- कोर्ट से निकलते समय वकीलों ने दौड़ा कर पीटा

- मेडिको लीगल करने वाले डॉक्टर ने नहीं दी बैठने के लिए जगह, समुदाय के लोगों ने ही किया उसके घर पर पथराव

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इसी ने अपनी पत्नी का बेरहमी से कत्ल कराया है, इसका मुंह काला कर दो, इसको चप्पलों से पीटो, कोर्ट से इसको जरूर सजा मिलेगी, इसको बिना पीटे जेल नहीं जाने देना है। ये शोर-गुल गुरुवार को सीएमएम कोर्ट के बाहर हो रहा था। जहां पर ज्योति का मर्डर करवाने वाले उसके पति पीयूष को पेश किया जा रहा था। वकीलों के गुस्से को देखकर कोर्ट ने कोतवाली फोर्स और पीएसी को बुला ली गई। जिसके बाद पीयूष को पुलिस की सुरक्षा में जेल भेजा गया, लेकिन गुस्साएं वकीलों ने उसको कचहरी में दौड़ाकर पीट दिया। उसको बचाने में कुछ पुलिस कर्मी वकीलों के गुस्से का शिकार हो गए। इससे पहले बुधवार रात को पीयूष के पांडुनगर वाले बंगले पर भी उसके समुदाय के लोगों ने पथराव कर गुस्से का इजहार किया था।

तुम्हें पास में नहीं बैठाया जा सकता

पुलिस जब उसका मेडिको लीगल कराने हैलट में पहुंची तो डॉक्टर ने उसे कुर्सी से उठा दिया। कहा तुम जैसे इंसान को पास में नहीं बैठाया जा सकता। पीयूष जहां भी गया उसके किए की वजह से उसे जलालत ही झेलनी पड़ी।

चेतना चौराहे तक दौड़ाकर पीटा गया

कचहरी में वकीलों के गुस्से को देखकर हत्यारोपी पीयूष के पसीने छूट गए। पुलिस उसको वकीलों से बचाने के लिए पीछे के रास्ते से ले गई, लेकिन गुस्साएं वकील वहां पर पहुंच गए। जिसे देख पीयूष दहशत में बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगा, तो वकीलों ने उसे पीटते हुए कहा कि क्या तुमने अपनी पत्नी पर रहम किया था। पुलिस ने किसी तरह उसको रोड पर जीप पर बैठाया, तो वकील जीप में घुसकर उसको पीटने लगे। वो उसको चेतना चौराहे तक जीप में घुसकर पीटते रहे।

पीयूष दस घंटे की रिमाण्ड पर

पुलिस ने ज्योति मर्डर में उसके पति पीयूष की कस्टडी रिमाण्ड के लिए कोर्ट से अपील की। जिसका बचाव पक्ष के वकील सौरभ जैन ने कड़ा विरोध किया। पीयूष की ओर से सिटी के दर्जनों नामी वकीलों की फौज उतरी थी। वकीलों ने कस्टडी रिमाण्ड को टालने के लिए कोर्ट से समय की मांग की। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसके बाद कोर्ट ने पीयूष को दस घंटे का पुलिस कस्टडी रिमाण्ड का आदेश दिया। पुलिस शुक्रवार को सुबह आठ बजे पीयूष को जेल से कस्टडी में लेगी। जिसके बाद वे शाम को छह बजे उसका जेल में दाखिला करा देंगे।

हर पल झूठ बोलता है पीयूष

शादी के बाद ज्योति का विश्वास छलने वाला पीयूष काफी शातिर है। वो पल-पल में झूठ बोलता है। उसने आईजी आशुतोष पाण्डेय की कांफ्रेंस में खुद ज्योति के कत्ल का जुर्म स्वीकार किया था, लेकिन वो कोर्ट में पहुंचने के बाद बयान से पलट गया। उसने कोर्ट में पेशी के दौरान रिपोर्टर से कहा कि वो बेकसूर है। उसको फंसाया जा रहा है। उसने कहा कि उसे ड्राइवर अवधेश फंसा रहा है। ड्राइवर बहुत खतरनाक है। वो उससे रुपए छीन लेता था। जब रिपोर्टर ने कांफ्रेंस में जुर्म कबूल करने के बारे में पूछा, तो उसने चुप्पी साध ली। वहीं, जेल से पेशी पर जाते समय पुलिस ने उससे रिमाण्ड पेपर में साइन करने के लिए कहा, तो उसने झट से साइन कर दिया, लेकिन वो कोर्ट में पहुंचने पर फिर पलट गया। उसने कहा कि उसे जेल में किसी भी पेपर में साइन नहीं किया था। उसने पुलिस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

माशूका समेत सभी आरोपी जेल पहुंचे

पुलिस ने ज्योति मर्डर में गुरुवार की शाम करीब साढ़े चार बजे पीयूष की माशूका मनीषा माखीजा, ड्राइवर अवधेश, रेनू, आशीष और सोनू को गिरफ्तार कर सीएमएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इससे पहले पुलिस ने गुटखा किंग की बेटी यानि पीयूष की माशूका को मीडिया के सामने लाने से बचती रही। पुलिस ने उसको एसएसपी की प्रेस कांफ्रेंस में भी पेश नहीं किया। वहीं, उसके परिजन समेत शहर की कई बड़ी हस्तियां उसको बचाने के लिए पेशबन्दी में जुटे रहे।

इस आईओ भरोसे नहीं होगी विवेचना

हाईप्रोफाइल मर्डर की जांच के लिए पुलिस ने जिसे आईओ बनाया है। उसका बीते साल हुए एक हाईप्रोफाइल हिट एंड रन केस में रिकार्ड काफी सवालों के घेरे में रहा है। मौजूदा समय में स्वरूप नगर के एसओ स्वरुप नगर में सूरी शू कंपनी के मालिक के बेटे के गैस्ट्रो लीवर हॉस्पिटल के पास इटावा के एक लड़के को कुचल देने के मामले में यहीं विवेचना अधिकारी बनाए गए थे। जिसके बाद आरोपी को 24 घंटे में थाने में जमानत मिल गई और उसके बाद पूरा मामला दबा दिया गया। मामले पर बारीकी से नजर रख रहे आईजी जोन आशुतोष पांडे ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम बनाने की बात कही है।

तो ज्योति की लाश भी नहीं मिलती

अवधेश ने बताया कि 20 जुलाई को ही ज्योति बैराज पर हत्या की योजना थी। पीयूष ज्योति को लेकर बैराज पर पहुंचा भी था। लेकिन बारिश होने की वजह से वह और बाकी साथी वहां नहीं पहुंच सके। उस दिन उसकी हत्या में गला घोंट कर की जाती क्योंकि कोई भी किसी तरह का हथियार नहीं लाया था। इसके बाद उसकी बॉडी को बैराज में फेंक दिया जाता। जिससे उसका शव भी किसी के हाथ नहीं लगता लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सामने आई चाकू खरीदने की सीसीटीवी फुटेज

गुरुवार को पुलिस एक सीसीटीवी फुटेज के साथ सामने आई। यह फुटेज 21 जुलाई को गुटैया क्रासिंग स्थित बिगबाजार थी। जिसमें अवधेश और सोनू मॉल में चाकू खरीदते नजर आ रहे हैं। एसएसपी केएस इमैनुअल ने दावा किया कि पीयूष भी उस दौरान मॉल में ही मौजूद था लेकिन वह बिगबाजार के अंदर नहीं गया।

और पुलिस ने बरामद करा दिए ज्योति के जेवर

ज्योति की हत्या के बाद से ही पुलिस किसी भी प्रकार की लूट से इंकार कर रही थी। उसका कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने लिखा था कि ज्योति की बॉडी से एक ब्रेसलेट मिला है। वहीं जब पीयूष के परिजनों ने ज्योति के गहने लूटने का आरोप लगाया तो पुलिस ने गुरुवार को उसके जेवर भी बरामद करा दिए। पुलिस ने दावा किया कि पीयूष ने ही सभी आरोपियों हत्या के बाद जेवर निकालने के लिए कहा था जिससे घटना लूट लगे। प्रेस कॉफ्रेस में पुलिस ने जेवरों को पनकी में जहां कार बरामदगी की जगह के पास से इन्हें मिलने की बात बताई जबकि प्रेसनोट में आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान ही जेवर बरामद होने की बात लिखी।

बियर पिलाई रुपए नहीं दिए

हत्यारोपी रेनू कनौजिया ने बताया कि हत्या में रुपयों को लेकर पीयूष से डीलिंग अवधेश ही कर रहा था। अवधेश ने ही कत्ल से पहले पीयूष से 10 हजार फिर 20 हजार रूपए लिए। लेकिन यह रुपया उसने किसी को नहीं दिया। उसने बताया कि पीयूष ने कहा था कि उसके पास हमेशा 20,30 हजार रुपए मौजूद रहते हैं। जब हत्या करना तब लूट दिखाने के बहाने वह भी ले लेना बाकी 20 हजार रुपए काम होने के बाद दे दूंगा।

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पीयूष और दूसरे आरोपियों के बीच गाली गलौज

जेल पहुंचने पर पीयूष और बाकी चारों आरोपियों को मुलाहिजा बैरक में ही रखा गया था। हत्या के बाद पहली बार आमना सामना होने पर अवधेश, सोनू, रेनू की पीयूष के साथ गाली गलौज भी हुआ। दोनों ही एक दूसरे को गालियां दे रहे थे। और एक दूसरे पर पचड़े में फंसाने का आरोप भी लगा रहे थे। वहीं मनीषा को महिला बैरक में आम आरोपियों की तरह की रखा गया है।

अब रोने से कोई फायदा नहीं

हत्या के बाद पुलिसिया इंटेरोगेशन से गुजरने फिर वकीलों से पिटने और हर जगह जलालत झेलने के बाद जब पीयूष जेल पहुंचा तो कुछ देर तो उसे गेट के अंदर खड़ा रहना पड़ा। वो जेल में दहाड़े मार कर रोया। यह नजारा देख सिपाही, नंबरदार समेत जेल सुप्रीटेंडेंट ने पहले तो उसे समझाया फिर पुचकारा आखिर में कहा अब रोने से कोई फायदा नहीं।