- गाड़ी कंडम होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं कराते ज्यादातर व्हीकल ओनर्स

- ऐसी गाडि़यों का नंबर दूसरी गाड़ी में यूज कर वारदात को अंजाम देते हैं अपराधी

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KANPUR: अगर आपने अपनी कंडम हो चुकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन आरटीओ से कैंसिल नहीं कराया है तो आप कभी भी बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। दरअसल क्रिमिनल्स वारदात को अंजाम देने के लिए ऐसी ही गाडि़यों की ताक में रहते हैं। वो कंडम हो चुकी गाडि़यों का नंबर दूसरी गाडि़यों में लगाकर क्राइम करते हैं। और पुलिस गाड़ी नंबर के जरिए असली मालिक को घटना का आरोपी बना देती है। और यहीं से शुरू होती है मुसीबत।

आंकड़े बता रहे हैं कहानी

आरटीओ के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पूरी कहानी पता चल जाती है। आरटीओ में हर महीने नॉन कॉमशिर्यल गाडि़यों के ब्-भ् हजार रजिस्ट्रेशन होते हैं। जबकि ख्0-फ्0 गाडि़यों के ही रजिस्ट्रेशन कैंसिलेशन के लिए आते हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े:

माह(ख्0क्फ्) रजिस्ट्रेशन कैंसिलेशन

दिसंबर ब्0म्7 फ्0

नवंबर भ्987 ख्0

अक्टूबर ब्7म्9 फ्भ्

सितंबर भ्789 क्9

अगस्त भ्897 क्म्

जुलाई फ्987 फ्ख्

जून फ्908 ब्8

मई भ्890 फ्7

अप्रैल भ्87ख् ख्ब्

मार्च म्987 ख्8

फरवरी ब्9क्ख् क्म्

जनवरी फ्987 ख्0

कामर्शियल वाहन कराते हैं कैंसिलेशन

आरटीओ में रजिस्टर्ड कामर्शियल व्हीकल्स के मालिक वाहन कंडम होने पर अपना रजिस्ट्रेशन कैंसिल करा लेते हैं। ऐसा इसलिए नहीं कि वे बेहद ईमानदार हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें हर साल टैक्स पेमेंट करना होता है। कामर्शियल वाहनों को हर तीन महीने या एक साल में टैक्स पेमेंट करना होता है। अगर वे रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं कराएंगे तो उन्हें टैक्स भरना होगा। हालांकि आरटीओ के मुताबिक, कॉमर्शियल वाहनों का भी करोड़ों रुपए टैक्स बकाया है।

इसलिए झंझट में नहीं पड़ते

नॉन कॉमर्शियल वाहनों के मालिक रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराने में सबसे ज्यादा हीलाहवाली करते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि प्राइवेट वाहनों का टैक्स खरीद के समय ही जमा होता है। जो क्भ् साल तक मान्य होता है। इसलिए वो कैंसिलेशन के झंझट में नहीं पड़ना चाहते।

क्या हैं आरटीओ नियम:

आरटीओ में प्राइवेट वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय ही टैक्स जमा होता है। जो आजीवन मान्य होता है। रजिस्ट्रेशन के क्भ् साल बाद सिर्फ उसका फिटनेस चेक होता है। जो साल-दर-साल चेक होता रहता है। फिटनेस के लिए गाड़ी न आने पर उसे अनफिट में डाल दिया जाता है। लेकिन गाड़ी मान्य ही रहती है। वहीं कामर्शियल वाहनों का हर साल टैक्स जमा होता है।

कबाड़ी काटकर बेच देते हैं गाड़ी

ज्यादातर लोग कंडम हो चुके प्राइवेट व्हीकल्स को कबाड़ी को बेच देते हैं। कबाड़ी उन वाहनों को काट कर अलग-अलग बेच देते हैं। सबसे ज्यादा गाड़ी से लोहा निकाल कर बेचा जाता है। सीसा। प्लास्टिक, रबड़, टायर, कार्बन भी बिक जाता है। सिटी में नजीराबाद, बर्रा, लाल बंगला, कल्याणपुर, पनकी आदि इलाकों में कंडम गाड़ी बेची जाती है।

कई मामले आ चुके सामने

क्रिमिनल्स की ऐसी कंडम गाडि़यों पर नजर रहती है। वे कबाड़ी के यहां बिकने वाली गाडि़यों के नंबर नोट कर लेते हैं। फिर उन गाडि़यों के नंबर किसी दूसरी गाड़ी में लगाकर उनका यूज करते हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

गाड़ी का फीचर चेंज मत करना

आरटीओ रूल्स के मुताबिक गाड़ी के रजिस्ट्रेशन कागज में गाड़ी के जो भी फीचर्स दिए हुए हैं। उनमें कोई भी बदलाव नहीं कर सकते हैं। जैसे गाड़ी का कलर, गाड़ी का माडल आदि नहीं चेंज करा सकते हैं। वहीं गाड़ी में फ्यूल सिस्टम चेंज नहीं करा सकते हैं। यदि कराना है तो उसकी पहले से आरटीओ को जानकारी देनी होगी।

वर्जन:

गाडि़यों के कंडम होने पर उसका रजिस्ट्रेशन आरटीओ से कैंसिल जरूर करा लेना चाहिए। नहीं तो गाडि़यों के मिसयूज का खतरा होता है। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

- एसके सिंह, एआरटीओ

बाक्स

म् करोड़ का टैक्स बकाया

द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म। आरटीओ के ऊपर इस समय करीब म् करोड़ रुपये टैक्स का बकाया है। एआरटीओ एसके सिंह ने बताया कि बकायेदारों को नोटिस भेजी जा चुकी है। वहीं राजस्व विभाग को इस संदर्भ में सूचना भी दे दी जाएगी। आरटीओ में रजिस्टर्ड कामर्शियल व्हीकल्स के कई स्वामी ऐसे भी हैं जिनके वाहनों की कोई जानकारी आरटीओ के पास नहीं है। दरअसल कॉमर्शियल वाहन स्वामी वाहनों के कंडम होने या खत्म होने के बाद रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं कराते। जिसके चलते हर फ् माह में इनका टैक्स बढ़ता जाता है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि करीब क्क्00 से ज्यादा इस तरह के कामर्शियल वाहन हैं। जिनके करीब म् करोड़ के टैक्स बकाया है। इनमें ज्यादातर ट्रक व लोडर हैं। आरटीओ रूल्स के मुताबिक इन वाहनों को भी रजिस्ट्रेशन कैंसिल करा लेना चाहिए। लेकिन ऐसा न होने से इनका टैक्स बढ़ता जाता है। आरटीओ पहले तो इन्हें टैक्स जमा करने के लिए नोटिस भेजता है। फिर भी यदि टैक्स जमा नहीं करते हैं। तो राजस्व विभाग को इसकी जानकारी दी जाती है। आरसी काटने के बाद राजस्व विभाग इनसे टैक्स वसूलता है।