है।

उपाय से दूर रेलवे

जंक्शन पर अवैध वेंडर्स, भीख मांगने वालों, कूड़ा बटोरने वाले बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए जीआरपी-आरपीएफ के साथ ही रेलवे अधिकारियों को जिम्मा सौंपा गया है। लेकिन आवारा जानवरों पर कंट्रोल के लिए न कोई जिम्मेदार है, न ही कोई टीम तैनात है। ऐसे में प्लेटफॉर्म पर ही पसरे रहने वाले यह जानवर बेखौफ हो मुसाफिरों के आसपास ही अपना ठिकाना बनाए रहते हैं।

रेलवे अधिकारियों की ओर से इन्हें पकड़ने के लिए 6 दिन पहले नगर निगम से मदद भी मांगी गई, लेकिन निगम से इस ओर कोई सहायता नहीं मिली है। इसके चलते जंक्शन पर आवारा जानवरों की तादाद बढ़ती जा रही है।

विजिट के समय खलबली

डिवीजन के सीनियर रेलवे अधिकारियों के दौरे की भनक पर ही जंक्शन से आवारा जानवरों को भगाने की कवायद शुरू होती है। आला अधिकारियों के समाने नाक बचाने के लिए रेलवे अधिकारी हरकत में आ जाते हैं। विजिट की सुबह से ही कई कर्मचारियों को हाथों में डंडे थमा दिया जाता है, जिससे एक भी जानवर स्टेशन के आसपास नहीं भटक पाता। लेकिन जैसे ही अधिकारी का दौरा खत्म, आवारा जानवरों की बादशाहत भी लौट आती है। यह सिलसिला आला अधिकारियों या मंत्री के अगले दौरे तक यूं ही बरकरार रहता है।

हमारा यह प्रयास रहता है कि प्लेटफार्म और स्टेशन के आस-पास आवारा जानवर न रहे। स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए नगर निगम से मदद मांगी गयी है। अभी तक कोई मदद नहीं मिली है।

चेतन स्वरुप शर्मा, स्टेशन सुपरिंटेंडेंट