दो मासूमों की हत्या

सिर्फ शक के आधार पर क्या कोई इंसान इतना वहशी हो सकता है कि एक नहीं बल्कि दो मासूमों की हत्या कर दे? शायद नहीं पर जब इंसान पर इंतकाम का भूत सवार हो जाए तो ये कृत्य भी संभव है। क्योंकि इंतकाम की आग के आगे मानवीय मूल्यों का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है। ये हम नहीं बल्कि साइकियाट्रिस्ट कहते हैं। थर्सडे को सिविल लाइंस स्थित सरसैया घाट पर एक सिरफिरे ने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए दो मासूम भाइयों की गला रेंतकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं उसने तीसरे को भी मारने की कोशिश की। आरोपी फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है और उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है।

जादू का शक

सरसैया घाट पर टिंकू पाल फैमिली के साथ रहता है। वह मूल रूप से बिहार के मुंगेर जिले के लक्ष्मीपुर कस्बा का निवासी है। उसके पड़ोस में मुंगेर जिले के जमालुपर का राजेश माझी रहता है। उसके बेटे शिवम की वेडनेसडे को मौत हो गई थी। वह कई दिनों से बीमार चल रहा था, लेकिन उसको शक था कि टिंकू पाल ने काला जादू करके उसके बेटे को मार दिया है। टिंकू पाल ने उससे बहस होने पर कहा कि तुम पापी हो, तभी तुम्हारे बेटे की मौत हुई है। जिस पर उसकी टिंकू से कहासुनी हो गई थी। उसने बदला लेने के लिए सुबह करीब छह बजे टिंकू के बेटे गोलू (10), शाहिल (7) और कार्तिक उर्फ बिल्लू (5) को पकड़ लिया।

खेल रहे थे दोनों

उस समय वो घाट पर खेल रहे थे। उसने मैदान पर ही चाकू से साहिल का गला रेंतकर मार दिया। जिसके बाद उसने कार्तिक का गला काट दिया। वह मैदान पर ही तड़प-तड़प कर मर गया। उसने गोलू को मारने की कोशिश की, तो वह बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए रोड की दौड़ पड़ा। राजेश ने खून से सना चाकू लेकर उसको दौड़ा लिया। जिसे देख राहगीरों समेत अन्य लोग सहम गए। कुछ लोगों ने हिम्मत करके उसको पकडऩे की कोशिश की, तो उसने पब्लिक पर हमला कर दिया। हालांकि उसमें कोई हताहत नहीं हुआ। तभी पीछे से जल पुलिस के जवान मोती ने उसको पकड़ लिया। जिसके बाद पब्लिक ने उसको पीटते हुए पुलिस को सौंप दिया।

आंखों में नहीं दिखा पछतावा

दो मासूमों का कत्ल करने के बाद भी राजेश माझी को कोई पछतावा नहीं था। उसने पुलिस के सामने बेखौफ कहा कि मैंने बेटे की मौत का बदला लिया है। मैंने ही गला काटकर दोनों मासूम की हत्या की है. 

छह बेटों की हो चुकी है मौत

दो मासूमों का कत्ल करने वाले राजेश माझी के छह बेटों की आकस्मिक मौत हो चुकी है। उनकी मौत के लिए वो पड़ोसी टिंकू पाल को जिम्मेदार मानता है। उसका कहना है कि टिंकू पाल जादू टोना करता है। वह उससे जलता था। इसलिए उसने काला जादू कर मेरे बेटों को मार दिया है। उसने एसएसपी यशस्वी यादव के सामने भी अपना जुर्म कबूलते हुए कहा कि मेरा कोई कसूर नहीं हैं। मैने तो सिर्फ अपने बेटों की मौत का बदला लिया है।

रात में पी थी शराब

राजेश माझी ने बेटे की मौत के बाद उसका अन्तिम संस्कार किया। जिसके बाद उसने शाम को टिंकू पाल के साथ शराब पी थी। तभी उसकी टिंकू पाल से बहस हो गई थी। जिसमें टिंकू ने उससे कहा कि तुम पापी हो, तुम्हारे पाप की सजा बेटे को मिली है। जिसके बाद दोनों का झगड़ा हो गया था। एसएसपी यशस्वी यादव ने दो मासूमों के कत्ल के आरोप में गिरफ्तार किए गए सिरफिरे पर एनएसए की कार्रवाई का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस नृशंस हत्या करने वाले को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

‘मर जाते हैं इमोशंस’

साइकियाट्रिस्ट के मुताबिक इंसान सुख और दुख दोनों को महसूस करता है। पर जब उस पर इंतकाम सवार हो जाता है तो वो सुख और दुख को महसूस नहीं करता है। ऐसे में वो बड़े से बड़े अपराध को बड़ी आसानी से अंजाम तक पहुंचा सकता है। क्योंकि उस वक्त इमोशंस पूरी तरह मर चुके होते हैं। और जब इंसान में इमोशंस नहीं होंगे तो जघन्य से जघन्य अपराध करने से भी उसको डर नहीं लगेगा। लोगों को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। क्योंकि जिस चीज पर काबू नहीं रख सकते हैं, वो आपको कभी भी नुकसान पहुंचा सकती है। इंतकाम एक ऐसा शब्द है जो मानवीय मूल्यों को खत्म कर देता है।

"इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाला व्यक्ति साइकोसिस से पीडि़त होता है। ऐसे लोग सच्चाई और कल्पना की परख नहीं कर पाते हैं। इस वजह से स्थिति और गंभीर हो जाती है। भांग, चरस जैसे नशे की वजह से आजकल ये बीमारी बढ़ रही है। ये प्रवृत्ति 17 से 27 साल के उम्र के लोगों में ज्यादा मिल रही है."

डॉ। उन्नति कुमार, साइकियाट्रिस्ट