Lucknow: बागों के शहर में एक के बाद एक पत्थरों का घोटाला सामने आ रहा है। चिडिय़ा घर में नयी बन रही दीवार पर लगाये गये पत्थर काम कम्प्लीट होने से पहले ही उखडऩे लगे हैं। इसे गर्मी का असर कहें या फिर घटिया निर्माण कार्य का रिजल्ट पर पत्थरों ने दीवार का साथ तो छोड़ दिया है कहीं दीवार ही न ढ़ह जाए इसकी आशंका है।
निर्माण निगम के जिम्मे था काम
लगभग 24 करोड़ रुपये की लागत से हो रहे चिडिय़ा घर के उद्धार का काम निर्माण निगम के जरिये कराया जा रहा था। काम अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि दीवारें पत्थर छोडऩे लगीं। चिडिय़ा घर के चारों ओर बनायी गयी दीवारों पर कई ट्रक पत्थर लगाये गये। जिसमें से पोल पर लगाये गये पत्थर गिरने लगे।
इतना ही नहीं आरसीसी के बनाये गये पिलर के छड़ भी अभी से दिखने लगे हैं। यहां एक विशाल गेट भी बनाया जा रहा है। जो अभी फिलहाल पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। जब इस बारे में निर्माण निगम के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी तो निर्माण निगम का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हुआ.
वहीं प्राणिउद्यान की डायरेक्टर रेनू सिंह का कहना है कि चिडिय़ाघर के उद्धार के लिए शासन ने 24 करोड़ रुपये का बजट पिछले बजट सत्र में पास किया था। यह काम निर्माण निगम करा रहा है। काम अभी पूरा करके निर्माण निगम ने प्राणिउद्यान को हैंड ओवर नहीं किया है। ऐसे में अभी जो भी कमियां आ रही हैं उसे निर्माण निगम दूर करके उन्हें सौंपेगा.
इससे पहले पीडब्लूडी मिनिस्टर शिवपाल ने काम में लापरवाही और घोटालों के आरोप में कई निर्माण निगम के कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। पिछले नौ जून को पीडब्लूडी मिनिस्टर शिवपाल सिंह यादव ने ईको गार्डेन पार्क समेत शहर के लगभग सभी नवनिर्मित पार्कों का दौरा किया था.
जिसके बाद कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय निर्माण निगम के चार जीएम, तीन परियोजना प्रबंधक, तीन अपर परियोजना प्रबंधक, दो स्थानिक अभियंता, तीन सहायक लेखाधिकारी और एक लेखाकार को विभागीय अनियमितता के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था।
पुलिस भी कर रही है पत्थरों की जांच
पत्थरों की जांच की शुरुआत विभूतिखण्ड थाने में दर्ज की गयी एफआईआर के बाद से हुई। यहां हाथियों के पेमेंट को लेकर शिकायत की गयी थी। जिसके बाद जांच की  गयी तो पाया गया कि 18 लाख के हाथी की 58 लाख रुपये तक कीमत वसूली गयी। इसके अलावा रेलिंग में भी घोटाला पुलिस जांच के दौरान सामने आया था.
वहीं कई मजदूरों का आरोप था कि उनकी मजदूरी तक ठेकेदारों ने नहीं दी। वहीं आईजी/एसएसपी आशुतोष पाण्डेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के स्टे आर्डर आने के बाद भी पार्कों में निर्माण के प्रमाण मिले हैं। इसकी विस्तृत जांच करायी जा रही है। इस जांच में कमिश्नर स्तर तक के अधिकारियों का नाम आ चुका है। इसकी जांच कर रही पुलिस की एक टीम राजस्थान भी गयी है। जहां से हजारों ट्रक पत्थर लखनऊ आया था। साथ ही मिट्टी के अवैध खनन की भी जांच पुलिस अपने स्तर से शुरु कर चुकी है.
Reported By : Yasir Raza