सच बोलने के लिए प्रीच करना और रियल लाइफ में सच बोलना दो बिलकुल डिफरेंट बाते हैं.  इस डिफरेंट एक्सपीयरेंस को अपनी लाइफ में फॉलो करने की डिजायर रखने वालों का एक शो है सच का सामना.

अक्सर आप सबने कभी ना कभी यह सोचा होगा कि यह शो कैसे बनता होगा इसके पार्टिसिपेंट क्या फील करते होंगे. क्या होता होगा जब वो अलग अलग टेस्ट  से गुजरते होंगे. तो आइए हम मिलवाते हैं आपको ऐसी ही पार्टिसिपेंट से जिसने किया सच का सामना.

कानपुर की बिजनेस वुमेन, एंकर, माडल और सोशल वर्कर रीता वर्मा वह करेजियस लेडी हैं जिंहोंने किसी बंद कमरे या मिरर के नहीं बल्कि सारी दुनिया के सामने सच का सामना किया. हमने इस शो में उनके एक्सपीयरेंस से जुड़े कुछ सवाल किए. आंसर मे जैसा उन्होंने कहा हम एज इट इज आपके सामने रख रहे हैं.

 रीता अपने बारे में कुछ बताएं.

मेरे हसबेंड और मैंने मिल कर बिजनेस की शुरुआत की अभी भी मैं उनकी हेल्प करती हूं. जब बिजनेस सेटिल हो गया तो मैंने अपने आपको दूसरी चीजों से अटैच करना शुरू कर दिया. अब मैंने एंकरिंग, माडलिंग और सोशल वर्क करना स्टार्ट कर दिया.

 इस शो के लिए आपका सलेक्शन कैसे हुआ.

सच का सामना की टीम ने मुझे अपने आप ढूंढा और कांटेक्ट  किया. मेरी परमीशन लेने के बाद उनकी टीम ने मेरे बारे में सर्च करना शुरू किया. मैं शुरू से ही कानपुर को बिलांग करती हूं इसलिए उन्हों ने मेरी पूरी लाइफ के बारे में इनफारमेशन गैदर की. इसके बाद मेरा नाम फाइनल हुआ और मैं इस शो के लिए अप्रूव हो कर आगे के प्रोसीजर के लिए फॉरवर्ड की गयी.

 सलेक्ट् होने के बाद आपको कैसा फील हुआ.

अच्छा लगा और कुछ नया करने का अहसास हुआ. जब पता लगा कि तो लगा कि अब कुछ डिफरेंट हो रहा है जो पहले कभी फील या कहें कि एक्सेपीयरेंस नहीं किया था. उन्होंने अपनी रिसर्च के बेस पर 50 क्वेचन का एक बंच बनाया था जिसका मुझे आंसर करना था. मेरे से मेरे फेमिली मेंबर्स और फ्रेंडस के नाम मांगे जिन लोगों को मैं शो पर बुलाना चाहती थी. बाद में फाइनल शो के लिए इन्ही में से मेरे हसबेंड राजेश, ब्रदर रीतेश और फ्रेंड आदित्य को इनवाइट किया गया.

 टेस्ट के दौरान वहां का एटमॉस्फियर कैसा था.

मेरे से परमीशन लेने के बाद ही सब कुछ शुरू हुआ फिर भी घबराहट तो हो रही थी. एक छोटा सा कमरा था जिसमें मेरे पीछे दो लोग बैठे थे इसके अलावा किसी को अंदर नहीं आने दिया गया था. ढेर सारे वायर से मुझे दीवार के दूसरी साइड में लगी पॉलिग्राफिक मशीन से अटैच कर दिया गया था. मैं ना हिल सकती थी, हां या ना के अलावा कुछ नहीं बोल सकती थी.

अपनी फिंगर तक मूव करना अलाउड नहीं था. ना आर्गयूमेंट कर सकती थी, ना खांस सकती थी यहां तक कि जोर से सांस लेने के लिए भी

मना कर दिया गया था. एक तो मैं पहली बार अकेली बाई एयर ट्रैवल करके कहीं गयी थी और वहां का माहौल देख कर मुझे बड़ा डर सा लगा कैद जैसी फीलिंग आ रही थी.

Rita Verma

आपको पर्सनल क्वेचन्स  का आंसर करने में कोई प्राब्लम हुई.

इस शो पर जाने से पहले मैं ना तो किसी की पर्सनल लाइफ में जानना पसंद करती थी ना अपनी लाइफ को शेयर करना मुझे अच्छा  लगता था. तो आप समझ सकते है कि मेरे लिए कितना मुश्किल था यह सब कुछ करना फिर भी मैंने इसे फेस किया.

क्या आप 100 परसेंट ऑनेस्ट  रह सकीं.

हां मैं 100 परसेंट ऑनेस्ट थी. असल में आप चीटिंग कर ही नहीं सकते क्यों कि पॉलिग्राफ मशीन आपके माइंड को भी रीड कर सकती है.

 फैमिली का क्या रियक्शन है.

इनीशियली तो पॉजिटिव ही रहा क्यों कि मैं सबके सर्पोट और विश से ही शो पर गयी थी. हां फाइनल रिकॉर्डिंग के बाद हसबेंड से काफी ऑर्गयूमेंटस हुए पर अब सब ठीक ही है. उनका कहना है पास्ट  को लेकर अब डिस्कशन या डिबेट का क्या  फायदा. सो ऑल ओके नाउ.

क्या लगता है अब लाइफ में कुछ चेंज आएगा.

चेंज तो आ चुका मैं और मेरे आसपास काफी कुछ बदल गया पर मैं रिलीव फील कर रही हूं. जो भी हो मुझे सब मंजूर है मैं इस मोमेंट को इंज्वाय कर रही हूं कांसिकवेंस से बेफिक्र मस्त  हूं.

फाइनली यह बताएं क्यों करना चाहती थीं सच का सामना.

मैं एक ही लाइफ में जिंदगी के हर कलर और आस्पेक्ट को फील करना चाहती थी. हमें एक ही जिंदगी मिलती है मैं कोई रिग्रेट नहीं रखना चाहती थी. दिल दिमाग से सब कुछ निकाल कर अब नए सिरे जी रही हूं. मैं अपने दोस्तों  और जानने वालों को रियलाइज कराना चाहती थी कि वो जिस रीता को जानते हैं उसके अलावा भी कुछ दर्द, कुछ अलग है जो मैंने एक्सपीयरेंस किया है वे उसे शेयर करें. बस इसलिए मेरा खुद सच के सामने खड़ा होना जरूरी था.

Interview by Molly Seth for inextlive.com