सेंट्रल गवर्नमेंट की 10 लाख पॉपुलेशन वाली सिटीज में मेट्रो के दौड़ाने की सेंट्रल गवर्नमेंट की प्लानिंग से कानपुराइट्स की उम्मीदों को एक बार फिर पंख लग गए हैं। क्योंकि करीब तीन वर्ष पहले सिटी में मेट्रो चलाने के लिए केडीए ने खाका खींचा था। यह रिपोर्ट शासन को सौंपी गई थी।

मगर तत्कालीन केडीए ऑफिसर्स के बदलते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब सेंट्रल गवर्नमेंट की प्लानिंग से कानपुराइट्स के चेहरे चमक गए हैं। केडीए ऑफिसर भी उस प्रोजेक्ट रिपोर्ट को तलाशने में जुट गए हैं।

ये था प्रोजेक्ट

वर्ष 2008 में केडीए ने दिल्ली की कंपनी आईएलएफएस-आईडीसी से मेट्रो दौड़ाने के लिए सर्वे कराकर प्रोजेक्ट तैयार कराया था। तब प्रोजेक्ट पर 4500 करोड़ रूपए खर्च आने का अनुमान लगाया गया था। मेट्रो रूट एक ओर आईआईटी नानकारी से जीटी रोड के पैरलल अहिरवां एयरपोर्ट और दूसरी तरफ भौंती बाईपास से फूलबाग रखा गया था।

जरीबचौकी चौराहा को जक्शन स्टेशन प्रपोज किया गया था। तत्कालीन वीसी मोहम्मद मुस्तफा और चीफ इंजीनियर एसपीएस राघव ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट का प्रजेंटशन स्टेट हाउसिंग मिनिस्ट्री में किया गया था, जिससे इस भारी भरकम खर्च वाले धनराशि के लिए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट से धन जुटाया जा सका।

एक प्रपोजल पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनर शिप का भी सुझाया गया था। मगर ऑफिसर्स के बदलते ही मामला ठंडे बस्ते में ही चला गया। ऑफिसर्स शायद इस प्रोजेक्ट को अब भूल भी चुके हैं। मगर थर्सडे को सेंट्रल अरबन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के 20 लाख की पापुलेशन वाली सिटीज मेट्रो चलाने की प्लानिंग से इसकी खोजबीन शुरू हो गई। जाहिर है इस प्रोजेक्ट को बने तीन वर्ष से अधिक समय बीत चुका है।

क्यों हैं जरूरत

कभी एशिया का मैनचेस्टर कहलाने वाली इस सिटी में टेनरीज सहित 6 हजार से अधिक इंडस्ट्रीज है। ज्वेलरी, इलेक्ट्रिनिक्स, कपड़े, किराना सहित कई होलसेल मार्केट्स हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज, एचबीटीआई, सीएसए के अलावा कोचिंग मंडी के कारण सिटी एजूकेशन हब बन

चुका है।

पॉपुलेशन के मामले में ही सिटी की आबादी 10 वर्ष पहले ही 20 लाख (सेंशस 2001 के मुताबिक पॉपुलेशन 25.51 लाख) को पार कर चुकी थी। अब तो यह पापुलेशन 30 लाख के करीब पहुंच चुकी है। पिछले वर्ष ही 39600 से अधिक नए व्हीकल्स रोड्स पर आ गए। मगर एनक्रोचमेंट, रोड पर व्हीकल पार्क होने आदि प्रॉब्लम्स की वजह से सडक़ संकरी होती जा रही है।

इसी वजह से कानपुराइट्स को लगभग रोज ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ता है। रोड एक्सीडेंट्स की बढ़ती संख्या की भी यह एक वजह है। पिछले वर्ष ही 1425 लोगों को रोडएक्सीडेंट में जान गंवानी पड़ी थी.  

ये फायदे होंगे

कागजों से निकलकर ट्रैक पर आने में मेट्रो को अभी लंबा वक्त लगेगा। मगर ये जरूर है कि मेट्रो के दौडऩे से कानपुराइट्स को ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा। टाइम भी किल नहीं होगा आरामदायक सीट्स, एसी के अलावा पॉल्यूशन का भी सामना नहीं करना पड़ा। इसके साथ सिविक सेंस भी क्रिएट होगा, जैसा कि दिल्ली में मेट्रो ट्रेन चलने पर हुआ।