- एक साथ कई शहरों में चलाता था सट्टेबाजी का धंधा,सरगना समेत 5 कानपुर से गिरफ्तार, लाखों की नकदी और सामान बरामद

 

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KANPUR: सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग से कानपुर का नाता काफी पुराना रहा है. कानपुर और ग्रीनपार्क पर कई बार सट्टेबाजी का कलंक लग चुका है. इंटरनेशनल वन डे से लेकर आईपीएल मैच में सट्टेबाजी के बड़े खुलासे हो चुके हैं. मई 2017 में ग्रीनपार्क में आईपीएल मैच के दौरान लैंडमार्क होटल में सट्टेबाजी कांड का खुलासा हुआ था. एक बार फिर एसटीएफ ने कानपुर से बड़े सट्टेबाजी रैकेट का भंडाफोड़ किया है. एसटीएफ ने कानपुर से यूपी के बड़े शहरों में संचालित हो रहे सट़्टेबाजी गिरोह को पकड़ा. गिरोह को नौबस्ता और गोविंद नगर में छापेमारी कर पकड़ा गया है. सट्टेबाजों के पास से लाखों रुपए नकदी, दर्जनों मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बरामद किए गए. एसटीएफ ने सरगना समेत 5 सट्टेबाजों को कानपुर और 3 को बनारस से गिरफ्तार किया है. शुरुआती पूछताछ में पता चला कि सट्टेबाज, दिल्ली,मुंबई के अलावा दुबई तक संपर्क बनाए हुए थे. सट्टेबाजी का यह रैकेट कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रैकेट का सरगना जितेंद्र शिवहरे उर्फ जीतू मर्सिडीज कार से चलता था. एसटीएफ ने इस खुलासे में एक मर्सिडीज और एक फारचुनर कार सीज किया है.
ipl में सट्टेबाजी,कानपुर से बरामद हुई फाॅरेन करेंसी

कानपुर से चला रहा था डर्टी बिजनेस
एसटीएफ ने कानपुर से सरगना जीतेंद्र शिवहरे उर्फ जीतू, आशीष शिवहरे, सुमित, मोहित और हिमांशु को अलग अलग जगहों पर छापा मार कर गिरफ्तार किया. इनके पास से मिले इलेक्ट्रानिक उपकरणों की पड़ताल और पूछताछ में पता चला कि सट्टेबाजी शहर बदल बदल कर करते थे. सट्टेबाजों का नेटवर्क रायपुर, अजमेर, जयपुर, मुंबई, दिल्ली से लेकर दुबई तक था. सरगना जीतेंद्र खुद दुबई में काफी वक्त तक ट्रेडिंग का काम कर चुका है. जबकि यह लोग सट्टेबाजी लखनऊ, बनारस, प्रयागराज, फतेहपुर में लगातार कर रहे थे. जीतेंद्र के संपर्क में 20 से ज्यादा छोटे बुकीज थे.

 

क्या है ऑनलाइन बेटिंग बॉक्स
इस बॉक्स की मदद से एक बार में 10-10 बुकी अलग अलग जगहों से एक साथ बेटिंग कर सकते हैं. इस बॉक्स में बेटिंग की पूरी बातचीत की रिकार्डिग की सुविधा भी है. जिसकी मदद किसी तरह का विवाद सुलझाने में ली जाती थी. इस बॉक्स से ही एक माइक कनेक्ट था. जिसके जरिए एक बार में ही सभी बुकीज को सट्टे का भाव को लेकर अनाउंसमेंट की जाती थी.

 

एप से मिलता था भाव
एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सट्टेबाजी गिरोह को सट्टे का भाव मोबाइल एप से पता चलता था. आरेंज नाम के एप से सट्टे का भाव पता चलने के बाद जीतेंद्र उसे बेटिंग बॉक्स के जरिए बुकीज को एनाउंस कर देता था.

 

 

ये हुआ बरामद-
कानपुर से 2.75 लाख कैश, बनारस से 27.75 लाख कैश, आनलाइन बेटिंग बॉक्स, 5 लैपटॉप, 30 मोबाइल, 3 स्मार्ट टीवी, वाई फाई कनेक्टर,फारेन करेंसी.