आपका ध्यान किधर है, जंक फूड की दुकानें इधर हैं
Spot-1: Near Lahurabir crossing
दोपहर की कड़ी धूप में हम पहुंचे हैं क्वींस कॉलेज के मेन गेट पर। इस गेट के दोनों ओर जंक फूड के अलावा कोल्ड ड्रिंक्स की स्टॉल्स और ठेले नजर आ रहे हैं। बच्चे इन स्टॉल्स पर मजे से उन चीजों का स्वाद ले रहे हैं जिन्हें कोर्ट भी हार्मफुल मानता है.
Spot-2: Sigra-Mahmoorganj Road
सिगरा पेट्रोल पम्प से क्रिश्चियन कॉलोनी की ओर महमूरगंज की ओर जाने वाली रोड पर दो बड़े स्कूल हैं। यहां एक स्कूल के ठीक सामने फास्ट फूड का एक कैफे खुला नजर आया है। हम हैरान हुए कि मुश्किल से 200 मीटर की इस लिंक रोड पर दो स्कूलों के बावजूद पांच जंक फूड परोसने वाली दुकानें नजर आईं हैं.
Spot-3: Lahurabir Maldahiya Road
लहुराबीर क्रासिंग मलदहिया की ओर कुछ ही दूर आगे बढऩे पर एक और पब्लिक स्कूल है। इस स्कूल के गेट के बाहर कटरा है और इस कटरे में बर्गर, पेटीज और कोल्ड ड्रिंक परोसने वाली दो दुकानें नजर आईं। यहां बच्चे जंक फूड खाने में तल्लीन भी नजर आए हैं.
CBSE ने भी दिया है ऑर्डर
दिल्ली हाईकोर्ट पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण ऑर्डर में स्कूलों के अंदर तथा बाहर 500 मीटर की सर्किल में जंक फूड तथा कोल्ड ड्रिंक की बिक्री पर रोक लगाने को कहा है। इस ऑर्डर के बाद सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट्स भी जंक फूड पर बैन की तैयारी में हैं। यहां तक की सीबीएसई ने अपने स्कूलों को इस संबंध में ऑर्डर दे भी दिया है। मगर ये ऑर्डर कागजी घोड़े साबित हो रहे हैं। कम से कम अपने शहर में कुछ ऐसा ही है। स्कूलों के अंदर क्या बिक रहा है, ये तो खुलकर सामने नहीं आ पा रहा लेकिन बाहर क्या बिक रहा है, ये मंगलवार को आई नेक्स्ट के स्टिंग में साफ नजर आया है.
हर जगह एक जैसा नजारा
आई नेक्स्ट ने सिटी के अलग-अलग एरियाज में स्कूलों के आस-पास की दुकानों की पड़ताल की। आई नेक्स्ट की दो टीमों ने लहुराबीर, शिवपुर, पाण्डेयपुर, सारनाथ, अर्दलीबाजार, कैंट, सिगरा, रथयात्रा, महमूरगंज व मंडुवाडीह एरिया के स्कूल्स के आस-पास नजर दौड़ाई। हर जगह एक सा नजारा था। कोई भी बड़ा स्कूल नहीं मिला जिसके 500 मीटर सर्किल में जंक फूड की दुकान न हो। यदि जंक फूड कहीं 500 मीटर की सर्किल से कुछ मीटर दूर भी था तो 500 मीटर के अंदर कोल्ड ड्रिंक की दुकान तो नजर आ ही गयी जो अब नये ऑर्डर के मुताबिक बैन है.
बर्गर, चाऊमीन मिलेगा मगर फ्रूट जूस नहीं
- सेंट्रल गवर्नमेंट की नयी गाइडलाइन के अनुसार स्कूलों के बाहर 500 मीटर के दायरे में जंक फूड जैसे बर्गर, चाऊमीन, पिज्जा, रोल, मोमोज, कोल्ड ड्रिंक, सोडा ड्रिंक नहीं बिक सकता।
- स्कूल के आस-पास वहीं फूड या ड्रिंक्स बिक सकते हैं जो बच्चों की बॉडी को ग्रो करें जैसे मिल्क प्रॉडक्ट्स, फ्रूट्स, फ्रूट जूस.
- जुलाई में स्कूलों को मिलेगी जंक फूड से संबंधित नयी गाइडलाइन.
- फिलहाल सीबीएसई ने अभी एक सर्कुलर जारी कर स्कूलों के अंदर जंक फूड की बिक्री पर रोक लगा दी है.
क्या है जंक फूड?
- जंक फूड में न्यूट्रीशनल वैल्यूज की मात्रा बहुत कम होती है। इसे हेल्थ के लिए बुरा माना जाता है.
- जंक फूड में फैट, सोडियम या शुगर कंटेंट काफी हाई होता है.
- विटामिन प्रोड्यूस करने वाले एंजाइम्स काफी कम होते है और कैलोरीज काफी हाई होता है.
- जंक फूड को मोटापा, डेंटल कैविटीज, डायबटीज व हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
- जंक फूड से हाइपर टेंशन व हार्ट की दूसरी बीमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
- जंक फूड में मौजूद ट्रांस फैटी एसिड को हेल्थ के लिए बहुत हार्मफुल माना जाता है.
(जैसा कि डॉ। ओम शंकर ने बताया)
रोक के लिए एनजीओ की थी पहल
सेंट्रल गवर्मेंट ने स्कूलों के 500 मीटर दायरे में जंक फूड बैन करने की तैयारी कर ली है। जुलाई में इस संबंध में नोटिफिकेशन स्कूलों को मिलने की उम्मीद है। गवर्नमेेंट ये स्टेप दिल्ली हाई कोर्ट के ऑर्डर की वजह से उठाने को मजबूर हुई है। 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक पीआईएल फाइल हुई जिसमें एक एनजीओ ने स्कूलों में जंक फूड को पूरी तरह से बैन करने के लिए डायरेक्शन जारी करने की मांग की थी। जनवरी 2012 में दिल्ली हाईकोर्ट ने फूड एण्ड सेफ्टी स्टैण्डड्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स की सेल को बैन करने के लिए छह महीने में गाइडलाइन तैयार करने का आर्डर दिया था। स्कूलों के कैंटीन में साफ और हेल्दी फूड डिलीवर हो इस मकसद से सेंट्रल गवर्मेंट की ओर से 21 जुलाई 2013 तक इन गाइडलाइन को इश्यू कर दिया जाएगा.
ड्रग्स जैसी होती है जंक फूड की लत
जंक फूड का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों को मोटापा, डेंटल कैविटी और डायबटीज जैसे रोग देता है। बड़े होने पर ये ब्लड प्रेशर और ऑस्टिओपरोसिस की वजह बनता है। आईएमएस बीएचयू के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ओमशंकर बताते हैं कि अमेरिका में हुए रिसर्च में ये भी सामने आया कि जंक फूड बच्चे के दिमाग के क्रियाकलापों पर कोकीन व हेरोइन जैसे ड्रग्स की तरह असर डालता है और बच्चों को इसकी लत लग जाती है। आज इंडिया पूरे वल्र्ड में डायबटीज व हार्ट डिजीज के कैपिटल का रूप ले चुका है। बच्चों में डायबटीज, हार्ट डिजीज व ब्लड प्रेशर का सबसे बड़ा कारण यही जंक फूड है। इसलिए इस फूड पर रोक लगाना बहुत जरूरी है.
इन्हें हैं ऑर्डर का इंतजार
सरकारी काम सरकारी होता है। अब अपने डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को ही लीजिये। इन्हें जंक फूड की दुकानों को हटाने के लिए ऑर्डर का इंतजार है। एडीएम सिटी एमपी सिंह कहते हैं कि स्कूलों के आस-पास जंक फूड बेचने पर अभी कोई बैन नहीं है। उन्हें बंद कराने के लिए अभी कोई गाइडलाइन भी हमारे पास नहीं है। जब गाइडलाइन आएगी तो एक्शन जरूर होगा। कहीं बैन का उल्लंघन न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा।
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जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स पर बैन को लेकर सीबीएसई ने सर्कुलर जारी कर दिया है। मगर सच यही है कि सभी स्कूल इस पर अभी पूरी तरह अमल नहीं कर सके हैं। आपने इस ओर ध्यान दिलाया है तो निश्चित ही मैं खुद एसोसिएशन की मीटिंग में इस पॉइंट पर डिस्कस करुंगा और मेरा खुद मानना है कि जंक फूड की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए।
दीपक मधोक, प्रेसिडेंट, वाराणसी स्कूल एसोसिएशन
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स्कूलों के बाहर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है, स्कूल के अंदर कैंटीन में हम जंक फूड की बिक्री रोक सकते है लेकिन स्कूलों के बाहर जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक की ब्रिकी को रोकने के लिए प्रशासन को काम करना होगा.
एलएन शुक्ला, प्रिंसिपल, क्वींस कॉलेज
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बीएचयू ने पहले से सभी कैम्पस में जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक बैन कर रखा है इसलिए हमारे स्कूलों में इनकी बिक्री नहीं होती। हां, अगर बाहर बिक रहा है तो उन्हें हम बंद नहीं करा सकते।
एनके शाही, प्रिंसिपल, सेंट्रल हिन्दू स्कूल
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हमारे स्कूल जहां भी है वहां हम जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स तो दूर आइस्क्रीम को ठेला भी नहीं लगने देते है। जंक फूड की ब्रिकी को रोकने के लिए हम पूरी तरह से अलर्ट है।
विनोद पाण्डेय, प्रिंसिपल, हैप्पी मॉडल स्कूल