नई दिल्ली (पीटीआई)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को देश के पहले लोकपाल के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को शपथ दिलाई। 66 साल के जस्टिस पिनाकी घोष मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज पद से रिटायर हुए थे। लोकपाल अध्यक्ष के पद के लिए जब उनके नाम का चयन हुअा था तब वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य थे। कुछ कैटेगरीज के लोक सेवकों के खिलाफ करप्शन के मामलों को देखने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून 2013 में पारित हुआ था।

ये लोग लोकपाल के सदस्य के रूप में चुने गए

जस्टिस पिनाकी के अलावा कई हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस लोकपाल के सदस्य चुने गए हैं। इसमें जस्टिस दिलीप बी भोसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी के अलावा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी लोकपाल में न्यायिक सदस्य नियुक्त किए गए हैं। सशस्त्र सीमा बल की पूर्व पहली महिला प्रमुख अर्चना रामसुंदरम, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन, पूर्व आईआरएस अधिकारी महेंद्र सिंह और गुजरात काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी इंद्रजीत प्रसाद गौतम लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य हैं।

लोकपाल अध्यक्ष व सदस्यों का है ये वेतन

लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होते हैं। नियमों के मुताबिक इनमें से चार न्यायिक सदस्य होते हैं। इसके अलावा लोकपाल के सदस्यों में 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए। लोकपाल समिति में चयनित होने के बाद अध्यक्ष और सदस्य पांच साल या 70 साल की उम्र तक इस पद पर रह सकते हैं। लोकपाल अध्यक्ष की सैलरी और भत्ते भारत के चीफ जस्टिस के सैलरी और भत्ते के बराबर और सदस्यों की सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होगी।

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