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इमरजेंसी गेट पर सिक्योरिटी गार्ड से लेकर पुलिस बल तक की चहल-कदमी दिख रही थी। मेन गेट से जैसे ही अंदर गए, इमरजेंसी में पूरी तरह से सन्नाटा। मेडिकल इमरजेंसी की आधी से अधिक बेड खाली। पूरे हॉल और गलियारे में लगे बेड खाली पड़े हुए हैं। हालांकि इमरजेंसी ऑफिस में सीनियर डॉक्टर मौजूद थे, पर एंट्री के नाम पर गिने-चुने को ही लिया जा रहा था। काउंटर पर बैठे लोगों ने बताया कि निर्देश है कि पहले चले जाने के लिए बोलना है। जब पेशेंट नहीं मानेंगे, तब उन्हें एडमिट किया जाएगा। इमरजेंसी में ऊपर से लेकर नीचे तक पेशेंट खाली हो गए हैं। पर, एडमिनिस्ट्रेशन का यही कहना है कि पेशेंट आ नहीं रहे हैं, वरना ट्रीटमेंट किया जा रहा है।

01:20 PM

शिशु वार्ड सन्नाटे में तब्दील है। जो बच्चे बचे हैं, उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, बाकी की एंट्री नहीं हो रही है। इस वजह से गार्जियन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मेन वार्ड से लेकर गलियारे तक में लगी बेड खाली है। एक भी डॉक्टर इमरजेंसी में नहीं दिख रहे हैं। इसी दौरान एक महिला अपने बच्चे को लेकर आई, तो नर्स व सिक्योरिटी गार्ड ने उससे कहा कि चले जाइए यहां कोई देखने वाला नहीं है। एडमिट नहीं किया जा रहा है। निराश महिला दर-ब-दर भटकने को मजबूर है। कोई पूछने वाला नहीं है।

जूनियर डॉक्टर्स के 48 घंटे से स्ट्राइक पर जाने के बाद से पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन ने इलाज के नाम पर हाथ उठा लिया है। नतीजतन, इमरजेंसी से लेकर सर्जरी करवाने वालों तक को भारी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। इस बावत पेशेंट को किसी भी तरह का सपोर्ट नहीं मिल रहा है। जूनियर्स के स्ट्राइक पर जाने के बाद सीनियर्स का भी अता-पता नहीं है। एचओडी से लेकर सीनियर रेसीडेंट की टीम कभी नहीं दिख रही है, कारण पेशेंट को सफर करना पड़ रहा है। इस मामले पर डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ। आरके सिंह ने बताया कि सीनियर डॉक्टर्स को लगाया गया है और किसी भी तरह से काम को बाधित नहीं किया जाएगा।

दिखते कहां हैं सीनियर डाक्टर्स?

एक तरफ एडमिनिस्ट्रेशन दावा करता है कि इलाज में कोताही नहीं बरती जा रही है। जो भी पेशेंट आ रहे हैं, उन्हें देखा ही जा रहा है। दूसरी तरफ डॉक्टर्स की कमी की वजह से पीएमसीएच का पूरा वार्ड खाली पड़ा हुआ है। जो एडमिट है, उनका आरोप है कि डॉक्टर साहब देखने तक नहीं आते है, दूसरी तरफ सीनियर डॉक्टर्स के सहारे एंट्री तक नहीं हो रही है। लिहाजा, लोगों को प्राइवेट नर्सिंग होम जाना पड़ रहा है, जहां एडमिशन से ट्रीटमेंट तक में मिनिमम दस हजार से अधिक रुपए लिए जा रहे हैं।

कैंपस में नहीं रहते सुपरिटेंडेंट

पहली बार जूनियर डॉक्टर्स की मांग में 'सुपरिटेंडेंट डॉ। ओपी चौधरी इस्तीफा दोÓ डिमांड भी शामिल है। जूनियर डाक्टरों ने आरोप लगाया कि सुपरिटेंडेंट के लिए कैंपस में रूम अलॉट हुआ है, पर उसमें रहने के बदले वे कैंपस से बाहर रहते हैं। इसकी वजह से हंगामा और मारपीट में ऑन द स्पॉट नहीं पहुंच पाते। जूनियर डाक्टरों ने कहा कि उनकी नजरों में जूनियर डाक्टर्स दोषी हैं, लेकिन अगर वे कैंपस में रहते, तो इस तरह की प्राब्लम कम से कम हो पाती।