- दीपावली पर भक्तों ने की मां काली की पूजा

- काली बाड़ी समेत शहर के अन्य काली मंदिरों में उमड़ी भीड़

ALLAHABAD: दीपावली में गणेश-लक्ष्मी, कुबेर और हनुमान जी की पूजा के साथ ही काली पूजा का विशेष महत्व है। विशेष रूप से बंगाली समाज और दुर्गा पूजा बारबारियों द्वारा मध्य रात्रि में पूरी तांत्रिक पद्धति के साथ मां काली की आराधना की जाती है। इस बार भी दीपावली पर मां काली की विधि विधान से पूजा की गई। जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। इस खास अवसर पर बैरहना मधवापुर के पास भी मां काली की भव्य पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें देर शाम तक लोगों की भीड़ पहुंचती रही।

मां काली को दी कद्दू बलि

दिवाली के अवसर आयोजित होने वाली मां काली की पूजा के अवसर पर कद्दू की बलि दी गई और प्रसाद के स्वरूप पर खिचड़ी और कद्दू की सब्जी बांटी गई। मुट्ठीगंज, भारद्वाज आश्रम, मनमोहन पार्क स्थित कालाबाड़ी के साथ ही दुर्गा पूजा बारवारियों द्वारा काली पूजा का आयोजन किया गया। मां काली की पूजा बहुत भव्य तरीके से की जाती है, बंगाली समाज की ओर से आदिकाल से ही दुर्गापूजा के बाद दीपावली को मां काली पूजा करने का विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन मां के रौद्र रूप की पूजा की जाती है, भक्त अपने परिवार की सुख शांति को लेकर मन्नत मांगते है। और मन्नत पूरी होने पर मां को बलि चढ़ाता है। मध्य रात्रि पर बंगाली समाज की ओर से मां काली के रौद्र रूप की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। अमावस्या की तिथि को लेकर कई लोगों ने मंगलवार की रात ही मां काली की पूजा विधि विधान से की। श्री श्री बीएमटी काली पूजा कमेटी की ओर से आयोजित पूजा महोत्सव में बुधवार को भजन संध्या का आयोजन किया गया। जहां भक्ति गीतों पर देर रात तक लोग झूमते रहे। कमेटी के राजन ने बताया कि गुरुवार को विसर्जन के साथ पूजा कार्यक्रम का समापन होगा।