फ्लैग : कान्हा उपवन के निरीक्षण के दौरान सिर्फ खामियां मिलने से भड़के कमिश्नर

- पूरे उपवन की जांच करा रिपोर्ट शासन को भेजने की घोषणा

- निरीक्षण में मरी मिलीं दो गाय, एसडीएम को सौंपी जांच

BAREILLY:

उद्घाटन के बाद से ही विवादों में फंसे कान्हा उपवन को लेकर कई खुलासे हुए। यहां न तो बजट का सही उपयोग हुआ और नहीं प्लान के मुताबिक काम। साथ ही एक ऐसे एनजीओ को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई, जो अधिकृत ही नहीं है। यह खुलासे वेडनेसडे को कमिश्नर रणवीर प्रसाद के निरीक्षण के दौरान हुए। पूरे उपवन में कमियां ही कमियां पाकर भड़के कमिश्नर ने उपवन की जांच कराकर इसकी रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही है। साथ ही नगर निगम पर कड़ा एक्शन लेने की भी घोषणा की। निरीक्षण के दौरान उपवन में दो गायों के शव देखकर उन्होंने इसकी जांच एसडीएम सदर एमपी सिंह को सौंप दी है। इसकी रिपोर्ट भी शासन को साैंपी जाएगी।

एस्टीमेट नहीं दिखा पाए

करीब दो घंटे के निरीक्षण के दौरान जब कमिश्नर ने नगर निगम से कान्हा उपवन का एस्टीमेट मांगा तो अफसर यह भी पूरा नहीं दिखा पाए। कमिश्नर ने बताया कि कान्हा उपवन के लिए 4 करोड़ का बजट पास हुआ था। लेकिन, यह बजट कहां कितना खर्च हुआ, उसकी नगर निगम के पास कोई डिटेल रिपोर्ट ही नहीं थी। इतना रुपया खर्च होने के बाद भी उपवन में अभी तक न तो सांड़ों के लिए कोई जगह बनी है और न ही कोई कार्य ब्लॉक बना है। कमिश्नर ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इतना पैसा खर्च कहां हुआ?

पैसे का सही उपयोग नहीं

कमिश्नर ने कहा कि नगर निगम को कान्हा उपवन बनाने के लिए जो 6 एकड़ जमीन और पैसा दिया गया था, उसका सही से उपयोग नहीं किया गया। नगर निगम ने पूरी जमीन पर केवल गाय और कुत्तों के लिए ही जगह बनाई है। यह भी ठीक से नहीं बनी है। बजट को जहां खर्च करना चाहिए था, वहां किया ही नहीं गया। जहां कम से कम पैसे में काम चल सकता था, वहां जरूरत से ज्यादा खर्च कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने सबसे अधिक पैसे बाउंड्री वॉॅल पर खर्च किए, जबकि इस पर इतने पैसे खर्च नहीं होने चाहिए थे।

दो गायों के मिले शव

कमिश्नर का पारा उस समय और चढ़ गया, जब उन्हें उपवन में दो गायों के शव मिले। पूछने पर गांव वालों ने आरोप लगाया कि किसी को पता न चले इसके लिए ग्रामीणों को पैसे देकर गायों के शव फेंकवा दिए जाते हैं। इसके बाद गिनती करवाने पर उपवन में लगभग 91 गाय और बछड़े मिले। कमिश्नर का कहना था कि जब यहां पर 91 जानवरों की ही देखभाल नहीं हो पा रही है तो फिर एक हजार की कैसे होगी। इसके अलावा उपवन के रजिस्टर में गायों की संख्या का आखिरी अपडेट 23 दिसम्बर को किया गया था। साथ ही गायों की कोई टैगिंग भी नहीं की गई थी।

निगम के पास एनजीओ का रिकॉर्ड नहीं

निरीक्षण के दौरान एक चौंकाने वाला मामला भी सामने आया। नगर निगम ने जिस कामधेनु गौशाला ट्रस्ट एनजीओ को उपवन की जिम्मेदारी सौंपी है, वो अधिकृत ही नहीं है। नगर निगम के पास इस बात का रिकॉर्ड ही नहीं है कि यह एनजीओ कौन है। उपवन की जिम्मेदारी सौंपने की कोई कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की गई है।

जांच के बाद होगी कार्रवाई

कमिश्नर का कहना था कि निरीक्षण के बाद उपवन पर कई सवाल खड़े हो गए है। इसकी विस्तृत जांच बेहद जरूरी है। क्योंकि पिछली बार सिटी मजिस्ट्रेट की जांच में उन्होंने जो भी आदेश नगर निगम को दिए थे वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। पूरे उपवन की जांच कराकर शासन को भेजी जाएगी। और नगर निगम पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा। साथ ही उन्होने बताया कि एक्शन लेने से पहले नगर निगम को एक चांस दिया जाएगा यदि इस चांस में नगर निगम सुधर गया तो ठीक है नही तो कार्रवाई होगी

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6 एकड़ जमीन मिली

4 करोड़ का बजट था

6 गाएं अब तक मरीं

1.5 साल में बनना था

30 नवंबर को अधूरा उद्घाटन