-एक कमजोर छात्र रहा है पियूष, स्टूडेंट लाइफ में टीचर को डिच करने से नहीं चूका

-पछले साल फरवरी में स्टेटस क्लब में धूमधाम से हुई थी पीयूष-ज्योति की शादी

- शादी से पहले मृतक का नाम था पूजा, ससुराल वालों ने दिया ज्योति नाम

- पत्नी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुआ पीयूष, बड़े भाई ने दी थी मुखाग्नि

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KANPUR : कानपुर का सनसनीखेज ज्योति हत्याकांड 7भ् एमएम स्क्रीन पर चलने वाली किसी मूवी सरीखा लगता है। पिछले साल फरवरी में हुई खुशहाल शादी का इस जुलाई में इतना भयानक अंत शायद ही किसी ने सोचा होगा इस थ्रिलर मूवी में इंटरवल की बाद की कहानी तो आप सबके सामने आ चुकी है। मगर, फिल्म के पहले हिस्से में क्या कुछ हुआ था, और मेन किरदार कैसा है, उसका बैकग्राउंडर क्या हैयह भी जरा जान लीजिए।

पढ़ने-लिखने में कम इंटरेस्ट

पीयूष के करीबियों के अनुसार बचपन में उसका पढ़ने-लिखने में ज्यादा मन नहीं लगता था। स्कूल से शिकायत मिलने के बाद घरवालों ने उसे तेजाब मिल कैम्पस में रहने वाले एक टीचर के यहां कोचिंग के लिए भेजा। वहां भी उसे टीचर की खूब डांट पड़ती। कई बार तो वह ट्यूटर को घर में जरूरी काम बताकर बीच से ही वापस लौट जाया करता था। बामुश्किल इंटरमीडिएट पास करने के बाद उसने आगे प्रोफेशनल डिग्री हासिल की। उसके बाद फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाने लगा। इसके ठीक उलट बड़ा भाई मुकेश पढ़ाई में काफी होशियार था।

शादी के बाद बदला नाम

पीयूष और ज्योति की शादी लास्ट ईयर फरवरी को स्टेटस क्लब से हुई। पॉलिटीशियंस और ब्यूरोक्रेट्स से लेकर शहर के रसूखदार लोगों ने शिरकत की। फंक्शन इतना भव्य था कि जिसने भी अटेंड किया, बस देखता ही रह गया। खास बात यह कि जबलपुर की ज्योति का नाम शादी से पहले पूजा था। फंक्शन के बाद पूजा के ससुराल वालों ने उसे नया नाम 'ज्योति' दिया। फंक्शन के बाद जितने भी गेस्ट्स की फोटोग्राफ्स क्लिक हुई थीं। उन्हें वह फोटोग्राफ्स बतौर मोमेंटो भी दी गई थीं। जिसके पीछे हसबैंड-वाइफ का नाम और मैरिज फंक्शन की डेट का जिक्र है।

एक हफ्ते शहर में रहे मायके वाले

पीयूष का ससुराल पक्ष जबलपुर के बड़े व्यवसायिक घरानों में शुमार होता है। जानकारी के मुताबिक शादी के दौरान ज्योति के घरवाले एक हफ्ते पहले कानपुर आ गए थे। होटल रॉयल क्लिफ में ज्योति के फैमिली मेम्बर्स को ठहराया गया था। उन्हें किसी चीज की दिक्कत न हो, इसके लिए पीयूष के घरवाले बराबर सम्पर्क में थे। शादी के बाद बेटी को ससुराल विदा कराकर ज्योति के परिजन जबलपुर वापस लौट गए।

हर शाम मंदिर दर्शन

वारदात में पीयूष के हाथ होने की पुलिसिया खुलासे ने श्याम दसानी परिवार को करीब से जानने वालों को चौंका दिया है। ऐसे ही एक करीबी शख्स ने बताया कि पीयूष रोजाना शाम को वनखंडेश्वर मंदिर दर्शन को जाता था। मंदिर की मालिन ने भी इस बात की पुष्टि की। कहा-वो एक बाल्टी दूध से शिवजी का दुग्धाभिषेक करता और उसी से फूल-माला लेता थे। वो बोली 'ऐसा व्यक्ति अपनी बीवी का खून भी कर सकता है, सुनकर यकीन नहीं हो रहा है'

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बड़े भाई ने दी मुखाग्नि

ज्योति का अंतिम संस्कार उसके जेठ मुकेश श्यामदसानी (मुक्की) ने किया। उसी ने ज्योति को मुखाग्नि दी। इस पूरे कार्यक्रम में पीयूष की गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े करती रही। सिंधी समाज से जुडे़ लोगों की मानें तो उनकी बिरादरी में अगर किसी युवक की पत्नी की मौत हो जाती है और उसे दूसरी शादी करनी होती है, तभी वो व्यक्ति अपनी पत्नी की अर्थी को कंधा नहीं देता है, न ही घाट जाता है और न ही मुखाग्नि देता है। ज्योति के अंतिम क्रिया-कर्म के दौरान भी ऐसा ही कुछ हुआ। इस बात को लेकर भी दिन भर तरह-तरह की चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गरम रहा।