-जस्टिस अरुण टंडन की जांच कमेटी ने खंगाले रिकार्ड, चौकाने वाली जानकारी आ रही है सामने

-यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज में वित्तीय और प्रशासनिक अराजकता का मामला

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PRAYAGRAJ: यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज में वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरुण टंडन की कमेटी को कई चौंकाने वाले राज का पता चल रहा है। महाविद्यालय में लगभग 65 खाते मिले हैं। इनसे वित्तीय लेनदेन में फर्जीवाड़े की आशंका है। नियमानुसार महाविद्यालयों में अधिकतम पांच ही खाते रखने की अनुमति है। इसके अलावा विवि ने 2013 से लेकर 2018 तक हुए वित्तीय लेनदेन का ब्यौरा मांगा है। इसके लिए महाविद्यालय को 12 पत्र विवि की ओर से दिए गए। इसमें से अधिकांश का महाविद्यालय ने जवाब नहीं दिया है।

20 दिसंबर को भी बैठक

जानकारी के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा सभी खातों का रिकॉर्ड मांगने पर अभी तक केवल 10 खातों का ही रिकॉर्ड दिया गया है। इसके अलावा भी कई और गंभीर मामले व प्रकरण एक-एक करके सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को दिनभर चली पूछताछ के बाद जस्टिस टंडन की जांच कमेटी ने महाविद्यालय के प्राचार्य को एक और मौका दिया है। अब ईसीसी कॉलेज के प्रकरण को लेकर 20 दिसंबर को अगली बैठक प्रस्तावित है।

भुगतान का भी लेखा-जोखा नहीं

कॉलेज की जांच में जानकारी मिली है कि मैनपावर व गेस्ट फैकल्टी पर 50 लाख रुपए खर्च किए गए। लेकिन महाविद्यालय इसके रिकॉर्ड ही नहीं दे पा रहा है। विवि ने जिन कर्मचारियों को भुगतान किया, उनके खाते का रिकॉर्ड व नाम भी मांगा था, जिसे अभी तक नहीं दिया गया है। जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा गड़बडि़यां सेल्फ फाइनेंस के कोर्स में हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज की फीस का 60 फीसद हिस्सा फैकल्टी व 40 फीसद हिस्सा विकास कार्यो में खर्च किया जाना चाहिए था। लेकिन ईसीसी में इसका उल्लंघन किया गया। रुपया कहां खर्च होता है यह जांच का विषय है। इसी तरह बिल को लेकर भी शिकायतें हैं।

फीस के पैसे के यूटिलाइजेशन पर सवाल

जांच के दौरान यह भी पता चला है कि हॉलैंड हॉल में कई सालों से करोड़ों रुपए का बिजली का बिल नहीं जमा किया जा रहा था। छात्रों से फीस तो ली जा रही थी। लेकिन उससे कर्मचारियों को समय से न तो वेतन दिया जा रहा था और न ही बिजली का बिल जमा किया जा रहा था। छात्रावास में मरम्मत कार्य भी कोई नहीं किया जा रहा था।