-वाहन फोर सॉफ्टवेयर से बैंकों की तर्ज पर ई-फाइलिंग के जरिए बनेगा रिकार्ड

-कार्यालय कर्मचारियों को फाइल गुम होने के झंझट से मिलेगी निजात

आई एक्सक्लूसिव

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Meerut: परिवहन विभाग ने अब मेरठ सहित सूबे के सभी आरटीओ कार्यालयों को पेपर लैस करने की तैयारी कर ली है। जी हां बैंकों की तर्ज पर सॉफ्टवेयर 'वाहन फोर' के माध्यम से ई-फाइलिंग के जरिए रिकार्ड को सुरक्षित करने की कवायद शुरू हो गई है। इसमें रजिस्ट्रेशन करवाने के साथ ही वाहन संबंधी पूरा रिकार्ड स्कैन कर सर्वर पर डाउनलोड कर दिया जाएगा। इस सुविधा से वाहन के ट्रांसफर और दूसरे काम के लिए फाइलों को वर्षो तक सुरक्षित रखने का झंझट पूरी तरह खत्म हो जाएगा। नई व्यवस्था को कार्यालयों में शुरू करने की योजना बनकर तैयार हो गई है। अगले माह तक नई व्यवस्था के साथ काम शुरू हो जाएगा।

खोजनी पड़ती है फाइल

अभी तक आरटीओ दफ्तरों में रजिस्ट्रेशन होने के बाद कर्मचारी उनकी फाइलों को सुरक्षित रखते हैं। लाखों वाहनों की फाइन सुरक्षित रखना कर्मचारियों के लिए मुश्किल काम होता है। कई बार जरूरत पड़ने पर काफी खोजने के बाद भी फाइल नहीं मिल पाती। जिसके चलते काम प्रभावित होता है। साथ ही कुछ फाइलों को चूहें भी कतर देते हैं। जिनसे वाहन स्वामी सहित कर्मचारियों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

ब्यौरा होगा स्क्रीन पर

विभागीय जानकारी के अनुसार ई-फाइलिंग से फाइलों का मैनुअल झंझट पूरी तरह खत्म हो जाएगा। रजिस्ट्रेशन के साथ ही वाहन मालिक के प्रपत्र फोटो और हस्ताक्षर भी सर्वर पर लोड कर दिए जाएंगे। इसके बाद कंप्यूटर पर वाहन का नंबर डालने पर वाहन मालिक पूरा ब्यौरा मिल जाएगा। अफसर वाहन मालिक के हस्ताक्षर देखकर वाहन ट्रांसफर या अन्य काम के लिए मंजूरी दे सकेंगे।

कमेटी करेगी तय

परिवहन आयुक्त रविन्द्र नायक ने ई-फाइलिंग सुविधा के दायरे में क्या-क्या आएगा उसके लिए एक 7 अफसरों की एक कमेटी बना दी है। कमेटी तय करेगी कि ई-फाइलिंग के लिए वाहन मालिक के कौन-कौन से डॉक्यूमेंट स्कैन कर सर्वर पर लोड किए जाएंगे। पहले चरण में एड्रेस और फोटो आईडी के साथ सिग्नेचर स्कैन कर कंप्यूटर पर लोड किए जाएंगे। कमेटी यह भी बताएगी कि पुराने रिकॉर्ड को अधिकतम कितने वर्ष तक सुरक्षित रखना है।

ट्रायल की प्लानिंग शुरू

परिवहन अधिकारी योजना को लागू करने से पहले ट्रायल की प्लानिंग कर रहे हैं। इसके लिए जल्द अच्छे स्कैनर लाए जाएंगे। ताकि स्कैन किए हुए दस्तावेज अच्छे से दिखाई दे सकें।

ई-फाइलिंग व्यवस्था से कार्यालय कर्मचारियों व ग्राहकों दोनों को काफी फायदा हो जाएगा। अभी लखनऊ में इसका ट्रायल किया जा रहा है। यहां आने में एक माह तो लग ही जाएगा।

विश्वजीत सिंह, एआरटीओ

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