बुक का एक चैप्टर है कंट्रोवर्सियल डिसीजन उसी के कुछ हिस्से् एक इंग्लिश न्यूज पेपर में पब्लिश हुए। इसके बाद से ही हंगामा बरपा हुआ है। किताब के मुताबिक अगर सोनिया गांधी चाहतीं तो कंट्री की प्राइम मिनिस्टर होतीं। कलाम ने लिखा है कि उनके फेवर में सफीशियेंट नंबर ऑफ पार्लियामेंटेरियंस थे जिसके चलते प्रेसिडेंट को सोनिया को रोकने का कोई राइट नहीं था और वे ऐसा करना भी नहीं चाहते थे। इनफैक्ट वह तो इस बात के लिए मेंटली प्रिपेअर थे और सोनिया के मनमोहन सिंह का नाम सजेस्ट करने पर शॉक्ड रह गए।

 

अभी तक यह माना जाता रहा है कि कलाम ने ही सोनिया को पीएम न बनने की सलाह दी थी। वह सारे लोग जो अब तक यह कहते आए थे कि सोनिया गांधी इसी के चलते कलाम को वापस प्रेसिडेंट नहीं बनने देना चाहतीं को जवाब देते नहीं बन रहा। बीजेपी में तो इस बात पर हड़कंप मच गया है। वे कह रहे हैं कि सोनिया ने प्राइम मिनिस्टर की पोस्ट छोड़ कर कोई सेक्रिफाइज नहीं किया है। पार्टी के हिसाब से सत्ता का कंट्रोल आज भी सोनिया के ही हाथों में है।

दूसरी ओर गोविंदाचार्य का कहना है कि कलाम के तेवरों में फर्क दिख रहा है जब वे प्रेसिडेंट थे तो अलग अंदाज में कमेंट करते थे और अब उनकी शार्पनेस वीक हो गयी है। जबकि जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी उस लेटर की डिमांड कर रहे हैं जो प्रेसिडेंट ऑफिस से सोनिया का अप्वाइंटमेंट कैंसल करने के लिए भेजी गयी थी।

इस बुक के चैप्टर कंट्रोवर्शियल डिसीजन में ही गोधरा राइटस के बाद कलाम के गुजरात दौरे का भी जिक्र है। कलाम ने लिखा है कि उनकी इस विजिट को लेकर उस समय के प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी बाजपेयी कुछ कन्फ्यूजन में थे और ऑफिशियल्स का एक बड़ा ग्रुप उस समय प्रेसिडेंट के गुजरात दौरे के खिलाफ था।

 

वाजपेयी ने प्रेसिडेंट से पूछा था कि क्या आप इस समय गुजरात जाना जरूरी समझते हैं जिसके जवाब में कलाम ने कहा कि हां मैं इसे एक इंर्पोटेंट काम समझता हूँ ताकि मैं लोगों का दर्द कम करने के लिए कुछ काम आ सकूं। साथ ही रिलीफ ऑपरेशन में भी तेजी आए।

यह किताब ऐसे समय में आई है जब महंगाई, टेरेरिज्म और करप्शन जैसे इश्यूज पर कांग्रेस बुरी तरह घिरी हुई है। ऐसे में सोनिया के कैरेक्टर के इस स्ट्रांग पिक्चराइजेशन से उसे बड़ा सपोर्ट मिला है। बहरहाल कुछ भी हो इस बुक की रिलीज से पहले पब्लिश हुए हिस्सों पर मचे बवाल से उसे फायदा मिलना तय है। वहीं यह भी साफ हो गया है कि इंडियन पॉलिटिक्स आज भी कांग्रेस और गांधी फैमिली के इर्द गिर्द ही घूमती है।

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