Allahabad: सिटी में बढ़ती घटनाओं में बाहरी अपराधियों की संलिप्तता और इलाहाबाद में उनके शरण लेने जैसा गंभीर तथ्य सामने आने के बाद एसएसपी नवीन अरोरा ने किराएदारों और नौकरों का वेरीफिकेशन कराना अनिवार्य कर दिया था। वैसे तो इस तरह का आदेश पहले भी दर्जनों बार दिया जा चुका है लेकिन एसएसपी का रुख देखकर लगा कि वह सीरियस हैं। लेकिन, उनके मातहतों ने उनके प्रयासों की हवा निकाल दी है। पुलिस की सुस्ती का आलम यह है कि किराएदारों के वेरीफिकेशन के नाम पर थानों में बना रजिस्टर खाली पड़ा है। कुंभ सामने होने के बाद भी यह लापरवाही पुलिस पर भारी भी पड़ सकती है.

घटना दर घटना, नहीं टूटती नींद

नोएडा जैसी घटनाएं सिटी में दर्जनों बार हो चुकी हैं। कुछ दिन पहले ममफोर्डगंज में नौकर ने रिटायर जज की हत्या कर दी। जार्जटाउन में चौकीदार ने बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी थी। मम्फोर्डगंज में ही लूट की नीयत से एक डॉक्टर की पत्नी की नौकर ने ही हत्या कर दी। इसके अलावा लूट के कई मामलों के खुलासे में यह तथ्य सामने आया कि किराएदार के रूप में बाहर से आकर रहने वाले इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इसी को नोटिस लेकर पुलिस ने अभियान चलाकर नौकरों व किराएदारों का वेरीफिकेशन कराने का निर्णय लिया था। करीब एक पखवारे पहले एसएसपी नवीन अरोरा ने खुद इस संबंध में आदेश जारी किया। लेकिन, चंद दिन बाद ही मातहतों ने उनके इस आदेश को फाइलों में कैद कर दिया.

घटना करते हैं और चले जाते हैं

इलाहाबाद क्रिमिनल्स का गढ़ बनता जा रहा है। मुंबई और पूर्वांचल के शूटर यहां आते हैं और वारदात को अंजाम देकर चले जाते हैं। पिछले दिनों पुलिस की खुफिया विंग ने भी रिपोर्ट दी थी कि इलाहाबाद क्रिमिनल्स की शरणस्थली बनता जा रहा है। महाकुंभ को सकुशल सम्पन्न कराने की तैयारियों में जुटी पुलिस के लिए किराएदारों व नौकरों रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन बड़ा काम था। खास तौर से उस स्थिति में जबकि एटीएफ भी इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि इलाहाबाद व वाराणसी में आतंकियों के स्लीपिंग माड्यूल्स मौजूद हैं। वेरीफिकेशन के जरिए ही पुलिस इन पर निगाह रख सकती है.

वेरीफिकेशन छोडि़ए, रजिस्ट्रेशन मुश्किल

नियम के मुताबिक नौकरों व किराएदारों का रजिस्ट्रेशन फार्म संबंधित थाने या चौकी में सब्मिट किया जाता है। इसके बाद उनका वेरीफिकेशन किया जाता है। इसमें नौकरों व किराएदारों द्वारा दिए गए मूल एड्रेस के लोकल थाने से रिपोर्ट लगती है। सिस्टम की लापरवाही का आलम यह है कि वेरीफिकेशन तो दूर की बात है, इनका रजिस्ट्रेशन तक नहीं हो रहा है।

हर साल आते हैं 35 हजार नए लोग

इलाहाबाद एजूकेशन का हब है। हर साल यहां 35 हजार से ज्यादा नए लोग आते हैं। ज्यादातर यहां कोचिंग, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी या फिर प्रोफोशनल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेते हैं। नए स्टूडेंट्स को यहां के लोगों की लाइफ स्टाइल कई बार अपराध के रास्ते पर ले जाती है। इसकी पुष्टि भी कई बार हो चुकी है। इसके बाद भी वेरीफिकेशन का यह आलम है.

आपके लिए भी फायदेमंद है

दिल्ली पुलिस हो या फिर मुंबई की क्राइम ब्रांच टीम। दोनों वेडनसडे को इलाहाबाद में रहने वाले अपराधियों तक इसलिए पहुंच पाईं क्योंकि मकान मालिकों ने नौकरों का रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन करा रखा था। इलाहाबाद में इसका लगभग उल्टा होता है। पुलिस के पचड़े में फंसने के डर से लोग नौकर या किराएदार रखने की सूचना तक पुलिस को नहीं देते। आपने भी ऐसा नहीं किया है तो इस पर जरूर ध्यान दें ताकि सुरक्षित रहें.

Report by, Abhishek Shrivastava